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श्री भीष्म उवाच –

श्री भीष्म उवाच –

इति मतिरुपकल्पिता वितृष्णा भगवति सात्वत पुङ्गवे विभूम्नि । स्वसुखमुपगते क्वचिद्विहर्तुं प्रकृतिमुपेयुषि यद्भवप्रवाहः ॥१॥

त्रिभुवनकमनं तमालवर्णं रविकर गौरवराम्बरं दधाने । वपुरल ककुला वृताननाब्जं विजयसखे रतिरस्तु मेऽनवद्या ॥२ ॥

युधि तुरगरजो विधूम्रविष्वक्क चलुलितश्रम वार्यलंकृतास्ये । मम निशितशरै र्विभिद्यमान त्वचि विलसत्कवचेऽस्तु कृष्ण आत्मा ॥३॥
सपदि सखिवचो निशम्य मध्ये निज परयोर बलयो रथं निवेश्य । स्थितवति परसैनिका युरक्ष्णा हृतवति पार्थ सखे रतिर्ममास्तु ॥४॥

व्यवहित पृथनामुखं निरीक्ष्य स्वजनवधाद्विमुखस्य दोषबुद्ध्या। कुमतिम हरदात्म विद्यया यश्चरणरतिः परमस्य तस्य मेऽस्तु ॥५॥

स्वनिगम मपहाय मत्प्रतिज्ञा मृतमधिकर्तुमवप्लुतो रथस्थः । धृतरथचरणोऽभ्ययाच्चलत्गुः हरिरिव हन्तुमिभं गतोत्तरीयः ॥६॥


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pusptaagraa chhand

shri bheeshm uvaach

iti matirupakalpita vitarashna bhagavati saatvat pungave vibhoomni . svasukhamupagate kvchidvihartun prakritimupeyushi yadbhavapravaahah ..1..

tribhuvanakamanan tamaalavarnan ravikar gauravarambaran ddhaane . vapural kakula vritaananaabjan vijayaskhe ratirastu me'navadya ..2 ..

yudhi turagarajo vidhoomravishvakk chalulitashrm vaaryalankritaasye . mam nishitsharai rvibhidyamaan tvchi vilasatkavche'stu krishn aatma ..3..
sapadi skhivcho nishamy mdhaye nij parayor balayo rthan niveshy . sthitavati parasainika yurakshna haratavati paarth skhe ratirmamaastu ..4..

vyavahit parthanaamukhan nireekshy svajanavdhaadvimukhasy doshabuddhayaa. kumatim haradaatm vidyaya yashcharanaratih paramasy tasy me'stu ..5..

svanigam mapahaay matpratigya maratamdhikartumavapluto rthasthah . dharatarthcharano'bhyayaachchalatguh haririv hantumibhan gatottareeyah ..6..


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