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मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की

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खाटू का कण कण यही बोले,
जय श्री श्याम जय श्री श्याम,
भोले जी तेरी एक ना मानूंगी, भांग तेरी
धुनः: जो राम को लाये हैं...
रच डारे, भर दिये भंडार ये जग ल रच डारे,
‌हे जग के सिरमौतिन दाई, अजब हवय वो तोर
जिसको जीवन में मिला सत्संग हैं,
उसको हर पल आनंद ही आनंद है