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राम को देख कर श्री जनक नंदिनी

राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी-
राम देखे सिया माँ सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥

थे जनक पुर गये देखने के लिए,
सारी सखियाँ झरोखो से झाँकन लगे -
देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की,
जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी॥
॥श्री  राम को देख कर के श्री जनक नंदिनी...॥

बोली एक सखी राम को देखकर,
रच गयी है विधाता ने जोड़ी सुघर।
पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर,
मन में शंका बनी की बनी रह गयी॥
॥श्री  राम को देख कर के श्री जनक नंदिनी...॥

बोली दूसरी सखी छोटन देखन में है,
फिर चमत्कार इनका नहीं जानती।
एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी,
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी॥
॥श्री  राम को देख कर के श्री जनक नंदिनी...॥

राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥



ram ko dekhkar shri janak nandini

ram ko dekh kar ke janak nandini,
baag me vo khadi ki khadi rah gayee
ram dekhe siya ma siya ram ko,
chaaro ankhia ladi ki ladi rah gayi..


the janak pur gaye dekhane ke lie,
saari skhiyaan jharokho se jhaankan lage
dekhate hi najar mil gayi prem ki,
jo jahaan thi khadi ki khadi rah gayi..
..shri  ram ko dekh kar ke shri janak nandini.....

boli ek skhi ram ko dekhakar,
rch gayi hai vidhaata ne jodi sughar
par dhanush kaise todenge vaare kunvar,
man me shanka bani ki bani rah gayi..
..shri  ram ko dekh kar ke shri janak nandini.....

boli doosari skhi chhotan dekhan me hai,
phir chamatkaar inaka nahi jaanatee
ek hi baan me taadika raakshsi,
uth saki na padi ki padi rah gayi..
..shri  ram ko dekh kar ke shri janak nandini.....

ram ko dekh kar ke janak nandini,
baag me vo khadi ki khadi rah gayee
ram dekhe siya ko siya ram ko,
chaaro ankhia ladi ki ladi rah gayi..

ram ko dekh kar ke janak nandini,
baag me vo khadi ki khadi rah gayee
ram dekhe siya ma siya ram ko,
chaaro ankhia ladi ki ladi rah gayi..




ram ko dekhkar shri janak nandini Lyrics





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