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मोर पंख को संवारिये ने इतना दिया समान,
शीश पे दाहरण करके देदी नई पहचान,

मोर पंख को संवारिये ने इतना दिया समान,
शीश पे दाहरण करके देदी नई पहचान,

इस के बिना शृंगार अधूरा लगता है,
शीश मुकट भी सुना सुना लगता है,
कही गुन्हा बढ़ जाती इससे संवारिये की शान,
शीश पे दाहरण करके देदी नई पहचान,
मोर पंख को सांवरियां ने.........

मोर पंख की किस्मत का क्या केहना है,
संवारिये के मुकट का ये गहना है,
ऐसा लगता पिशले जनम के थे कोई एहसान,
शीश पे दाहरण करके देदी नई पहचान,
मोर पंख को सांवरियां ने ...

सारे जग में मोर ही ऐसा प्राणी है,
रखता है निष्काम भाव बड़ा ज्ञानी है,
कहे मोहित खुश होके श्याम ने खूब दिया है मान,
शीश पे दाहरण करके देदी नई पहचान,
मोर पंख को सांवरियां ने  



mor pankh ko sanwariye ne itna diya samaan shesh pe dahran karke dedi nai pehchaan

mor pankh ko sanvaariye ne itana diya samaan,
sheesh pe daaharan karake dedi ni pahchaan


is ke bina sharangaar adhoora lagata hai,
sheesh mukat bhi suna suna lagata hai,
kahi gunha badah jaati isase sanvaariye ki shaan,
sheesh pe daaharan karake dedi ni pahchaan,
mor pankh ko saanvariyaan ne...

mor pankh ki kismat ka kya kehana hai,
sanvaariye ke mukat ka ye gahana hai,
aisa lagata pishale janam ke the koi ehasaan,
sheesh pe daaharan karake dedi ni pahchaan,
mor pankh ko saanvariyaan ne ...

saare jag me mor hi aisa praani hai,
rkhata hai nishkaam bhaav bada gyaani hai,
kahe mohit khush hoke shyaam ne khoob diya hai maan,
sheesh pe daaharan karake dedi ni pahchaan,
mor pankh ko saanvariyaan ne  

mor pankh ko sanvaariye ne itana diya samaan,
sheesh pe daaharan karake dedi ni pahchaan




mor pankh ko sanwariye ne itna diya samaan shesh pe dahran karke dedi nai pehchaan Lyrics





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