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दुख में मत घबराना पंछी,ये जग दुःख का मेला है,
चाहे भीड़ भड़ी अम्बर पर उड़ना तुझे अकेला है,

दुख में मत घबराना पंछी,ये जग दुःख का मेला है,
चाहे भीड़ भड़ी अम्बर पर उड़ना तुझे अकेला है,

नन्हे कोमल पंख ये तेरे और गगन की ये दुरी,
बैठ गया तो कैसे होगी मन की अभिलाषा पूरी,
उसका नाम अमर है जग में जिसने संकट खेला है
चाहे भीड़ भड़ी अम्बर पर उड़ना तुझे अकेला है,

चतुर शिकारी ने रखा है जाल बिछा कर पग पग पर,
फस मत जाना भूल से पगले पश्तायेगा जीवन भर,
मोह माया में तू मत फसना बड़ा समज का खेला है,
चाहे भीड़ भड़ी अम्बर पर उड़ना तुझे अकेला है,

जब तक सूरज आसमान पर बढ़ता चल तू बढ़ता चल,
गिर जायगे अन्धकार जब बड़ा कठिन हो गा पल पल,
किसे पता की उड़ जाने की आ जाती कब वेला है,
चाहे भीड़ भड़ी अम्बर पर उड़ना तुझे अकेला है,



dukh me mat gabrana panshi

dukh me mat ghabaraana panchhi,ye jag duhkh ka mela hai,
chaahe bheed bhadi ambar par udana tujhe akela hai


nanhe komal pankh ye tere aur gagan ki ye duri,
baith gaya to kaise hogi man ki abhilaasha poori,
usaka naam amar hai jag me jisane sankat khela hai
chaahe bheed bhadi ambar par udana tujhe akela hai

chatur shikaari ne rkha hai jaal bichha kar pag pag par,
phas mat jaana bhool se pagale pashtaayega jeevan bhar,
moh maaya me too mat phasana bada samaj ka khela hai,
chaahe bheed bhadi ambar par udana tujhe akela hai

jab tak sooraj aasamaan par badahata chal too badahata chal,
gir jaayage andhakaar jab bada kthin ho ga pal pal,
kise pata ki ud jaane ki a jaati kab vela hai,
chaahe bheed bhadi ambar par udana tujhe akela hai

dukh me mat ghabaraana panchhi,ye jag duhkh ka mela hai,
chaahe bheed bhadi ambar par udana tujhe akela hai




dukh me mat gabrana panshi Lyrics





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