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सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ||आदि सृष्टि मे विधि को श्रुति उपदेश दिया |
जीव मात्रा का जाग मे, ज्ञान विकास किया ||ऋषि अंगीरा ताप से, शांति नहीं पाई |

सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ||आदि सृष्टि मे विधि को श्रुति उपदेश दिया |
जीव मात्रा का जाग मे, ज्ञान विकास किया ||ऋषि अंगीरा ताप से, शांति नहीं पाई |
रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रया लीना |
संकट मोचन बनकर डोर दुःखा कीना ||
जय श्री विश्वकर्मा. जब रथकार दंपति, तुम्हारी टर करी |
सुनकर दीं प्रार्थना, विपत हरी सागरी || एकानन चतुरानन, पंचानन राजे |
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे ||ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे |
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ||श्री विश्वकर्मा की आरती जो कोई गावे |
भाजात गजानांद स्वामी, सुख संपाति पावे ||
जय श्री विश्वकर्मा.



Jai Shree Viswakarma - Viswakarma Aarti By Jagjit Singh

sakal sarashti ke karata, rakshk stuti dharma ||aadi sarashti me vidhi ko shruti upadesh diya |
jeev maatra ka jaag me, gyaan vikaas kiya ||rishi angeera taap se, shaanti nahi paai |
rog grast raaja ne jab aashrya leena |
sankat mochan banakar dor duhkha keena ||
jay shri vishvakarmaa. jab rthakaar danpati, tumhaari tar kari |
sunakar deen praarthana, vipat hari saagari || ekaanan chaturaanan, panchaanan raaje |
tribhuj chaturbhuj dshbhuj, sakal roop saje ||dhayaan dhare tab pad ka, sakal siddhi aave |
man dvividha mit jaave, atal shakti paave ||shri vishvakarma ki aarati jo koi gaave |
bhaajaat gajaanaand svaami, sukh sanpaati paave ||
jay shri vishvakarmaa.







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सादर भारत शीश धरी लीन्ही
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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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