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जीण जीण भज बारम्बारा,हर संकट का हो निस्तारा
नाम जापे माँ खुश हो जावे,संकट हर लेती है सारा

जीण जीण भज बारम्बारा,हर संकट का हो निस्तारा
नाम जापे माँ खुश हो जावे,संकट हर लेती है सारा

जय अम्बे जय जगदम्बे,
जा अम्बे जय जगदम्बे

माला बाबा अर्चन पूजा,मात जयंती की करते थे
पाराशर ब्राह्मण कुल-वंशी देवी की सेवा करते थे
माला बाबा के सेवा काल में,वाम मार्गी यहाँ पे आये
अखंड-धूनी सिद्ध पीठ के,निकट में ही चालु करवाये
कई वर्षो तक वाम-मार्गी जीण धाम में समय बिताये
पुरी सम्प्रदाय के महंत जी,उन सबके सरदार कहाये
जीण धाम से वाम-मार्गी,कालान्तर में कूच किये थे,
जाते हुए माला बाबा को अखंड-धूनी सौंप गए थे
कपिल मुनि भी उसी काल में जीण धाम में आन पधारे,
घोर तपस्या करी वहां पर,पर्वत से निकले जल धारे
कपिल धार की वह जल-धारा,कुण्ड रूप में आज विराजे,
उसी कुण्ड के जल से पुजारी,मईया को स्नान कराते
आदि काल की सच्ची घटना,भगतों तुमको आज सुनाऊँ,
जीवण बाई हर्षनाथ के जीवन का वृत्तांत सुनाऊँ
राजस्थान के जिला चुरू में,घांघू नाम का एक ग्राम था,
चौहानों के ठाकुर राजा गंगो सिंह का वहाँ राज था
माला पुजारी को दर्शन दे,मात जयंती इक दिन बोली,
जीण रूप में मैं प्रगटूंगी,उनसे सच्चा भेद ये खोली
जीवण-बाई नाम की कन्या,गंगो सिंह के घर जन्मेगी,
मेरी शक्ति से कलयुग में घर घर उसकी पूजा होगी
इक दिन राजा गंगो सिंह जी खेलन को शिकार गए थे,
वहाँ लोहागर जी के पास में परी से नैना-चार हुए थे
सुंदरता से मन्त्र-मुग्ध हो,गंगो सिंह जी परी से बोले,
शादी करना चाँहू तुमसे,तू मेरी अर्धांगिनी हो ले
परी ये बोली,सुनो हे राजा,मुझसे मेरा भेद ना लेना,
अगर भेद की बात करोगे,फिर पीछे तुम मत पछताना
शर्त ये मेरी ध्यान से सुन लो,जब भी मेरे कक्ष में आओ,
अंदर आने से पहले ही,शयन कक्ष को तुम खटकाओ
शर्त मान कर गंगो सिंह ने परी के संग में ब्याह रचाया,
प्रेम और विश्वास के बल पे अपना जीवन रथ चलाया
परी की कोख से जीवण बाई हर्षनाथ दोनों थे जन्मे ,
बड़ा प्रेम आपस में रखते,भाई बहना अपने मन में
मन की कोमल जीवण बाई,सच्ची सीधी भोली भाली,
हर्षनाथ ने निज बहना की कोई बात कभी ना टाली
इक दिन राजा गंगो सिंह जी परी से मिलने घर में आये ,
सीधे शयन कक्ष जा पहुंचे,बिना द्वार को ही खटकाए
शयन कक्ष के अंदर जाकर देख नजारा वो चकराए,
परी बनी थी वहां सिंघनी,गंगो सिंह जी मन में घबराये
परी यूं बोली,सुनो हे राजन,भेद मेरा तुम जान गए हो,
अब तुम मुझ से मिल ना सकोगे,वादा अपना भूल गए हो
शर्त तोड़कर तुमने राजन,वादे का अपमान किया है,
इतना कहकर परी ने झटपट इंद्र-लोक प्रस्थान किया है
कुछ दिन उनके साथ में रहकर,गंगो सिंह परलोक सिधारे,
बड़े हुए थे फिर वो दोनों,बन के इक दूजे के सहारे
हर्षनाथ ने ब्याह रचाया,सुन्दर भावज घर में आई,
प्यारी भाभी को पाकर वो मन में फूली ना समायी
भाई बहन का प्यार अनोखा,भाभी को बिलकुल ना भाया,
फूट डालने उनके मन में,भावज ने इक जाल बिछाया
जीण भवानी के उद्गम का सच्चा हाल कहूँ मैं सारा,
जीण जीण भज बारम्बारा,हर संकट का हो निस्तारा

सिद्ध पीठ काजल शिखर बना जीण का धाम,
नित की पर्चा देत है,पूरन करती काम

जयंती जीण माई की जय,हरष भैरू भाई की जय

मंगल भवन अमंगल हारी
जीण नाम होता हितकारी
कौन सो संकट है जग माहि,
जो मेरी मईया मेट न पाई

