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संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले,
मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले,

संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले,
मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले,

नई चेतना का स्वर दे कर जनमानस को नया मोड दे,
साहस शौर्य हृदय मे भर कर नयी शक्ति का नया छोर दे,
संघशक्ति के महा घोष से असुरो का संसार दले,

परहित का आदर्श धार कर परपीडा को ह्रिदय हार दे,
निश्चल निर्मल मन से सब को ममता का अक्षय दुलार दे,
निशा निराशा के सागर मे बन आशा के कमल खिले,

जन मन भावुक भाव भक्ति है परंपरा का मान यहा,
भारत माँ के पदकमलो का गाते गौरव गान यहा,
सब के सुख दुख मे समरस हो संघ मन्त्र के भाव पले,



sangh kiran ghar ghar dane ko

sangh kiran ghar ghar dene ko aganit nandaadeep jale,
maun tapasvi saadhak ban kar himagiri sa chupchaap gale


ni chetana ka svar de kar janamaanas ko naya mod de,
saahas shaury haraday me bhar kar nayi shakti ka naya chhor de,
sanghshakti ke maha ghosh se asuro ka sansaar dale

parahit ka aadarsh dhaar kar parapeeda ko hariday haar de,
nishchal nirmal man se sab ko mamata ka akshy dulaar de,
nisha niraasha ke saagar me ban aasha ke kamal khile

jan man bhaavuk bhaav bhakti hai paranpara ka maan yaha,
bhaarat ma ke padakamalo ka gaate gaurav gaan yaha,
sab ke sukh dukh me samaras ho sangh mantr ke bhaav pale

sangh kiran ghar ghar dene ko aganit nandaadeep jale,
maun tapasvi saadhak ban kar himagiri sa chupchaap gale




sangh kiran ghar ghar dane ko Lyrics





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