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जग रूठे तो रूठे रे मैहर वाली न रूठे,
शारदा भवानी मैहर वाली न रूठे,
जीवन का निष्कर्ष यही है प्रभु प्रेम
आ ही गये तो बैठो प्यारे रामकथा सुनकर
कहो मन से राजाराम रमजा चित्रकूट में ॥
रघुकुल में सूर्य समान हो तुम हे राम
असुरों के लिए कृशानु हो तुम हे राम
जद जोगी तेरे नाल भगत्ता नो टेंशन,
नो टेंशन बई नो टेंशन,
मैया के दीवाने आ गये,
चुनर में प्यार भर के शृंगार लाये हम तो
ढुंडत ढुंडत माँ के द्वारे आ गई,
मात तुम्हारी झांकी मुझको भा गई,
श्याम बंसी बजाते हो या मुझे बुलाते हो,
दीवाना बनाते हो सारी रात जगाते हो,
मेरे मन के मंदिर में मूरत है घनश्याम
मेरी सांस के इकतारे में धुन है उसी के
काहे वन में खड़े मोहन जी यूँ बंसी
के राधा को बुलाते हो या गोपियों को
नंदलाला तुमको ढूंढे हर ब्रिजवाला,
ऐसी बजाई मुरली की धुन सब अपने रंग रंग
मोतियन चौक पुरायों मोरी माई री मैया
भुहा खोल या न खोल कुंडा खड़काई जावागे,
जिह्ना मर्जी तू रूस ले मनाई जावा गये,
मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज ।
चल चलिये दरबार मैया दी चल चलिये,
चल करिए दीदार मियाँ दे चल चलिये,
जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है
अभी हमने जी भर के देखा नही है ॥
तेरे भरोसे जीवन मेरा बाबा खाटू वाले,
तुझ बिन कौन सम्बाले,
जितनी ऊंची चढ़ाई उतनी ही गहरी खाई,
पर भगतो न गबरना है माँ की चिठ्ठी आई,
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया सबकी आंखों
मन ही मन क्यों जले राधिका मोहन तो है
मैं बैरागी हूँ मेरी माँ,
चरणों में तेरे कर दियां जीवन शरण लगा
मेरी माँ से तू कहदे विनती मैं करता हु,
श्रधा से आया मैं भगती से आया मैं आया
मंगतो की दर पे भीड़ लगी है,
साई का दर तो इब ने सखी है,
यारी जदो दी फकीरा तेरे नाल लाइ आ,
मिली ओहदो तो निमानिया नू बादशाही है,
मन मेरिया तू निवा होके जीवी कदे भी
सोच ऊंची ते नजर रख निवि कदे भी हंकार न
रब जैसा दिखने वाला,
तकदीरी लिखने वाला,
पार होने के लिए हो जा उनका,
तू अँधेरा नहीं है तू है रोशन चराग़
साईं मेरा करदो बेडा पार,
झोली मेरी भर दो अब की बार,
साई के दरबार में अज़ब चमत्कार हमने
देते किसी ने न देखा झोली भरी देखि आज,
परम पिता परमात्मा की हम अमर संतान,
शांति दूत बन कर करते है हम नव युग का
ओ घाटे वाले....…...
बुलाते हैं मेरे अंसुवन, कि सिसके
रंग चढ़ गया माँ दा लाल लाल रंग चढ़ गया
आज ऐसी होइ कमाल लाल रंग चढ़ गया माँ दा
लांगुरिया तू ले चल मुझे माँ के भवन पे,
माँ के दर्शनों को तरसे मेरे नेयन रे,
तेरी किरपा से ऐ माता रानी,
काम बिगड़े मेरे बन रहे है,
बंशी बजाय गयो श्याम री मोसे नैना मिला
दिल में समाय गयो श्याम री मोसे नैना
सिय सियावल्लभ लाल की सखि आरति करिए ।
दंपति छवि अवलोकि के निज नयना धरिए ॥
ना ही सोना चांदी ना खज़ाना चाहिदा,
मेनू तेरे चरना च ठिकाना चाहिदा,
सुनले तू ध्यान से होती यहाँ चौंकी माता
स्वागत में माँ के तू ना रखना कमी,
सिद्धिविनायक अति सुख दायक सबके
कष्ट निवारे पार उतारे ऐसे उपकारी,
तेरी रहमो नजर हो गई इस कदर,
मिल गया तेरा दर तो मजा आ गया,
लौंद लाचियाँ मिला के थाल मेवों का सजा
भोग प्रेम से लगाऊ तेरी आरती माँ गा के,
जुड़ गये है मन की तार तुमसे,
शक्तियां मिल रही अपार तुमसे,
पवित्र मन रखो पवित्र तन रखो,
पवित्रता मनुष्यता की शान है,
प्यारे राम के प्यारे,प्यारे राम के
हो सिया राम के प्यारे हनुमान जी,
काली बनी महाकाल रे रूप धरे विकराल रे,
हाथ में खपर रूप भयंकर चली ग़जब की चाल
राधे राधे नाम मुखो बोल के चलो वृन्दावन
दर बांके बिहारी जी दा मलिये चलो
इन गोपियों की बात में ना आना,
मैया गोपियों की बात में ना आना,
मेरे दुखड़े हर लो बाबा जी,
प्रभु यमुना किनारे धाम तेरा,
आया शरण ठोकरें जग की खा के,
हटूंगा तभी तेरी दया दृष्टि पाके,
अहो राम गुरुवर चरण में तुम्हारे,
स्वीकारो स्वीकारो ये वंदन हमारे
मैं दास मन का, हूँ मन का पुजारी ।
मेंरा जन्म लेना विफल हो गया ॥
गोरे गोरे रंग ते उत्ते जादू कर गया
नी मैं किनू दसा नी दिल मेरा ले गया
मेरी झोली भर दो,
मेरी झोली भर दो अम्बे माँ,
दयालु दया कर दया चाहता हु,
दिखा दे तू दर्शन यही चाहता हु,
दिल कहे रुक जा रे रुक जा, यहीं पे यहीं
जो बात इस जगह में, है कहीं पे नहीं,
क्या लेके आया बन्दे,
क्या लेके जायेगा,
लड़ गई लड़ गई लड़ गई,
श्याम नाल अख्ख लड़ गई
दर दर भटकदे फिरदे सी साहनु चरनी लगाया
साहनु जाने कौन गरीबा न साडा मान वदाया
मैं चिठियााँ,,,, हो मैं चिठियााँ,,,,
मैं चिठियााँ लिख लिख हारी,
आजा आजा भोले नाथ तेरी कब का देखु बात,
मेरे भी पुरे करदे ठाठ ओ मेरे बाबा भोले
तन मन सब तेरा है एहो अरजोई है,
तनु दसा तेरे बिन माँ मेरा होर न कोई है,
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