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श्री खाटू श्याम चालीसा

जय हो सुंदर श्याम हमारे, मोर मुकुट मणिमय हो धारे।
कानन के कुंडल मन मोहे, पीत वस्त्र कटि बंधन सोहे।

गले में सोहत सुंदर माला, सांवरी सूरत भुजा विशाला।
तुम हो तीन लोक के स्वामी, घट-घट के हो अंतरयामी।

पद्मनाभ विष्णु अवतारी, अखिल भुवन के तुम रखवारी।
खाटू में प्रभु आप बिराजे, दर्शन करत सकल दुख भाजे।

रजत सिंहासन आय सोहते, ऊपर कलशा स्वर्ण मोहते।
अगम अनूप अच्युत जगदीशा, माधव सुर नर सुरपति ईशा।

बाज नौबत शंख नगारे, घंटा झालर अति झनकारे।
माखन-मिश्री भोग लगावे, नित्य पुजारी चंवर ढुलावे।

जय-जयकार होत सब भारी, दुख बिसरत सारे नर-नारी।
जो कोई तुमको मन से ध्याता, मनवांछित फल वो नर पाता।

जन-मन-गण अधिनायक तुम हो, मधुमय अमृतवाणी तुम हो।
विद्या के भंडार तुम्हीं हो, सब ग्रंथन के सार तुम्हीं हो।

आदि और अनादि तुम हो, कविजन की कविता में तुम हो।
नीलगगन की ज्योति तुम हो, सूरज-चांद-सितारे तुम हो।

तुम हो एक अरु नाम अपारा, कण-कण में तुमरा विस्तारा।
भक्तों के भगवान तुम्हीं हो, निर्बल के बलवान तुम्हीं हो।

तुम हो श्याम दया के सागर, तुम हो अनंत गुणों के सागर।
मन दृढ़ राखि तुम्हें जो ध्यावे, सकल पदारथ वो नर पावे।

तुम हो प्रिय भक्तों के प्यारे, दीन-दुखी जन के रखवारे।
पुत्रहीन जो तुम्हें मनावें, निश्चय ही वो नर सुत पावें।

जय-जय-जय श्री श्याम बिहारी, मैं जाऊं तुम पर बलिहारी।
जन्म-मरण सों मुक्ति दीजे, चरण-शरण मुझको रख लीजे।

प्रात: उठ जो तुम्हें मनावें, चार पदार्थ वो नर पावें।
तुमने अधम अनेकों तारे, मेरे तो प्रभु तुम्हीं सहारे।

मैं हूं चाकर श्याम तुम्हारा, दे दो मुझको तनिक सहारा।
कोढ़ि जन आवत जो द्वारे, मिटे कोढ़ भागत दुख सारे।

नयनहीन तुम्हारे ढिंग आवे, पल में ज्योति मिले सुख पावे।
मैं मुर्ख अति ही खल कामी, तुम जानत सब अंतरयामी।

एक बार प्रभु दरसन दीजे, यही कामना पूरण कीजे।
जब-जब जनम प्रभु मैं पाऊं, तब चरणों की भक्ति पाऊं।

मैं सेवक तुम स्वामी मेरे, तुम हो पिता पुत्र हम तेरे।
मुझको पावन भक्ति दीजे, क्षमा भूल सब मेरी कीजे।

पढ़े श्याम चालीसा जोई, अंतर में सुख पावे सोई।
सात पाठ जो इसका करता, अन्न-धन से भंडार है भरता।

जो चालीसा नित्य सुनावे, भूत-पिशाच निकट नहिं आवे।
सहस बार जो इसको गावहि, निश्चय वो नर मुक्ति पावहि।

किसी रूप में तुमको ध्यावे, मन चाहा फल वो नर पावे।
आप बसो हिर्दय प्रभु मेरे, राखो लाज शरण मैं तेरे।



shree khatu shyam chalisa

jay ho sundar shyaam hamaare, mor mukut manimay ho dhaare
kaanan ke kundal man mohe, peet vastr kati bandhan sohe


gale me sohat sundar maala, saanvari soorat bhuja vishaalaa
tum ho teen lok ke svaami, ghatghat ke ho antarayaamee

padmanaabh vishnu avataari, akhil bhuvan ke tum rkhavaaree
khatu me prbhu aap biraaje, darshan karat sakal dukh bhaaje

rajat sinhaasan aay sohate, oopar kalsha svarn mohate
agam anoop achyut jagadeesha, maadhav sur nar surapati eeshaa

baaj naubat shankh nagaare, ghanta jhaalar ati jhanakaare
maakhanamishri bhog lagaave, nity pujaari chanvar dhulaave

jayajayakaar hot sab bhaari, dukh bisarat saare naranaaree
jo koi tumako man se dhayaata, manavaanchhit phal vo nar paataa

janamanagan adhinaayak tum ho, mdhumay amaratavaani tum ho
vidya ke bhandaar tumheen ho, sab granthan ke saar tumheen ho

aadi aur anaadi tum ho, kavijan ki kavita me tum ho
neelagagan ki jyoti tum ho, soorajchaandasitaare tum ho

tum ho ek aru naam apaara, kanakan me tumara vistaaraa
bhakton ke bhagavaan tumheen ho, nirbal ke balavaan tumheen ho

tum ho shyaam daya ke saagar, tum ho anant gunon ke saagar
man daradah raakhi tumhen jo dhayaave, sakal padaarth vo nar paave

tum ho priy bhakton ke pyaare, deenadukhi jan ke rkhavaare
putrheen jo tumhen manaaven, nishchay hi vo nar sut paaven

jayajayajay shri shyaam bihaari, mainjaaoon tum par balihaaree
janmamaran son mukti deeje, charansharan mujhako rkh leeje

praat: uth jo tumhen manaaven, chaar padaarth vo nar paaven
tumane adham anekon taare, mere to prbhu tumheen sahaare

mainhoon chaakar shyaam tumhaara, de do mujhako tanik sahaaraa
kodahi jan aavat jo dvaare, mite kodah bhaagat dukh saare

nayanaheen tumhaare dhing aave, pal me jyoti mile sukh paave
mainmurkh ati hi khal kaami, tum jaanat sab antarayaamee

ek baar prbhu darasan deeje, yahi kaamana pooran keeje
jabajab janam prbhu mainpaaoon, tab charanon ki bhakti paaoon

mainsevak tum svaami mere, tum ho pita putr ham tere
mujhako paavan bhakti deeje, kshma bhool sab meri keeje

padahe shyaam chaaleesa joi, antar me sukh paave soee
saat paath jo isaka karata, anndhan se bhandaar hai bharataa

jo chaaleesa nity sunaave, bhootapishaach nikat nahin aave
sahas baar jo isako gaavahi, nishchay vo nar mukti paavahi

kisi roop me tumako dhayaave, man chaaha phal vo nar paave
aap baso hirday prbhu mere, raakho laaj sharan maintere

jay ho sundar shyaam hamaare, mor mukut manimay ho dhaare
kaanan ke kundal man mohe, peet vastr kati bandhan sohe




shree khatu shyam chalisa Lyrics





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