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क्यों रे प्रभु तूने कैसी रीत बनाई,
दिन के पीछे यह रात बनाई॥

क्यों रे प्रभु तूने कैसी रीत बनाई,
दिन के पीछे यह रात बनाई॥


तूने पानी में पृथ्वी बनाई,
जैसे दूध पर छाई मलाई,
बिना खंबा खड़े आकाश टिके,
तूने पृथ्वी आकाश की डोर बधाई,
दिन के पीछे यह रात बनाई...

तूने सूरज भी कैसा बनाया,
उसकी किरणों में तेज भराया,
चांद दूल्हा बना रात ब्याहन चला,
तूने तारों की कैसी बारात सजाई,
दिन के पीछे रात बनाई...

इस दाता की माया गजब थी,
जो कणकण में ऐसे समाई थी,
मस्त मस्त गर्मी मस्त मस्त सर्दी,
तूने बादल के संग बरसात बनाई,
दिन के पीछे यह रात बनाई...

पशुपक्षी भी तूने बनाए,
जीव जंतु के जोड़े बनाए,
देखो हंस हंसिनी देखो नाग नागिनी,
तूने पुरुषों के संग में यह नारी बनाई,
दिन के पीछे यह रात बनाई...

क्यों रे प्रभु तूने कैसी रीत बनाई,
दिन के पीछे यह रात बनाई॥




kyon re prbhu toone kaisi reet banaai,
din ke peechhe yah raat banaai..

kyon re prbhu toone kaisi reet banaai,
din ke peechhe yah raat banaai..


toone paani me parathvi banaai,
jaise doodh par chhaai malaai,
bina khanba khade aakaash tike,
toone parathvi aakaash ki dor bdhaai,
din ke peechhe yah raat banaai...

toone sooraj bhi kaisa banaaya,
usaki kiranon me tej bharaaya,
chaand doolha bana raat byaahan chala,
toone taaron ki kaisi baaraat sajaai,
din ke peechhe raat banaai...

is daata ki maaya gajab thi,
jo kanakan me aise samaai thi,
mast mast garmi mast mast sardi,
toone baadal ke sang barasaat banaai,
din ke peechhe yah raat banaai...

pshupakshi bhi toone banaae,
jeev jantu ke jode banaae,
dekho hans hansini dekho naag naagini,
toone purushon ke sang me yah naari banaai,
din ke peechhe yah raat banaai...

kyon re prbhu toone kaisi reet banaai,
din ke peechhe yah raat banaai..








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