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Ram Charit Manas - Uttar Kand Part 56

राम चरित मानस - उत्तर काण्ड भाग 56

राम चरित मानस - हिन्दी

चौपाई
तब मुनिष रघुपति गुन गाथा। कहे कछुक सादर खगनाथा।।
ब्रह्मग्यान रत मुनि बिग्यानि। मोहि परम अधिकारी जानी।।
लागे करन ब्रह्म उपदेसा। अज अद्वेत अगुन हृदयेसा।।
अकल अनीह अनाम अरुपा। अनुभव गम्य अखंड अनूपा।।
मन गोतीत अमल अबिनासी। निर्बिकार निरवधि सुख रासी।।
सो तैं ताहि तोहि नहिं भेदा। बारि बीचि इव गावहि बेदा।।
बिबिध भाँति मोहि मुनि समुझावा। निर्गुन मत मम हृदयँ न आवा।।
पुनि मैं कहेउँ नाइ पद सीसा। सगुन उपासन कहहु मुनीसा।।
राम भगति जल मम मन मीना। किमि बिलगाइ मुनीस प्रबीना।।
सोइ उपदेस कहहु करि दाया। निज नयनन्हि देखौं रघुराया।।
भरि लोचन बिलोकि अवधेसा। तब सुनिहउँ निर्गुन उपदेसा।।
मुनि पुनि कहि हरिकथा अनूपा। खंडि सगुन मत अगुन निरूपा।।
तब मैं निर्गुन मत कर दूरी। सगुन निरूपउँ करि हठ भूरी।।
उत्तर प्रतिउत्तर मैं कीन्हा। मुनि तन भए क्रोध के चीन्हा।।
सुनु प्रभु बहुत अवग्या किएँ। उपज क्रोध ग्यानिन्ह के हिएँ।।
अति संघरषन जौं कर कोई। अनल प्रगट चंदन ते होई।।

चौपाई
कबहुँ कि दुख सब कर हित ताकें। तेहि कि दरिद्र परस मनि जाकें।।
परद्रोही की होहिं निसंका। कामी पुनि कि रहहिं अकलंका।।
बंस कि रह द्विज अनहित कीन्हें। कर्म कि होहिं स्वरूपहि चीन्हें।।
काहू सुमति कि खल सँग जामी। सुभ गति पाव कि परत्रिय गामी।।
भव कि परहिं परमात्मा बिंदक। सुखी कि होहिं कबहुँ हरिनिंदक।।
राजु कि रहइ नीति बिनु जानें। अघ कि रहहिं हरिचरित बखानें।।
पावन जस कि पुन्य बिनु होई। बिनु अघ अजस कि पावइ कोई।।
लाभु कि किछु हरि भगति समाना। जेहि गावहिं श्रुति संत पुराना।।
हानि कि जग एहि सम किछु भाई। भजिअ न रामहि नर तनु पाई।।
अघ कि पिसुनता सम कछु आना। धर्म कि दया सरिस हरिजाना।।
एहि बिधि अमिति जुगुति मन गुनऊँ। मुनि उपदेस न सादर सुनऊँ।।
पुनि पुनि सगुन पच्छ मैं रोपा। तब मुनि बोलेउ बचन सकोपा।।
मूढ़ परम सिख देउँ न मानसि। उत्तर प्रतिउत्तर बहु आनसि।।
सत्य बचन बिस्वास न करही। बायस इव सबही ते डरही।।
सठ स्वपच्छ तब हृदयँ बिसाला। सपदि होहि पच्छी चंडाला।।
लीन्ह श्राप मैं सीस चढ़ाई। नहिं कछु भय न दीनता आई।।

Ram Charit Manas - English

चौपाई
taba muniṣa raghupati guna gāthā. kahē kachuka sādara khaganāthā..
brahmagyāna rata muni bigyāni. mōhi parama adhikārī jānī..
lāgē karana brahma upadēsā. aja advēta aguna hṛdayēsā..
akala anīha anāma arupā. anubhava gamya akhaṃḍa anūpā..
mana gōtīta amala abināsī. nirbikāra niravadhi sukha rāsī..
sō taiṃ tāhi tōhi nahiṃ bhēdā. bāri bīci iva gāvahi bēdā..
bibidha bhāomti mōhi muni samujhāvā. nirguna mata mama hṛdayaom na āvā..
puni maiṃ kahēuom nāi pada sīsā. saguna upāsana kahahu munīsā..
rāma bhagati jala mama mana mīnā. kimi bilagāi munīsa prabīnā..
sōi upadēsa kahahu kari dāyā. nija nayananhi dēkhauṃ raghurāyā..
bhari lōcana bilōki avadhēsā. taba sunihauom nirguna upadēsā..
muni puni kahi harikathā anūpā. khaṃḍi saguna mata aguna nirūpā..
taba maiṃ nirguna mata kara dūrī. saguna nirūpauom kari haṭha bhūrī..
uttara pratiuttara maiṃ kīnhā. muni tana bhaē krōdha kē cīnhā..
sunu prabhu bahuta avagyā kiēom. upaja krōdha gyāninha kē hiēom..
ati saṃgharaṣana jauṃ kara kōī. anala pragaṭa caṃdana tē hōī..

चौपाई
kabahuom ki dukha saba kara hita tākēṃ. tēhi ki daridra parasa mani jākēṃ..
paradrōhī kī hōhiṃ nisaṃkā. kāmī puni ki rahahiṃ akalaṃkā..
baṃsa ki raha dvija anahita kīnhēṃ. karma ki hōhiṃ svarūpahi cīnhēṃ..
kāhū sumati ki khala saomga jāmī. subha gati pāva ki paratriya gāmī..
bhava ki parahiṃ paramātmā biṃdaka. sukhī ki hōhiṃ kabahuom hariniṃdaka..
rāju ki rahai nīti binu jānēṃ. agha ki rahahiṃ haricarita bakhānēṃ..
pāvana jasa ki punya binu hōī. binu agha ajasa ki pāvai kōī..
lābhu ki kichu hari bhagati samānā. jēhi gāvahiṃ śruti saṃta purānā..
hāni ki jaga ēhi sama kichu bhāī. bhajia na rāmahi nara tanu pāī..
agha ki pisunatā sama kachu ānā. dharma ki dayā sarisa harijānā..
ēhi bidhi amiti juguti mana gunaūom. muni upadēsa na sādara sunaūom..
puni puni saguna paccha maiṃ rōpā. taba muni bōlēu bacana sakōpā..
mūḍha parama sikha dēuom na mānasi. uttara pratiuttara bahu ānasi..
satya bacana bisvāsa na karahī. bāyasa iva sabahī tē ḍarahī..
saṭha svapaccha taba hṛdayaom bisālā. sapadi hōhi pacchī caṃḍālā..
līnha śrāpa maiṃ sīsa caḍhaāī. nahiṃ kachu bhaya na dīnatā āī..

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