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हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,

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गोविंद चले आओ गोपाल चले आओ,
हे मुरलीधर माधव नंदलाल चले आओ,
आओ रे आओ रे आओ रे आओ रे,
हाँ वैष्णो रानी माता हमको बुलाये,
डोंट टच माई गगरी मोहन रसिया,
मोहन रसिया मेरे मन बसिया,
सीता माता ने करी है जोनार निमंत्रण
कान्हा ना भुलाना,
हमको ना भुलाना,