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गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...

गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...


भवसागर में नीर अपारा,
डूब रहा नहीं मिले किनारा,
पल में लिया उवारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...

काम क्रोध मद लोभ लुटेरे,
जन्म जन्म के बेरी मेरे,
सबको दीना मारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...

भेदभाव गुरुदेव मिटाया,
पूर्ण ब्रह्म एक दर्शाया,
घरघर जोत उजारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...

जोग जुगत गुरुदेव बताई,
ब्रह्मानंद शांति मन आई,
मानुष देह सुधारी रे ,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...

गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारी रे...




guru charan kamal balihaari re,
mere man ki duvidha taari re...

guru charan kamal balihaari re,
mere man ki duvidha taari re...


bhavasaagar me neer apaara,
doob raha nahi mile kinaara,
pal me liya uvaari re,
mere man ki duvidha taari re...

kaam krodh mad lobh lutere,
janm janm ke beri mere,
sabako deena maari re,
mere man ki duvidha taari re...

bhedbhaav gurudev mitaaya,
poorn braham ek darshaaya,
gharghar jot ujaari re,
mere man ki duvidha taari re...

jog jugat gurudev bataai,
brahamaanand shaanti man aai,
maanush deh sudhaari re ,
mere man ki duvidha taari re...

guru charan kamal balihaari re,
mere man ki duvidha taari re...




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