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सीता माता ने किया है पिंडदान गवाही याकी कौन भरे...

सीता माता ने किया है पिंडदान गवाही याकी कौन भरे...

कर स्नान राम जी आए नदी किनारे पास,
करने लगे जब पिंडदान तो सीता ने दिया है बताएं,
गवाही याकि कौन भरे...

सीता जी श्री राम से बोले सुनो प्रभु मेरी बात,
पिंडदान हमने कर दीना नदिया किनारे पास,
गवाही याकि कौन भरे...

श्री राम सीता से बोले सुनो सिया मेरी बात,
कैसे हम को होय भरोसा तुमने किया है पिंडदान,
गवाही याकि कौन भरे...

गवाह है हमारे स्वामी जो मेरे हैं पास,
नदी ब्राह्मण गाय और काका बरगद हमारे साथ,
गवाही मेरी ऐ ही भरे...

श्री राम से पंडित बोले मैंने देखो नाय,
गाय कहे मैं चरने चली गई मैंने भी देखो है नाय,
गवाही याकि कौन भरे...

नदी कहे मैंने नहीं देखा कागा नैन चुराए,
चार गवाह तो झूठे पड़ गए सीता जी मन घबराए,
गवाही मेरी कौन भरे...

अब बारी बरगद की आई वृक्ष ने दई गवाही,
बोला वृक्ष मैंने देखा है सीता ने कियो पिंडदान,
गवाही याकि हम ही भरें...

नदी को श्राप दिया सीता ने सुखी सदा रह जाऐ,
और काका से बोली मैया भूखा मरे बेमौत
गवाही मेरी झूठी रे भरे...

अब सीता पंडित से बोली सुन पंडित मेरी बात,
कभी ना तुम संतुष्ट रहोगे कभी ना भरे तुम्हारा पेट,
गवाही  मेरी झुठी रे भरे...

गैया से सीता ने बोला सुन गैया मेरी बात,
कलयुग में घरघर में तू जाएगी झुठन खावेगी दिन रात,
गवाही मेरी झूठी ये भरे...

फिर सीता ने बट वृक्ष को दिया आशीर्वाद,
सालों साल तुम्हारे रहोगे सती करेंगी पूजा पाठ,
गवाही मेरी साची रे भरे...

सीता माता ने किया है पिंडदान गवाही याकी कौन भरे...



seeta maata ne kiya hai pindadaan gavaahi yaaki kaun bhare...

seeta maata ne kiya hai pindadaan gavaahi yaaki kaun bhare...

kar snaan ram ji aae nadi kinaare paas,
karane lage jab pindadaan to seeta ne diya hai bataaen,
gavaahi yaaki kaun bhare...

seeta ji shri ram se bole suno prbhu meri baat,
pindadaan hamane kar deena nadiya kinaare paas,
gavaahi yaaki kaun bhare...

shri ram seeta se bole suno siya meri baat,
kaise ham ko hoy bharosa tumane kiya hai pindadaan,
gavaahi yaaki kaun bhare...

gavaah hai hamaare svaami jo mere hain paas,
nadi braahaman gaay aur kaaka baragad hamaare saath,
gavaahi meri ai hi bhare...

shri ram se pandit bole mainne dekho naay,
gaay kahe maincharane chali gi mainne bhi dekho hai naay,
gavaahi yaaki kaun bhare...

nadi kahe mainne nahi dekha kaaga nain churaae,
chaar gavaah to jhoothe pad ge seeta ji man ghabaraae,
gavaahi meri kaun bhare...

ab baari baragad ki aai vriksh ne di gavaahi,
bola vriksh mainne dekha hai seeta ne kiyo pindadaan,
gavaahi yaaki ham hi bharen...

nadi ko shraap diya seeta ne sukhi sada rah jaaai,
aur kaaka se boli maiya bhookha mare bemaut
gavaahi meri jhoothi re bhare...

ab seeta pandit se boli sun pandit meri baat,
kbhi na tum santusht rahoge kbhi na bhare tumhaara pet,
gavaahi  meri jhuthi re bhare...

gaiya se seeta ne bola sun gaiya meri baat,
kalayug me gharghar me too jaaegi jhuthan khaavegi din raat,
gavaahi meri jhoothi ye bhare...

phir seeta ne bat vriksh ko diya aasheervaad,
saalon saal tumhaare rahoge sati karengi pooja paath,
gavaahi meri saachi re bhare...

seeta maata ne kiya hai pindadaan gavaahi yaaki kaun bhare...







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