खाटू नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे,
दुल्हा तो बनेगा श्याम,
हम नाचे गायेंगे,
खाटु नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे...
कलकत्ता लंदन के,
फूलों से सजायेंगे,
अपने हाथों से श्याम,
तुझे इतर लगायेंगे,
खाटु नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे...
जयपुर के साफे से तुझे,
पगड़ी पहनायेंगे,
मुम्बई के डायमंड से,
तुझे हार पहनायेंगे,
खाटु नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे...
तेरे खाटु में प्रेमी,
सब मस्ती में नाचेंगे,
ले हाथों में निशान,
सब घूमर घालेंगे,
खाटु नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे...
तेरे नजर लगे ना श्याम,
काला टिका लगायेंगे,
तेरी सेवा मिल जाये श्याम,
‘अमित’ गुण गायेगा,
खाटु नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे...
खाटू नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे,
दुल्हा तो बनेगा श्याम,
हम नाचे गायेंगे,
खाटु नगरी को हम,
दुल्हन सा सजायेंगे...
khatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge,
dulha to banega shyaam,
ham naache gaayenge,
khaatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge...
kalakatta landan ke,
phoolon se sajaayenge,
apane haathon se shyaam,
tujhe itar lagaayenge,
khaatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge...
jayapur ke saaphe se tujhe,
pagadi pahanaayenge,
mumbi ke daayamand se,
tujhe haar pahanaayenge,
khaatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge...
tere khaatu me premi,
sab masti me naachenge,
le haathon me nishaan,
sab ghoomar ghaalenge,
khaatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge...
tere najar lage na shyaam,
kaala tika lagaayenge,
teri seva mil jaaye shyaam,
amit gun gaayega,
khaatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge...
khatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge,
dulha to banega shyaam,
ham naache gaayenge,
khaatu nagari ko ham,
dulhan sa sajaayenge...