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ॐ श्री श्याम देवाय नमः,
ॐ श्री श्याम देवायन नमः,

ॐ श्री श्याम देवाय नमः,
ॐ श्री श्याम देवायन नमः,
श्री श्याम प्रभु की जिस घर में,
हां ज्योत जगाई जाती है,
श्री श्याम, श्री श्याम,
जय श्री श्याम,
श्री श्याम प्रभु की जिस घर में,
हां ज्योत जगाई जाती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं...


जो रोज सवेरे उठ करके,
मेरे श्याम को शीश नवाते हैं,
जो नाम श्याम का लेकर के ही,
घर से बाहर जाते हैं,
ज्योति की भभूति श्रद्धा से,
माथेँ पे लगाई जाती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं...

जिस घर में श्याम को भोग लगा,
भोजन को परोसा जाता है,
उस भोजन को अमृत समझो,
वो श्याम प्रसाद बन जाता है,
जहा भोजन के हर कोर में,
महिमा श्याम की गाई जाती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं...

जिस के घर में श्री श्याम भजन,
सुनते है और सुनाते है,
जो श्याम प्रभु के चरणों में,
तन मन की सुध बिसराते है,
जिस के घर में माँ बच्चो को,
श्री श्याम श्री श्याम जपवाती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं...

ऐसे प्रेमी के घर “बिन्नू”,
मेरे श्याम प्रभु बस जाते हैं,
उस घर परिवार पे “लख्खा” श्याम धणी,
सुख अमृत बरसाते है,
वो घर मंदिर बन जाये जहाँ,
फूलो सी खुशबु आती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं,
श्री श्याम प्रभु की जिस घर में,
हाँ यह ज्योत जगाई जाती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं...

ॐ श्री श्याम देवाय नमः,
ॐ श्री श्याम देवायन नमः,
श्री श्याम प्रभु की जिस घर में,
हां ज्योत जगाई जाती है,
श्री श्याम, श्री श्याम,
जय श्री श्याम,
श्री श्याम प्रभु की जिस घर में,
हां ज्योत जगाई जाती है,
उस घर का भक्तो क्या कहना,
हर ख़ुशियाँ पाई जाती हैं...




om shri shyaam devaay namah,
om shri shyaam devaayan namah,

om shri shyaam devaay namah,
om shri shyaam devaayan namah,
shri shyaam prbhu ki jis ghar me,
haan jyot jagaai jaati hai,
shri shyaam, shri shyaam,
jay shri shyaam,
shri shyaam prbhu ki jis ghar me,
haan jyot jagaai jaati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain...


jo roj savere uth karake,
mere shyaam ko sheesh navaate hain,
jo naam shyaam ka lekar ke hi,
ghar se baahar jaate hain,
jyoti ki bhbhooti shrddha se,
maathen pe lagaai jaati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain...

jis ghar me shyaam ko bhog laga,
bhojan ko parosa jaata hai,
us bhojan ko amarat samjho,
vo shyaam prasaad ban jaata hai,
jaha bhojan ke har kor me,
mahima shyaam ki gaai jaati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain...

jis ke ghar me shri shyaam bhajan,
sunate hai aur sunaate hai,
jo shyaam prbhu ke charanon me,
tan man ki sudh bisaraate hai,
jis ke ghar me ma bachcho ko,
shri shyaam shri shyaam japavaati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain...

aise premi ke ghar binnoo,
mere shyaam prbhu bas jaate hain,
us ghar parivaar pe lakhkhaa shyaam dhani,
sukh amarat barasaate hai,
vo ghar mandir ban jaaye jahaan,
phoolo si khushabu aati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain,
shri shyaam prbhu ki jis ghar me,
haan yah jyot jagaai jaati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain...

om shri shyaam devaay namah,
om shri shyaam devaayan namah,
shri shyaam prbhu ki jis ghar me,
haan jyot jagaai jaati hai,
shri shyaam, shri shyaam,
jay shri shyaam,
shri shyaam prbhu ki jis ghar me,
haan jyot jagaai jaati hai,
us ghar ka bhakto kya kahana,
har kahushiyaan paai jaati hain...








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