किन गुनाहों की हैं ये सज़ाएँ
श्याम सुंदर हमें कुछ बताएं
बेदर्दी हाँ नन्द के, तुम जानो प्रीत लगाना क्या
जिन प्रीत करी, ये वो जानें, होता है प्रीत निभाना क्या
जो दुनिया दीवानी कर दे,
नज़रों से, भला वो क्या जानें
दीवानगी कैसी होती है
और होता है दीवाना क्या
बेदर्दी हाँ नन्द के, तुम जानो प्रीत लगाना क्या
जिन प्रीत करी, ये वो जानें, होता है प्रीत निभाना क्या
दिल छीन के दिलबर चल तो दिए
नज़रों से भला तुम क्या जानो
घायल पे गुज़रती है क्या - क्या
है जुदाई का गम्ममम्म खाना क्या
बेदर्दी हाँ नन्द के, तुम जानो प्रीत लगाना क्या
जिन प्रीत करी, ये वो जानें, होता है प्रीत निभाना क्या
तेरी वंशी ध्वनि ने लूट लिया
मुलकान जगत की लाज तजी
सब छोड़ के तुझको अपनाया
अब बाकी रहा आज़माना क्या
बेदर्दी हाँ नन्द के, तुम जानो प्रीत लगाना क्या
जिन प्रीत करी, ये वो जानें, होता है प्रीत निभाना क्या
दो आलम हुस्न पे शैदा हैं
फिर हाय वो क्यों इतना संगे दिल
चाहने वाले बीमार रहें
वो हुस्न की दौलत पाना क्या
बेदर्दी हाँ नन्द के, तुम जानो प्रीत लगाना क्या
जिन प्रीत करी, ये वो जानें, होता है प्रीत निभाना क्या
सुनती थी दीन दयालु हो
गैरों को भी करते हो अपना
रोशन कर दें निठुराई तेरी
फिर कहेगा श्याम ज़माना क्या
बेदर्दी हाँ नन्द के, तुम जानो प्रीत लगाना क्या
जिन प्रीत करी, ये वो जानें, होता है प्रीत निभाना क्या
कभी तो हुस्न के जलवे, इस दामन में भी बरसाओ
कि मेरी ज़िंदगी में रात का अंधेरा है
कोई शै हक से खुदाई तो नहीं मांगी थी
तुमको मांगा था, जुदाई तो नहीं मांगी थी।
(आलम - दोनों लोक - लोक और परलोक)
(मुलकान - मूल्यांकन)
Kin gunahon ki hain ye sazayen
Shyam Sundar humein kuchh batayen
Bedardi haan Nand ke, tum jaano preet lagana kya,
Jin preet kari, ye toh wo jaanein, hota hai preet nibhana kya
Jo duniya deewani kar de, nazron se bhala wo kya jaanein
Deewanagi kaisi hoti hai, aur hota hai deewana kya
Bedardi haan Nand ke, tum jaano preet lagana kya,
Jin preet kari, ye toh wo jaanein, hota hai preet nibhana kya
Dil chheen kar dilabar chal toh diye,
nazron se bhala tum kya jaano
Ghayal pe guzarti hai kya - kya
Hai judai ka gammm khaana kya
Teri vanshi dhwani ne loot liya,
Mulkaan jagat ki laaj taji
Sab chhod ke tujhko apnaya
Abb baaki raha aazmana kya
Bedardi haan Nand ke, tum jaano preet lagana kya,
Jin preet kari, ye toh wo jaanein, hota hai preet nibhana kya
Do aalam husn pe shaida hain
Fir haaye wo kyon itna sang - e - dil
Chahne wale beemar rahen
Wo husn ki daulat paana kya
Bedardi haan Nand ke, tum jaano preet lagana kya,
Jin preet kari, ye toh wo jaanein, hota hai preet nibhana kya
Sunti thi deen dayalu ho
Gairon ko bhi karte ho apna
Roshan kar de nithurai teri
Fir kahega Shyam zamana kya
Bedardi haan Nand ke, tum jaano preet lagana kya,
Jin preet kari, ye toh wo jaanein, hota hai preet nibhana kya
Kabhi toh husn ke jalwe, iss daaman mein bhi barsaao
Ki meri zindagi mein raat ka andhera hai
Koi shai haq se, khudaai toh nahin maangi thi
Tumko maanga tha, judai toh nahin maangi thi.