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लम्भी उमर होती सुहाग

सिन्धुर लगाते सिर पे सिया जी को पाया है
अंजनी के लला को कुछ समज में ना आया है
बोले न सिन्धुर तूने क्यों सिर पे लगाया है
लम्भी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समजाया है

सिन्धुर को तन पे डाले अंजनी के लाल रे
सिर से पाओ तक बजरंगी हो गए लाल रे
रोम रोम राम नाम का सिन्धुर लाया है
लम्भी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समजाया है

सिन्धुर लपटे झूमे नाचे उमंग में,
रंगे हनुमान प्रभु राम जी के रंग में
देख भगती राम जी ने सीने से लगाया है
लम्भी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समजाया है



lambhi umer hoti suhag ki

sindhur lagaate sir pe siya ji ko paaya hai
anjani ke lala ko kuchh samaj me na aaya hai
bole n sindhur toone kyon sir pe lagaaya hai
lambhi umar hoti suhaag ki siya ji ne samajaaya hai


sindhur ko tan pe daale anjani ke laal re
sir se paao tak bajarangi ho ge laal re
rom rom ram naam ka sindhur laaya hai
lambhi umar hoti suhaag ki siya ji ne samajaaya hai

sindhur lapate jhoome naache umang me,
range hanuman prbhu ram ji ke rang me
dekh bhagati ram ji ne seene se lagaaya hai
lambhi umar hoti suhaag ki siya ji ne samajaaya hai

sindhur lagaate sir pe siya ji ko paaya hai
anjani ke lala ko kuchh samaj me na aaya hai
bole n sindhur toone kyon sir pe lagaaya hai
lambhi umar hoti suhaag ki siya ji ne samajaaya hai




lambhi umer hoti suhag ki Lyrics





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