मैं मिलन की प्यासी धारा, मैं मिलन की प्यासी धारा....
तुम रस के सागर रसिया हो, तुम रस के सागर रसिया हो
तेरे रूप के भूप सलोने, तेरे रूप के भूप सलोने,
तेरी इक नज़र हज़ारों टोने, तेरी इक नज़र हज़ारों टोने..
मैं आई....... मैं आई तेरी ही होने.....
मैं आई... अपन को खोने
मैं आई.... हृदय को धोने
हिय लग गया बाण करारा, हिय में लग गया बाण करारा
मैं तो मिलन की प्यासी धारा, मैं तो मिलन की प्यासी धारा......
तुम रस के सागर रसिया हो, तुम रस के सागर रसिया हो
मैं मिलन की प्यासी धारा, मैं तो मिलन की प्यासी धारा
हे हरि, हे हरीईईई, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि.....
आशा लागे, प्यारे..... आशा लागी मिलन की.....
अब आशा लागी मिलन की.....अब आशा लगी मिलन की
मेरे जन्म- जन्म के मीत.......मेरे जन्म - जन्म के मीत
अपने मोहन लाल सौं.......
क्षण- क्षण बाढ़े प्रीत, क्षण- क्षण बाढ़े प्रीत
लगे जग खारा - खारा, लगी खोजने कुंज - कुंज
नैनन बहे धारा, नैनन बहे धारा...
लगी खोजने कुंज - कुंज, नैनन बहे धारा
मेरी प्रार्थना क्या
मेरा हृदय बना दो......हृदय बना दो सरस छबीले.....
(धारा का स्वरूप क्या - जो बह सके, लेकिन मैं जड़ हूँ)
हृदय बना दो सरस छबीले.....
मुझे हरि बंधावो धीर, मोहे हरि बंधावो धीर
(न जाने रास्ते में कितनी रूकावटें आएं)
मिलन की लागी आशा, मिलन की लागी आशा
मिलन की लागी आशा, मिलन की लागी आशा
(यह प्रार्थना आपसे क्यों)
ऐसे लगता है पहले भी, हुआ है मिलन हमारा - तुम्हारा
ऐसे लगता है पहले भी, हुआ है मिलन हमारा - तुम्हारा
तुम गहरे नीले सागर, तुम गहरे नीले सागर
मैं मिलन की प्यासी धारा, मैं मिलन की प्यासी धारा
(यह मिलन क्यों हुआ?)
धारा का रूप है सागर, सागर का अंश है धारा
धारा का रूप है सागर, सागर का अंश है धारा
ऐसे लगता है पहले भी.... हुआ है मिलन हमारा - तुम्हारा
ऐसे लगता है पहले भी.... हुआ है मिलन हमारा - तुम्हारा
(और यह बहती धारा कहती क्या है)
तुम रस के सागर रसिया हो, तुम रस के सागर रसिया हो
मैं तो मिलन की प्यासी धारा, मैं मिलन की प्यासी धारा
हे हरिईईईईई, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि.......
जिस अपने मन के मंदिर में, जिस अपने मन के मंदिर में
मैं याद की सेज बिछाती हूँ, मैं याद की सेज बिछाती हूँ
और विविध भाँति के भाव पुष्प, ले - लेकर हार बनाती हूँ
ले - लेकर हार बनाती हूँ।
(यह भाव कहते क्या हैं ?)
वो करते होंगे याद कभी, वो करते होंगे याद कभी
सिर्फ मैं ही तो नहीं, अगर ये जन्म-जन्म की प्रीत है,
वो भी तो कभी याद करते होंगे, करते होंगे याद कभी
ऐसे अनुमान लगाती हूँ, ऐसे अनुमान लगाती हूँ
मेरो मन मंदिर , आबाद होवेगो,
मोहे साजन आ अपनावेगो, मोहे साजन आ अपनावेगो
सखी, कबहु इन नैनन को सुख पावेगो
इन अखियन को सुख पावेगो...
लेकिन मैं निरंतर बहते हुए यही कहूँगी......
मैं तो मिलन की प्यासी धारा, मैं तो मिलन की प्यासी धारा....
तुम रस के सागर रसिया हो, तुम रस के सागर रसिया हो......
तेरे रूप के भूप सलोने, तेरे रूप के भूप सलोने....
तेरी इक नज़र हज़ारों टोने, तेरी इक नज़र हज़ारों टोने...
इक नज़र हज़ारों टोने.......
मैं आईईईईईई , मैं आई तेरी ही होने,
मैं आई हृदय को धोने, मैं आई हृदय को धोने.....
मैं आई अपन को खोने, हृदय को धोने, तेरी ही होने, अपन को खोने
हिय में लग गया बाण करारा, हिय में लग गया बाण करारा
मैं तो मिलन की प्यासी धारा, मैं तो मिलन की प्यासी धारा....
तुम रस के सागर रसिया हो, तुम रस के सागर रसिया हो
मैं तो मिलन की प्यासी धारा, मैं तो मिलन की प्यासी धारा।