चौपाई
अस कहि जोग अगिनि तनु जारा। राम कृपाँ बैकुंठ सिधारा।।
ताते मुनि हरि लीन न भयऊ। प्रथमहिं भेद भगति बर लयऊ।।
रिषि निकाय मुनिबर गति देखि। सुखी भए निज हृदयँ बिसेषी।।
अस्तुति करहिं सकल मुनि बृंदा। जयति प्रनत हित करुना कंदा।।
पुनि रघुनाथ चले बन आगे। मुनिबर बृंद बिपुल सँग लागे।।
अस्थि समूह देखि रघुराया। पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया।।
जानतहुँ पूछिअ कस स्वामी। सबदरसी तुम्ह अंतरजामी।।
निसिचर निकर सकल मुनि खाए। सुनि रघुबीर नयन जल छाए।।
दोहा/सोरठा
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह।।9।।
चौपाई
मुनि अगस्ति कर सिष्य सुजाना। नाम सुतीछन रति भगवाना।।
मन क्रम बचन राम पद सेवक। सपनेहुँ आन भरोस न देवक।।
प्रभु आगवनु श्रवन सुनि पावा। करत मनोरथ आतुर धावा।।
हे बिधि दीनबंधु रघुराया। मो से सठ पर करिहहिं दाया।।
सहित अनुज मोहि राम गोसाई। मिलिहहिं निज सेवक की नाई।।
मोरे जियँ भरोस दृढ़ नाहीं। भगति बिरति न ग्यान मन माहीं।।
नहिं सतसंग जोग जप जागा। नहिं दृढ़ चरन कमल अनुरागा।।
एक बानि करुनानिधान की। सो प्रिय जाकें गति न आन की।।
होइहैं सुफल आजु मम लोचन। देखि बदन पंकज भव मोचन।।
निर्भर प्रेम मगन मुनि ग्यानी। कहि न जाइ सो दसा भवानी।।
दिसि अरु बिदिसि पंथ नहिं सूझा। को मैं चलेउँ कहाँ नहिं बूझा।।
कबहुँक फिरि पाछें पुनि जाई। कबहुँक नृत्य करइ गुन गाई।।
अबिरल प्रेम भगति मुनि पाई। प्रभु देखैं तरु ओट लुकाई।।
अतिसय प्रीति देखि रघुबीरा। प्रगटे हृदयँ हरन भव भीरा।।
मुनि मग माझ अचल होइ बैसा। पुलक सरीर पनस फल जैसा।।
तब रघुनाथ निकट चलि आए। देखि दसा निज जन मन भाए।।
मुनिहि राम बहु भाँति जगावा। जाग न ध्यानजनित सुख पावा।।
भूप रूप तब राम दुरावा। हृदयँ चतुर्भुज रूप देखावा।।
मुनि अकुलाइ उठा तब कैसें। बिकल हीन मनि फनि बर जैसें।।
आगें देखि राम तन स्यामा। सीता अनुज सहित सुख धामा।।
परेउ लकुट इव चरनन्हि लागी। प्रेम मगन मुनिबर बड़भागी।।
भुज बिसाल गहि लिए उठाई। परम प्रीति राखे उर लाई।।
मुनिहि मिलत अस सोह कृपाला। कनक तरुहि जनु भेंट तमाला।।
राम बदनु बिलोक मुनि ठाढ़ा। मानहुँ चित्र माझ लिखि काढ़ा।।
दोहा/सोरठा
तब मुनि हृदयँ धीर धीर गहि पद बारहिं बार।
निज आश्रम प्रभु आनि करि पूजा बिबिध प्रकार।।10।।
चौपाई
asa kahi jōga agini tanu jārā. rāma kṛpāom baikuṃṭha sidhārā..
tātē muni hari līna na bhayaū. prathamahiṃ bhēda bhagati bara layaū..
riṣi nikāya munibara gati dēkhi. sukhī bhaē nija hṛdayaom bisēṣī..
astuti karahiṃ sakala muni bṛṃdā. jayati pranata hita karunā kaṃdā..
puni raghunātha calē bana āgē. munibara bṛṃda bipula saomga lāgē..
asthi samūha dēkhi raghurāyā. pūchī muninha lāgi ati dāyā..
jānatahuom pūchia kasa svāmī. sabadarasī tumha aṃtarajāmī..
nisicara nikara sakala muni khāē. suni raghubīra nayana jala chāē..
चौपाई
muni agasti kara siṣya sujānā. nāma sutīchana rati bhagavānā..
mana krama bacana rāma pada sēvaka. sapanēhuom āna bharōsa na dēvaka..
prabhu āgavanu śravana suni pāvā. karata manōratha ātura dhāvā..
hē bidhi dīnabaṃdhu raghurāyā. mō sē saṭha para karihahiṃ dāyā..
sahita anuja mōhi rāma gōsāī. milihahiṃ nija sēvaka kī nāī..
mōrē jiyaom bharōsa dṛḍha nāhīṃ. bhagati birati na gyāna mana māhīṃ..
nahiṃ satasaṃga jōga japa jāgā. nahiṃ dṛḍha carana kamala anurāgā..
ēka bāni karunānidhāna kī. sō priya jākēṃ gati na āna kī..
hōihaiṃ suphala āju mama lōcana. dēkhi badana paṃkaja bhava mōcana..
nirbhara prēma magana muni gyānī. kahi na jāi sō dasā bhavānī..
disi aru bidisi paṃtha nahiṃ sūjhā. kō maiṃ calēuom kahāom nahiṃ būjhā..
kabahuomka phiri pāchēṃ puni jāī. kabahuomka nṛtya karai guna gāī..
abirala prēma bhagati muni pāī. prabhu dēkhaiṃ taru ōṭa lukāī..
atisaya prīti dēkhi raghubīrā. pragaṭē hṛdayaom harana bhava bhīrā..
muni maga mājha acala hōi baisā. pulaka sarīra panasa phala jaisā..
taba raghunātha nikaṭa cali āē. dēkhi dasā nija jana mana bhāē..
munihi rāma bahu bhāomti jagāvā. jāga na dhyānajanita sukha pāvā..
bhūpa rūpa taba rāma durāvā. hṛdayaom caturbhuja rūpa dēkhāvā..
muni akulāi uṭhā taba kaisēṃ. bikala hīna mani phani bara jaisēṃ..
āgēṃ dēkhi rāma tana syāmā. sītā anuja sahita sukha dhāmā..
parēu lakuṭa iva carananhi lāgī. prēma magana munibara baḍabhāgī..
bhuja bisāla gahi liē uṭhāī. parama prīti rākhē ura lāī..
munihi milata asa sōha kṛpālā. kanaka taruhi janu bhēṃṭa tamālā..
rāma badanu bilōka muni ṭhāḍhaā. mānahuom citra mājha likhi kāḍhaā..