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जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहैत हैं कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर संग युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
स्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जनम जनम के पाप नसावे।
अंतवास शिवपुर में पावैं॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान।

स्तुति चालीसा शिवहि,



shree shiv chalisa

shiv chaaleesaa

jay girija pati deen dayaalaa
sada karat santan pratipaalaa..
bhaal chandrama sohat neeke
kaanan kundal naagphani ke..

shri ganesh girija suvan,
mangal mool sujaan
kahat ayodhayaadaas tum,
dehu abhay varadaan..

jay girija pati deen dayaalaa
sada karat santan pratipaalaa..
bhaal chandrama sohat neeke
kaanan kundal naagphani ke..

ang gaur shir gang bahaaye
mundamaal tan chhaar lagaaye..
vastr khaal baaghambar sohe
chhavi ko dekh naag muni mohe..

maina maatu ki havai dulaaree
baam ang sohat chhavi nyaari..
kar trishool sohat chhavi bhaaree
karat sada shatrun kshyakaari..

nandi ganesh sohait hain kaise
saagar mdhay kamal hain jaise..
kaartik shyaam aur ganaraaoo
ya chhavi ko kahi jaat n kaaoo..

devan jabaheen jaay pukaaraa
tab hi dukh prbhu aap nivaaraa..
kiya upadrav taarak bhaaree
devan sab mili tumahin juhaari..

turat shadaanan aap pthaayu
lavanimesh mahan maari giraayu..
aap jalandhar asur sanhaaraa
suysh tumhaar vidit sansaaraa..

tripuraasur sang yuddh mchaaee
sabahin kripa kar leen bchaai..
kiya tapahin bhaageerth bhaaree
purab pratigya tasu puraari..

daanin mahan tum sam kou naaheen
sevak stuti karat sadaaheen..
ved naam mahima tav gaaee
akth anaadi bhed nahin paai..

pragat uddhi manthan me jvaalaa
jare suraasur bhaye vihaalaa..
keenh daya tahan kari sahaaee
neelakanth tab naam kahaai..

poojan ramchandr jab keenhaa
jeet ke lank vibheeshan deenhaa..
sahas kamal me ho rahe dhaaree
keenh pareeksha tabahin puraari..

ek kamal prbhu raakheu joee
kamal nayan poojan chahan soi..
kthin bhakti dekhi prbhu shankar
bhaye prasann die ichchhit var..

jay jay jay anant avinaashee
karat kripa sab ke ghatavaasi..
dusht sakal nit mohi sataavai
bhramat rahe mohi chain n aavai..

traahi traahi mainnaath pukaaro
yahi avasar mohi aan ubaaro..
lai trishool shatrun ko maaro
sankat se mohi aan ubaaro..

maatu pita bhraata sab koee
sankat me poochhat nahin koi..
svaami ek hai aas tumhaaree
aay harahu ab sankat bhaari..

dhan nirdhan ko det sadaaheen
jo koi jaanche vo phal paaheen..
stuti kehi vidhi karaun tumhaaree
kshmahu naath ab chook hamaari..

shankar ho sankat ke naashan
mangal kaaran vighn vinaashan..
yogi yati muni dhayaan lagaavain
naarad shaarad sheesh navaavain..

namo namo jay namo shivaay
sur brahamaadik paar n paay..
jo yah paath kare man laaee
ta paar hot hai shambhu sahaai..

reniya jo koi ho adhikaaree
paath kare so paavan haari..
putr heen kar ichchha koee
nishchay shiv prasaad tehi hoi..

pandit tryodshi ko laave
dhayaan poorvak hom karaave..
tryodshi brat kare hameshaa
tan nahi taake rahe kaleshaa..

dhoop deep naivedy chadahaave
shankar sammukh paath sunaave..
janam janam ke paap nasaave
antavaas shivapur me paavain..

kahe ayodhaya aas tumhaaree
jaani sakal duhkh harahu hamaari..
nitt nem kar praatah hi,
paath karaun chaaleesaa

tum meri manokaamana,
poorn karo jagadeesh..
magasar chhthi hemant retu,
sanvat chausth jaan

stuti chaaleesa shivahi,
poorn keenh kalyaan..

shiv chaaleesaa



shree shiv chalisa Lyrics





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