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Ram Charit Manas - Aranya Kand Part 2

राम चरित मानस - अरण्य काण्ड भाग 2

राम चरित मानस - हिन्दी

चौपाई
रघुपति चित्रकूट बसि नाना। चरित किए श्रुति सुधा समाना।।
बहुरि राम अस मन अनुमाना। होइहि भीर सबहिं मोहि जाना।।
सकल मुनिन्ह सन बिदा कराई। सीता सहित चले द्वौ भाई।।
अत्रि के आश्रम जब प्रभु गयऊ। सुनत महामुनि हरषित भयऊ।।
पुलकित गात अत्रि उठि धाए। देखि रामु आतुर चलि आए।।
करत दंडवत मुनि उर लाए। प्रेम बारि द्वौ जन अन्हवाए।।
देखि राम छबि नयन जुड़ाने। सादर निज आश्रम तब आने।।
करि पूजा कहि बचन सुहाए। दिए मूल फल प्रभु मन भाए।।

दोहा/सोरठा
प्रभु आसन आसीन भरि लोचन सोभा निरखि।
मुनिबर परम प्रबीन जोरि पानि अस्तुति करत।।3।।

छंद
नमामि भक्त वत्सलं। कृपालु शील कोमलं।।
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं।।
निकाम श्याम सुंदरं। भवाम्बुनाथ मंदरं।।
प्रफुल्ल कंज लोचनं। मदादि दोष मोचनं।।
प्रलंब बाहु विक्रमं। प्रभोऽप्रमेय वैभवं।।
निषंग चाप सायकं। धरं त्रिलोक नायकं।।
दिनेश वंश मंडनं। महेश चाप खंडनं।।
मुनींद्र संत रंजनं। सुरारि वृंद भंजनं।।
मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवितं।।
विशुद्ध बोध विग्रहं। समस्त दूषणापहं।।
नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं।।
भजे सशक्ति सानुजं। शची पतिं प्रियानुजं।।
त्वदंघ्रि मूल ये नराः। भजंति हीन मत्सरा।।
पतंति नो भवार्णवे। वितर्क वीचि संकुले।।
विविक्त वासिनः सदा। भजंति मुक्तये मुदा।।
निरस्य इंद्रियादिकं। प्रयांति ते गतिं स्वकं।।
तमेकमभ्दुतं प्रभुं। निरीहमीश्वरं विभुं।।
जगद्गुरुं च शाश्वतं। तुरीयमेव केवलं।।
भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं।।
स्वभक्त कल्प पादपं। समं सुसेव्यमन्वहं।।
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं।।
प्रसीद मे नमामि ते। पदाब्ज भक्ति देहि मे।।
पठंति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं।।
व्रजंति नात्र संशयं। त्वदीय भक्ति संयुता।।

Ram Charit Manas - English

चौपाई
raghupati citrakūṭa basi nānā. carita kiē śruti sudhā samānā..
bahuri rāma asa mana anumānā. hōihi bhīra sabahiṃ mōhi jānā..
sakala muninha sana bidā karāī. sītā sahita calē dvau bhāī..
atri kē āśrama jaba prabhu gayaū. sunata mahāmuni haraṣita bhayaū..
pulakita gāta atri uṭhi dhāē. dēkhi rāmu ātura cali āē..
karata daṃḍavata muni ura lāē. prēma bāri dvau jana anhavāē..
dēkhi rāma chabi nayana juḍaānē. sādara nija āśrama taba ānē..
kari pūjā kahi bacana suhāē. diē mūla phala prabhu mana bhāē..

छंद
namāmi bhakta vatsalaṃ. kṛpālu śīla kōmalaṃ..
bhajāmi tē padāṃbujaṃ. akāmināṃ svadhāmadaṃ..
nikāma śyāma suṃdaraṃ. bhavāmbunātha maṃdaraṃ..
praphulla kaṃja lōcanaṃ. madādi dōṣa mōcanaṃ..
pralaṃba bāhu vikramaṃ. prabhō.pramēya vaibhavaṃ..
niṣaṃga cāpa sāyakaṃ. dharaṃ trilōka nāyakaṃ..
dinēśa vaṃśa maṃḍanaṃ. mahēśa cāpa khaṃḍanaṃ..
munīṃdra saṃta raṃjanaṃ. surāri vṛṃda bhaṃjanaṃ..
manōja vairi vaṃditaṃ. ajādi dēva sēvitaṃ..
viśuddha bōdha vigrahaṃ. samasta dūṣaṇāpahaṃ..
namāmi iṃdirā patiṃ. sukhākaraṃ satāṃ gatiṃ..
bhajē saśakti sānujaṃ. śacī patiṃ priyānujaṃ..
tvadaṃghri mūla yē narāḥ. bhajaṃti hīna matsarā..
pataṃti nō bhavārṇavē. vitarka vīci saṃkulē..
vivikta vāsinaḥ sadā. bhajaṃti muktayē mudā..
nirasya iṃdriyādikaṃ. prayāṃti tē gatiṃ svakaṃ..
tamēkamabhdutaṃ prabhuṃ. nirīhamīśvaraṃ vibhuṃ..
jagadguruṃ ca śāśvataṃ. turīyamēva kēvalaṃ..
bhajāmi bhāva vallabhaṃ. kuyōgināṃ sudurlabhaṃ..
svabhakta kalpa pādapaṃ. samaṃ susēvyamanvahaṃ..
anūpa rūpa bhūpatiṃ. natō.hamurvijā patiṃ..
prasīda mē namāmi tē. padābja bhakti dēhi mē..
paṭhaṃti yē stavaṃ idaṃ. narādarēṇa tē padaṃ..
vrajaṃti nātra saṃśayaṃ. tvadīya bhakti saṃyutā..

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