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माता ब्रह्मचारिणी मंत्र

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥  (

ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं। देवी ने नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी कहा गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान शिव तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे।



mata brahmacharini mantara

ddhaana kar padmaabhyaamakshmaala kamandaloo.
devi praseedatu mayi brahamchaarinyanuttamaa..  (

brahamchaarini ka arth tap ki chaarini yaani tap ka aacharan karane vaali. yah roop poorn jyotirmay aur atyant bhavy hai. is devi ke daaen haath me jap ki maala hai aur baaen haath me yah kamandal dhaaran kie hain. devi ne naaradaji ke upadesh se bhagavaan shankar ko pati roop me praapt karane ke lie ghor tapasya ki thi. is kthin tapasya ke kaaran inhen tapashchaarini arthaat brahamchaarini kaha gayaa. ek hajaar varsh tak inhonne keval phal-phool khaakar bitaae aur sau varshon tak keval jameen par rahakar shaak par nirvaah kiyaa. kuchh dinon tak kthin upavaas rkhe aur khule aakaash ke neeche varsha aur dhoop ke ghor kasht sahe. teen hajaar varshon tak toote hue bilv patr khaae aur bhagavaan shankar ki aaraadhana karati raheen. isake baad to unhonne sookhe bilv patr khaana bhi chhod die. ki hajaar varshon tak nirjal aur niraahaar rah kar tapasya karati raheen. patton ko khaana chhod dene ke kaaran hi inaka naam aparna naam pad gayaa. kthin tapasya ke kaaran devi ka shareer ekadam ksheen ho gayaa. devata, rishi, siddhagan, muni sbhi ne brahamchaarini ki tapasya ko abhootapoorv puny krity bataaya, saraahana ki aur kahaa- he devi aaj tak kisi ne is tarah ki kthor tapasya nahi ki. yah tumheen se hi sanbhav thi. tumhaari manokaamana paripoorn hogi aur bhagavaan shiv tumhen pati roop me praapt honge.







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