नन्दीश्वर बोले - [हे सनत्कुमार!] अब आप उपासनाकाण्डद्वारा सेवित महेश्वरके सर्वप्रथम होनेवाले महाकाल आदि दस प्रमुख अवतारोंको भक्तिपूर्वक सुनिये ॥ 1 ॥
उनमें प्रथम महाकाल नामक अवतार है, जो सज्जनोंको भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है। [इस अवतारमें] उनकी शक्ति महाकाली हैं, जो भक्तोंको अभीष्ट फल प्रदान करती हैं ॥ 2 ॥
दूसरा अवतार तार नामसे विख्यात है, जिनकी शक्ति तारा हैं। ये दोनों ही अपने भक्तोंको सुख प्रदान करनेवाले एवं भोग तथा मोक्ष देनेवाले हैं ॥ 3 ॥
तीसरा अवतार बाल भुवनेश्वरके नामसे पुकारा जाता है। उनकी शक्ति बाला भुवनेश्वरी कही जाती हैं, ये सत्पुरुषोंको सुख प्रदान करती हैं। चौथा अवतार षोडश नामक विधेशके रूपमें हुआ है। पोडशी श्रीविद्या उनकी महाशक्ति हैं। यह अवतार भक्तोंको सुख प्रदान करनेवाला तथा भोग एवं मोक्ष देनेवाला है ।। 4-5 ।।पाँचवाँ अवतार भैरव नामसे प्रसिद्ध है, जो | भक्तोंकी कामनाओंको निरन्तर पूर्ण करनेवाला है। इनकी महाशक्ति गिरिजा भैरवी नामसे प्रसिद्ध हैं, जो सज्जनों एवं उपासकोंकी कामनाएँ पूर्ण करती हैं ॥ 6 ॥
शिवका छठा अवतार छिन्नमस्तक नामक कहा गया है और उनकी महाशक्ति छिन्नमस्तका गिरिजा हैं, जो अपने भक्तोंका मनोरथ पूर्ण करनेवाली हैं ॥ 7 ॥
शिवके सातवें अवतारका नाम धूमवान् है, जो सम्पूर्ण कामनाओंका फल प्रदान करनेवाला है। उनकी शक्ति भूमावती हैं, जो सज्जन उपासकोंको फल देनेवाली हैं ॥ 8 ॥
शिवजीका आठवाँ अवतार बगलामुख है, जो सुख देनेवाला है। उनकी शक्ति बगलामुखी कही गयी हैं, जो परम आनन्दस्वरूपिणी हैं ॥ 9 ॥
शिवजीका नौवाँ अवतार मातंग नामसे विख्यात है और उनकी शक्ति मातंगी हैं, जो अपने भक्तोंकी] समस्त कामनाओंका फल प्रदान करती हैं ॥ 10 ॥
शिवजीका कल्याणकारी दसवाँ अवतार कमल नामवाला है, जो भोग और मोक्ष देनेवाला है। उनकी शक्ति पार्वतीका नाम कमला है, जो भक्तोंका पालन करती हैं ॥ 11 ॥
शिवजीके ये दस अवतार हैं, जो सज्जनों एवं भक्तोंको सर्वदा सुख देनेवाले तथा उन्हें भुक्ति एवं मुक्ति प्रदान करनेवाले हैं ॥ 12 ॥
महात्मा शिवके ये दसों अवतार निर्विकार रूपसे सेवा करनेवालोंको निरन्तर सभी प्रकारके सुख देते रहते हैं। हे मुने! मैंने शंकरजीके इन दसों अवतारोंके माहात्म्यका वर्णन किया है, इस माहात्म्यको सम्पूर्ण कामनाओंको देनेवाला कहा गया है तथा यह तन्त्र शास्त्रोंमें निगूढ़ है, ऐसा जानना चाहिये ll 13-14 ॥
हे मुने! इन [अवतारोंकी] आदि शक्तियोंकी महिमा भी अद्भुत है। इसे सभी कामनाओंको प्रदान करनेवाली तथा तन्त्रशास्त्र आदिमें गोपित जानना चाहिये। ये शक्तियों दुष्टोंको दण्ड देनेवाली तथा ब्रह्मतेजका विवर्धन करनेवाली हैं और शत्रुनिग्रह आदि कार्यके | लिये सर्वश्रेष्ठ कही गयी हैं । ll 15-16 ॥हे ब्रह्मन् ! इस प्रकार मैंने शक्तियोंसहित शिवजीके महाकालादि प्रमुख शुभ दस अवतारोंका वर्णन किया ॥ 17 ॥
जो भक्तिमें तत्पर होकर सभी शैव पर्वोंमें शिवके इस निर्मल इतिहासको पढ़ता है, वह शिवका अत्यन्त प्रिय हो जाता है; ब्राह्मण ब्रह्मतेजसे युक्त तथा क्षत्रिय विजयी हो जाता है, वैश्य धनाधिपति हो जाता है एवं शूद्र सुख प्राप्त करता है ॥ 18-19॥
अपने धर्ममें स्थित होकर इस चरित्रको सुननेवाले शिवभक्त सुखी हो जाते हैं और वे विशेषरूपसे शिवके भक्त हो जाते हैं ॥ 20 ॥