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मेरे सतगुरु दीनदयाल

मेरे सतगुरु दीन दयाल काग को हंस बनाते है
हंस बनाते है काग को हंस बनाते है,
मेरे सतगुरु दीन दयाल काग को हंस बनाते है

भरा याहा भगती का भंडार,
सतगुरु का दरबार लगा यहां सतगुरु का दरबार
शब्द अनमोल सुनाते है वो मन का भरम मिटाते है

गुरु जी सत का देते ज्ञान,
इशवर में हो ध्यान सब का इश्वर में हो ध्यान
वो अमिरत खूब पिलाते है वो मन की प्यास बूजाते है
मेरे सतगुरु दीन दयाल काग को हंस बनाते है

गुरु जी लेते नही कुछ धाम,
रखते भगतो का ध्यान वो खुद ही रखते भगतो का ध्यान
ये अपना मना लुटाते है सबी का कष्ट मिटाते है
मेरे सतगुरु दीन दयाल काग को हंस बनाते है



mere satguru deen dayal

mere sataguru deen dayaal kaag ko hans banaate hai
hans banaate hai kaag ko hans banaate hai,
mere sataguru deen dayaal kaag ko hans banaate hai


bhara yaaha bhagati ka bhandaar,
sataguru ka darabaar laga yahaan sataguru ka darabaar
shabd anamol sunaate hai vo man ka bharam mitaate hai

guru ji sat ka dete gyaan,
ishavar me ho dhayaan sab ka ishvar me ho dhayaan
vo amirat khoob pilaate hai vo man ki pyaas boojaate hai
mere sataguru deen dayaal kaag ko hans banaate hai

guru ji lete nahi kuchh dhaam,
rkhate bhagato ka dhayaan vo khud hi rkhate bhagato ka dhayaan
ye apana mana lutaate hai sabi ka kasht mitaate hai
mere sataguru deen dayaal kaag ko hans banaate hai

mere sataguru deen dayaal kaag ko hans banaate hai
hans banaate hai kaag ko hans banaate hai,
mere sataguru deen dayaal kaag ko hans banaate hai




mere satguru deen dayal Lyrics





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