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ओर कहीं ना जायें, ओर कहीं ना जायें,
बृज़ रजधानी छोड़ कर, ओर कहीं ना जाये...

ओर कहीं ना जायें, ओर कहीं ना जायें,
बृज़ रजधानी छोड़ कर, ओर कहीं ना जाये...


बृज रज महिमा जिसने जानीं,
उसकी बदली जीवन कहानी,
बातों में किसी की आयें,
बृज रजधानी छोड़ कर ओर कहीं ना जायें,
ओर कहीं ना जाये...

रज में लोटकर संत मुनिं जन, जीवन सफल बनायें,
श्याम भी मुख लपटायें,
बृज रजधानी छोड़ कर ओर कहीं ना जायें,
ओर कहीं ना जाये...

इस बृज रज की महिमा को, पागल भी है गाये,
धसका भी धसता जाये,
बृज रजधानी छोड़ कर ओर कहीं ना जायें,
ओर कहीं ना जाये...

ओर कहीं ना जायें, ओर कहीं ना जायें,
बृज़ रजधानी छोड़ कर, ओर कहीं ना जाये...




or kaheen na jaayen, or kaheen na jaayen,
baraz rajdhaani chhod kar, or kaheen na jaaye...

or kaheen na jaayen, or kaheen na jaayen,
baraz rajdhaani chhod kar, or kaheen na jaaye...


baraj raj mahima jisane jaaneen,
usaki badali jeevan kahaani,
baaton me kisi ki aayen,
baraj rajdhaani chhod kar or kaheen na jaayen,
or kaheen na jaaye...

raj me lotakar sant munin jan, jeevan sphal banaayen,
shyaam bhi mukh lapataayen,
baraj rajdhaani chhod kar or kaheen na jaayen,
or kaheen na jaaye...

is baraj raj ki mahima ko, paagal bhi hai gaaye,
dhasaka bhi dhasata jaaye,
baraj rajdhaani chhod kar or kaheen na jaayen,
or kaheen na jaaye...

or kaheen na jaayen, or kaheen na jaayen,
baraz rajdhaani chhod kar, or kaheen na jaaye...








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