जय अम्बे जय जगदम्बे,



jeen mata shakti mangalpath dwitiya skandh

jeen jeen bhaj baarambaara,har sankat ka ho nistaaraa
naam jaape ma khush ho jaave,sankat har leti hai saaraa


jay ambe jay jagadambe,
ja ambe jay jagadambe

maala baaba archan pooja,maat jayanti ki karate the
paaraashar braahaman kulavanshi devi ki seva karate the
maala baaba ke seva kaal me,vaam maargi yahaan pe aaye
akhanddhooni siddh peeth ke,nikat me hi chaalu karavaaye
ki varsho tak vaamamaargi jeen dhaam me samay bitaaye
puri sampradaay ke mahant ji,un sabake saradaar kahaaye
jeen dhaam se vaamamaargi,kaalaantar me kooch kiye the,
jaate hue maala baaba ko akhanddhooni saunp ge the
kapil muni bhi usi kaal me jeen dhaam me aan pdhaare,
ghor tapasya kari vahaan par,parvat se nikale jal dhaare
kapil dhaar ki vah jaldhaara,kund roop me aaj viraaje,
usi kund ke jal se pujaari,meeya ko snaan karaate
aadi kaal ki sachchi ghatana,bhagaton tumako aaj sunaaoon,
jeevan baai harshanaath ke jeevan ka vrittaant sunaaoon
raajasthaan ke jila churoo me,ghaanghoo naam ka ek gram tha,
chauhaanon ke thaakur raaja gango sinh ka vahaan raaj thaa
maala pujaari ko darshan de,maat jayanti ik din boli,
jeen roop me mainpragatoongi,unase sachcha bhed ye kholee
jeevanabaai naam ki kanya,gango sinh ke ghar janmegi,
meri shakti se kalayug me ghar ghar usaki pooja hogee
ik din raaja gango sinh ji khelan ko shikaar ge the,
vahaan lohaagar ji ke paas me pari se nainaachaar hue the
sundarata se mantrmugdh ho,gango sinh ji pari se bole,
shaadi karana chaanhoo tumase,too meri ardhaangini ho le
pari ye boli,suno he raaja,mujhase mera bhed na lena,
agar bhed ki baat karoge,phir peechhe tum mat pchhataanaa
shart ye meri dhayaan se sun lo,jab bhi mere kaksh me aao,
andar aane se pahale hi,shayan kaksh ko tum khatakaao
shart maan kar gango sinh ne pari ke sang me byaah rchaaya,
prem aur vishvaas ke bal pe apana jeevan rth chalaayaa
pari ki kokh se jeevan baai harshanaath donon the janme ,
bada prem aapas me rkhate,bhaai bahana apane man me
man ki komal jeevan baai,sachchi seedhi bholi bhaali,
harshanaath ne nij bahana ki koi baat kbhi na taalee
ik din raaja gango sinh ji pari se milane ghar me aaye ,
seedhe shayan kaksh ja pahunche,bina dvaar ko hi khatakaae
shayan kaksh ke andar jaakar dekh najaara vo chakaraae,
pari bani thi vahaan singhani,gango sinh ji man me ghabaraaye
pari yoon boli,suno he raajan,bhed mera tum jaan ge ho,
ab tum mujh se mil na sakoge,vaada apana bhool ge ho
shart todakar tumane raajan,vaade ka apamaan kiya hai,
itana kahakar pari ne jhatapat indralok prasthaan kiya hai
kuchh din unake saath me rahakar,gango sinh paralok sidhaare,
bade hue the phir vo donon,ban ke ik dooje ke sahaare
harshanaath ne byaah rchaaya,sundar bhaavaj ghar me aai,
pyaari bhaabhi ko paakar vo man me phooli na samaayee
bhaai bahan ka pyaar anokha,bhaabhi ko bilakul na bhaaya,
phoot daalane unake man me,bhaavaj ne ik jaal bichhaayaa
jeen bhavaani ke udgam ka sachcha haal kahoon mainsaara,
jeen jeen bhaj baarambaara,har sankat ka ho nistaaraa

siddh peeth kaajal shikhar bana jeen ka dhaam,
nit ki parcha det hai,pooran karati kaam

jayanti jeen maai ki jay,harsh bhairoo bhaai ki jay

mangal bhavan amangal haaree
jeen naam hota hitakaaree
kaun so sankat hai jag maahi,
jo meri meeya met n paaee

jay ambe jay jagadambe,
ja ambe jay jagadambe

jeen jeen bhaj baarambaara,har sankat ka ho nistaaraa
naam jaape ma khush ho jaave,sankat har leti hai saaraa




jeen mata shakti mangalpath dwitiya skandh Lyrics





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