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Ram Charit Manas - Uttar Kand Part 53

राम चरित मानस - उत्तर काण्ड भाग 53

राम चरित मानस - हिन्दी

चौपाई
गयउँ उजेनी सुनु उरगारी। दीन मलीन दरिद्र दुखारी।।
गएँ काल कछु संपति पाई। तहँ पुनि करउँ संभु सेवकाई।।
बिप्र एक बैदिक सिव पूजा। करइ सदा तेहि काजु न दूजा।।
परम साधु परमारथ बिंदक। संभु उपासक नहिं हरि निंदक।।
तेहि सेवउँ मैं कपट समेता। द्विज दयाल अति नीति निकेता।।
बाहिज नम्र देखि मोहि साईं। बिप्र पढ़ाव पुत्र की नाईं।।
संभु मंत्र मोहि द्विजबर दीन्हा। सुभ उपदेस बिबिध बिधि कीन्हा।।
जपउँ मंत्र सिव मंदिर जाई। हृदयँ दंभ अहमिति अधिकाई।।

चौपाई
एक बार गुर लीन्ह बोलाई। मोहि नीति बहु भाँति सिखाई।।
सिव सेवा कर फल सुत सोई। अबिरल भगति राम पद होई।।
रामहि भजहिं तात सिव धाता। नर पावँर कै केतिक बाता।।
जासु चरन अज सिव अनुरागी। तातु द्रोहँ सुख चहसि अभागी।।
हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ।।
अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ।।
मानी कुटिल कुभाग्य कुजाती। गुर कर द्रोह करउँ दिनु राती।।
अति दयाल गुर स्वल्प न क्रोधा। पुनि पुनि मोहि सिखाव सुबोधा।।
जेहि ते नीच बड़ाई पावा। सो प्रथमहिं हति ताहि नसावा।।
धूम अनल संभव सुनु भाई। तेहि बुझाव घन पदवी पाई।।
रज मग परी निरादर रहई। सब कर पद प्रहार नित सहई।।
मरुत उड़ाव प्रथम तेहि भरई। पुनि नृप नयन किरीटन्हि परई।।
सुनु खगपति अस समुझि प्रसंगा। बुध नहिं करहिं अधम कर संगा।।
कबि कोबिद गावहिं असि नीती। खल सन कलह न भल नहिं प्रीती।।
उदासीन नित रहिअ गोसाईं। खल परिहरिअ स्वान की नाईं।।
मैं खल हृदयँ कपट कुटिलाई। गुर हित कहइ न मोहि सोहाई।।

Ram Charit Manas - English

चौपाई
gayauom ujēnī sunu uragārī. dīna malīna daridra dukhārī..
gaēom kāla kachu saṃpati pāī. tahaom puni karauom saṃbhu sēvakāī..
bipra ēka baidika siva pūjā. karai sadā tēhi kāju na dūjā..
parama sādhu paramāratha biṃdaka. saṃbhu upāsaka nahiṃ hari niṃdaka..
tēhi sēvauom maiṃ kapaṭa samētā. dvija dayāla ati nīti nikētā..
bāhija namra dēkhi mōhi sāīṃ. bipra paḍhaāva putra kī nāīṃ..
saṃbhu maṃtra mōhi dvijabara dīnhā. subha upadēsa bibidha bidhi kīnhā..
japauom maṃtra siva maṃdira jāī. hṛdayaom daṃbha ahamiti adhikāī..

चौपाई
ēka bāra gura līnha bōlāī. mōhi nīti bahu bhāomti sikhāī..
siva sēvā kara phala suta sōī. abirala bhagati rāma pada hōī..
rāmahi bhajahiṃ tāta siva dhātā. nara pāvaomra kai kētika bātā..
jāsu carana aja siva anurāgī. tātu drōhaom sukha cahasi abhāgī..
hara kahuom hari sēvaka gura kahēū. suni khaganātha hṛdaya mama dahēū..
adhama jāti maiṃ bidyā pāēom. bhayauom jathā ahi dūdha piāēom..
mānī kuṭila kubhāgya kujātī. gura kara drōha karauom dinu rātī..
ati dayāla gura svalpa na krōdhā. puni puni mōhi sikhāva subōdhā..
jēhi tē nīca baḍaāī pāvā. sō prathamahiṃ hati tāhi nasāvā..
dhūma anala saṃbhava sunu bhāī. tēhi bujhāva ghana padavī pāī..
raja maga parī nirādara rahaī. saba kara pada prahāra nita sahaī..
maruta uḍaāva prathama tēhi bharaī. puni nṛpa nayana kirīṭanhi paraī..
sunu khagapati asa samujhi prasaṃgā. budha nahiṃ karahiṃ adhama kara saṃgā..
kabi kōbida gāvahiṃ asi nītī. khala sana kalaha na bhala nahiṃ prītī..
udāsīna nita rahia gōsāīṃ. khala pariharia svāna kī nāīṃ..
maiṃ khala hṛdayaom kapaṭa kuṭilāī. gura hita kahai na mōhi sōhāī..

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