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दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अखियाँ प्यासी रे

दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अखियाँ प्यासी रे,
मन मंदिर की ज्योत जगा दो घट घट वासी रे,
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अखियाँ प्यासी रे,

मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दिखे सूरत तेरी ,
युग बीते न आई मिल्न की पूरणमाशी रे
दर्शन दो घनश्याम

द्वार दया का तू जब खोले पंचम स्वर में गूंगा बोले,
अँधा देखे लंगड़ा चल चल पोंछे काशी रे
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अखियाँ प्यासी रे,

पानी पी कर प्यास बुजाऊ नैनं को कैसे समजाऊ
आँख मचोलो छोड़ो अब तो मन के हासी रे,
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अखियाँ प्यासी रे,



darshan do ghanshyam nath mori akhiyan pyaasi re

darshan do ghanashyaam naath mori akhiyaan pyaasi re,
man mandir ki jyot jaga do ghat ghat vaasi re,
darshan do ghanashyaam naath mori akhiyaan pyaasi re


mandir mandir moorat teri phir bhi n dikhe soorat teri ,
yug beete n aai miln ki pooranamaashi re
darshan do ghanashyaam

dvaar daya ka too jab khole pancham svar me goonga bole,
andha dekhe langada chal chal ponchhe kaashi re
darshan do ghanashyaam naath mori akhiyaan pyaasi re

paani pi kar pyaas bujaaoo nainan ko kaise samajaaoo
aankh mcholo chhodo ab to man ke haasi re,
darshan do ghanashyaam naath mori akhiyaan pyaasi re

darshan do ghanashyaam naath mori akhiyaan pyaasi re,
man mandir ki jyot jaga do ghat ghat vaasi re,
darshan do ghanashyaam naath mori akhiyaan pyaasi re




darshan do ghanshyam nath mori akhiyan pyaasi re Lyrics





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