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यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम II

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम II

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम I
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे II

जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वत:I
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन II

वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः:I
बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः॥

ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश: II

काङ्क्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्त इह देवताः ।
क्षिप्रं हि मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा ॥

चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः ।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम् ॥

न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा ।
इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते ॥

एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः ।
कुरु कर्मैव तस्मात्त्वं पूर्वैः पूर्वतरं कृतम् ॥



shrimad Bhagwad Gita nitya stuti shloka by Jyoti Jajodia

yada yada hi dharmasy glaanirbhavati bhaarat
abhyutthaanamdharmasy tadaatmaanam sarajyaaham


paritraanaay saadhoonaan vinaashaay ch dushkritaam
dharm sansthaapanaarthaay sanbhavaami yuge yuge

janm karm ch me divyamevan yo vetti tattvat:
tyaktva dehan punarjanm naiti maameti so'rjun

veetaraagbhayakrodha manmaya maamupaashritaah:
bahavo gyaanatapasa poota madbhaavamaagataah..

ye ytha maan prapadyante taanstthaiv bhajaamyaham
mam vartmaanuvartante manushyaa: paarth sarvsh:

kaankshntah karmanaan siddhin yajant ih devataah
kshipran hi maanushe loke siddhirbhavati karmaja ..

chaaturvarnyan maya sarashtan gunakarmavibhaagshah
tasy kartaaramapi maan viddhayakartaaramavyayam ..

n maan karmaani limpanti n me karmphale sparahaa
iti maan yo'bhijaanaati karmbhirn s bdhayate ..

evan gyaatva kritan karm poorvairapi mumukshubhih
kuru karmaiv tasmaattvan poorvaih poorvataran kritam ..

yada yada hi dharmasy glaanirbhavati bhaarat
abhyutthaanamdharmasy tadaatmaanam sarajyaaham




shrimad Bhagwad Gita nitya stuti shloka by Jyoti Jajodia Lyrics





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