अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में,
बीच बुढ़ापे में, बीच बुढ़ापे में,
अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में...
संगमरमर का महल बनाया,
कूलर पंखा उसमे लगाया,
बहु बेटे को उसमे बिठाया,
और मेरी घटिया बहार,
बीच बुढ़ापे में...
अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में
मन मर्ज़ी का खाना नहीं मिलता,
जैसे मिलता खाना पड़ता,
रोटी ऊपर अचार,
बीच बुढ़ापे में...
अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में
जैसी करनी वैसी भरनी,
राम जी करेंगे बेड़ा पार,
बीच बुढ़ापे में...
अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में
अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में,
बीच बुढ़ापे में, बीच बुढ़ापे में,
अब क्या होगा मेरा राम बीच बुढ़ापे में...
ab kya hoga mera ram beech budahaape me,
beech budahaape me, beech budahaape me,
ab kya hoga mera ram beech budahaape me...
sangamaramar ka mahal banaaya,
koolar pankha usame lagaaya,
bahu bete ko usame bithaaya,
aur meri ghatiya bahaar,
beech budahaape me...
ab kya hoga mera ram beech budahaape me
man marzi ka khaana nahi milata,
jaise milata khaana padata,
roti oopar achaar,
beech budahaape me...
ab kya hoga mera ram beech budahaape me
jaisi karani vaisi bharani,
ram ji karenge beda paar,
beech budahaape me...
ab kya hoga mera ram beech budahaape me
ab kya hoga mera ram beech budahaape me,
beech budahaape me, beech budahaape me,
ab kya hoga mera ram beech budahaape me...