मत्स्यभगवान्ने कहा- नरेश्वर ! इन धर्मके वंशमें उत्पन्न हुए विप्रोंको श्राद्धमें प्रयत्नपूर्वक भोजन कराना चाहिये; क्योंकि इन ब्राह्मणोंके सम्बन्धसे किया हुआ श्राद्ध पितरोंको अतिशय प्रिय है। राजसिंह ! इसके बाद अब मैं उस गाथाका वर्णन कर रहा हूँ जिसका अपने पुरमें स्थित कामना करनेवाले पितरोंने कथन किया था। क्या हमलोगोंके वंशमें कोई ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा जो अधिक एवं शीतल जलवाली नदियोंमें जाकर हमलोगोंको जलाञ्जलि देगा ? क्या हमारे कुलमें कोई ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा जो दूध, मूल, फल और खाद्य सामग्रियोंसे या तिलसहित जलसे नित्य श्राद्ध करेगा ? क्या हमारे वंशमें कोई ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा जो वर्षा ऋतुके मघानक्षत्रकी त्रयोदशी तिथिको मधु और घीसे मिश्रित दूधमें पका हुआ खाद्य पदार्थ हमें समर्पित करेगा ? क्या हमारे कुलमें कोई ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा, जो कालशाकसे श्राद्ध करेगा? कालशाक, महाशाक, मधु और मुनिजनोंके अनुकूल अन्नोंको हमलोग सूर्यास्तसे पूर्व ही ग्रहण करते हैं। हमारे कुलमें उत्पन्न हुआ कौन व्यक्ति सूर्यग्रहणके अवसरपर अर्थात् राहुके दर्शनकालतक गयातीर्थमें एवं गजच्छायायोगमें योगियोंको फलके गूदेका भोजन करायेगा ?| इन खाद्य पदार्थोंसे हमलोगोंको कल्पपर्यन्त तृप्ति बनी रहती है और दाता प्रलयकालपर्यन्त सभी लोकोंमें स्वेच्छानुसार विचरण करता है— इसमें अन्यथा विचार नहीं करना चाहिये। पूर्वकथित इन पाँचोंमेंसे एकसे भी हमलोग सदा अनन्त तृप्ति प्राप्त करते हैं, फिर सभीके द्वारा करनेपर तो कहना ही क्या है? क्या हमारे वंशमें कोई ऐसा व्यक्ति उत्पन्न होगा, जो कृष्णमृगचर्मका दान देगा ? ।। 1- 11॥
क्या हमारे वंशमें कोई ऐसा नरश्रेष्ठ पैदा होगा, जो ब्राह्मणश्रेष्ठको व्याती हुई गायका दान देगा? क्या हमारे वंशमें कोई ऐसा व्यक्ति जन्म लेगा, जो वृषभका उत्सर्ग करेगा? वह वृष विशेषरूपसे सभी रङ्गोंकी अपेक्षा नील अथवा शुक्ल वर्णका होना चाहिये। क्या हमलोगोंके कुलमें कोई ऐसा व्यक्ति उत्पन्न होगा, जो श्रद्धासम्पन्न होकर सुवर्ण दान, गो-दान और पृथ्वीदान करेगा ? क्या हमारे वंशमें कोई ऐसा पुरुष श्रेष्ठ पैदा होगा, जो कूप, बगीचा, सरोवर और बावलियोंका निर्माण करायेगा ? क्या हमारे कुलमें कोई ऐसा व्यक्ति जन्म ग्रहण करेगा जो सभी प्रकारसे मधु दैत्यके नाशक देवेश भगवान् विष्णुकी शरण ग्रहण करेगा ? क्या हमारे कुलमें कोई ऐसा प्रतिभाशाली विद्वान् होगा, जो विद्वानोंको विधिपूर्वक धर्मशास्त्रकी पुस्तकोंका दान देगा? भूपाल ! मैंने इस प्रकार आपसे मुनियोंद्वारा कही गयी इस श्राद्धकर्मकी विधिका वर्णन कर दिया। यह पापनाशिनी, पुण्यको बढ़ानेवाली एवं संसारमें प्रमुखता प्रदान करनेवाली है। जो श्राद्धके समय पितरोंको यह पितृगाथा सुनाता है उसके पितर दिये गये पदार्थोंको अक्षयरूपमें प्राप्त करते हैं ।। 12-19॥