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कहाँ तू खोज रहा रे प्राणी ,
तेरे मन मन्दिर में राम

कहाँ तू खोज रहा रे प्राणी ,
तेरे मन मन्दिर में राम
नहीं अवध नहिं गोकुल में प्रभु ,
नहीं द्वारका धाम
तेरे मन मन्दिर में राम
कहाँ तू खोज रहा...


मन में तेरे मैल जमी है ,
अँखियन मोह की पट्टी पड़ी है ,
दीखत नाहीं राम
तेरे मन मन्दिर में राम
कहाँ तू खोज रहा...

एक बार तू प्रभु को भजले ,
मन निर्मल को जाए ,
धोले मन का मैल रे प्राणी ,
ले कर हरि का नाम
तेरे मन मन्दिर में राम
कहाँ तू खोज रहा...

कहाँ तू खोज रहा रे प्राणी ,
तेरे मन मन्दिर में राम
नहीं अवध नहिं गोकुल में प्रभु ,
नहीं द्वारका धाम
तेरे मन मन्दिर में राम
कहाँ तू खोज रहा...




kahaan too khoj raha re praani ,
tere man mandir me ram

kahaan too khoj raha re praani ,
tere man mandir me ram
nahi avdh nahin gokul me prbhu ,
nahi dvaaraka dhaam
tere man mandir me ram
kahaan too khoj rahaa...


man me tere mail jami hai ,
ankhiyan moh ki patti padi hai ,
deekhat naaheen ram
tere man mandir me ram
kahaan too khoj rahaa...

ek baar too prbhu ko bhajale ,
man nirmal ko jaae ,
dhole man ka mail re praani ,
le kar hari ka naam
tere man mandir me ram
kahaan too khoj rahaa...

kahaan too khoj raha re praani ,
tere man mandir me ram
nahi avdh nahin gokul me prbhu ,
nahi dvaaraka dhaam
tere man mandir me ram
kahaan too khoj rahaa...








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