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कभी फुरसत हो तो सांवरिया, भगतों के घर भी आ जाना,
जो रूखा सूखा घर पे बना, कभी उसका भोग लगा जाना,

कभी फुरसत हो तो सांवरिया, भगतों के घर भी आ जाना,
जो रूखा सूखा घर पे बना, कभी उसका भोग लगा जाना,

ना छत्र बना सका सोने का, ना बागा हीरे मोती जड़ा,
ना मोरछड़ी इन हाथों में, तेरा भगत है नैन बिछाए खड़ा,

मेरी श्रद्धा की रख लो लाज प्रभु, मेरी विनती ना ठुकरा जाना,
जो रूखा सूखा घर पे बना, कभी उसका भोग लगा जाना,

मेरे घर के दीये में तेल नहीं, तेरी ज्योत जगाऊं मैं कैसे,
मेरा खुद ही बिछौना धरती पर, दरबार सजाऊं मैं कैसे,

जहाँ मैं बैठा वहीं बैठ के तुम, निर्धन की खीचड़ खा जाना,
जो रूखा सूखा घर पे बना, कभी उसका भोग लगा जाना,

ना घर पे मेवा मिश्री है, ना छप्पन भोग तुम्हारे लिए,
सिर पर है कर्जा लोगों का, कई महीने हुए उधार लिए,

मैं नहीं सुदामा ना ही विदुर, निज दास समझ कर आ जाना,
जो रूखा सूखा घर पे बना, कभी उसका भोग लगा जाना,

तुम भाग्य बनाने वाले हो, प्रभु मैं तकदीर का मारा हूँ,
हे लखदातार संभालो मुझे, मैं भी किसी आँख का तारा हूँ,

मैं दोषी तुम हो क्षमानिधि, मेरे दोषों को बिसरा जाना,
जो रूखा सूखा घर पे बना, कभी उसका भोग लगा जाना,

- रचनाकार
अमित अग्रवाल मीत
मो.



kabhi fursat ho to sanwariyan

kbhi phurasat ho to saanvariya, bhagaton ke ghar bhi a jaana,
jo rookha sookha ghar pe bana, kbhi usaka bhog laga jaanaa


na chhatr bana saka sone ka, na baaga heere moti jada,
na morchhadi in haathon me, tera bhagat hai nain bichhaae khadaa

meri shrddha ki rkh lo laaj prbhu, meri vinati na thukara jaana,
jo rookha sookha ghar pe bana, kbhi usaka bhog laga jaanaa

mere ghar ke deeye me tel nahi, teri jyot jagaaoon mainkaise,
mera khud hi bichhauna dharati par, darabaar sajaaoon mainkaise

jahaan mainbaitha vaheen baith ke tum, nirdhan ki kheechad kha jaana,
jo rookha sookha ghar pe bana, kbhi usaka bhog laga jaanaa

na ghar pe meva mishri hai, na chhappan bhog tumhaare lie,
sir par hai karja logon ka, ki maheene hue udhaar lie

mainnahi sudaama na hi vidur, nij daas samjh kar a jaana,
jo rookha sookha ghar pe bana, kbhi usaka bhog laga jaanaa

tum bhaagy banaane vaale ho, prbhu maintakadeer ka maara hoon,
he lkhadaataar sanbhaalo mujhe, mainbhi kisi aankh ka taara hoon

maindoshi tum ho kshmaanidhi, mere doshon ko bisara jaana,
jo rookha sookha ghar pe bana, kbhi usaka bhog laga jaanaa

kbhi phurasat ho to saanvariya, bhagaton ke ghar bhi a jaana,
jo rookha sookha ghar pe bana, kbhi usaka bhog laga jaanaa




kabhi fursat ho to sanwariyan Lyrics





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