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Jaya Sai Shankara Jaya Abhayankara (2)
Samba Sada Shiva Shiva Haraey Shiva Haraey Shiva Harey (2)

Jaya Sai Shankara Jaya Abhayankara (2)
Samba Sada Shiva Shiva Haraey Shiva Haraey Shiva Harey (2)
Jaya Sai Shankara Jaya Abhajankara (1)
Jaya Gangadhara jaya Bimbadhara (2)
Vyagrambaradhara Shiva Haraey Shiva Haraey Shiva Haraey (2)



Shiva Haraey

jay sai shanakar jay abahayanakar (2)
samab sad shiv shiv haraey shiv haraey shiv harey (2)
jay sai shanakar jay abahajanakar (1)
jay ganagadahar jay bimabadahar (2)
vyagaramabaradahar shiv haraey shiv haraey shiv haraey (2)







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दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
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गोरी बरसाने वारी

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हुआ ब्रजे मंडल में शोर,
चलो सब नंद महल की ओर,
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे,
लताओं में बृज की गुजारा करेंगे,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें,
पता नहीं कैसे लग जाती है खबर,
श्याम चले आते हैं भक्तों के घर...
बोल रहे तेरी जय जयकार,
बोल रहे राधे राधे श्याम,