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ना मालूम किसने बहकाया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...

ना मालूम किसने बहकाया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...


देख जब लखन लाल की बोल उठे रघुवीर,
उठो भया मुख से बोलो कहा लाग्यो तीर,
नीर नयनों भर आया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...

तुम तो सोए सुख की निद्रा प्रेम का दीप जलाए,
मेघनाथ रावण का लड़का उससे लडा नही जाए,
सामने रिच दल आया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...

हमको तो वनवास मिला था, माता के मति भंग,
तुमतो भया प्रेम के खातिर आए हमारे संग,
पिता ने बहुत समझाया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...

अवध पूरी में जाकर अपना, कैसे मुख दिखलाऊं,
लोग कहेंगे तिर्या खातिर भई को मार घवाया,
दास तुलसी ने जस गया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...

ना मालूम किसने बहकाया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...




na maaloom kisane bahakaaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...

na maaloom kisane bahakaaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...


dekh jab lkhan laal ki bol uthe rghuveer,
utho bhaya mukh se bolo kaha laagyo teer,
neer nayanon bhar aaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...

tum to soe sukh ki nidra prem ka deep jalaae,
meghanaath raavan ka ladaka usase lada nahi jaae,
saamane rich dal aaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...

hamako to vanavaas mila tha, maata ke mati bhang,
tumato bhaya prem ke khaatir aae hamaare sang,
pita ne bahut samjhaaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...

avdh poori me jaakar apana, kaise mukh dikhalaaoon,
log kahenge tirya khaatir bhi ko maar ghavaaya,
daas tulasi ne jas gaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...

na maaloom kisane bahakaaya,
pavan sut ab tak nahi aayaa...








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