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सखी दोष नहीं मनमोहन का,
वह बांस बुरे जिनकी बंसी,

सखी दोष नहीं मनमोहन का,
वह बांस बुरे जिनकी बंसी,
वह बांस बुरे जिनकी बंसी,
वह बांस बुरे जिनकी मुरली,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

कभी सुबह बजे कभी शाम बजे,
कभी आधी रात बजे बंसी,
बन बन के बांस कटा दीजो,
ना उपजे बांस ना बने बंसी,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

वृंदावन रहना छोड़ दिया,
गोकुल भी जाना छोड़ दिया,
नहीं पीछा छोड़ा बंसी ने,
बरसाने आए बजी बंसी,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

मैं उनकी छवि पर वारी हूं,
जिन होठों की है यह बंसी,
सखी दोष नहीं राधा प्यारी का,
उनके हृदय में बसी बंसी,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।

बंसी सब शुरू को साधे हैं,
पर एक ही धुन पर बाजे है,
सखी हाल ना पूछो मोहन का,
सब कुछ ही राधे-राधे है,
सखी दोष नहीं मनमोहन का।



skhi dosh nahi manamohan ka,
vah baans bure jinaki bansi,
vah baans bure jinaki bansi,
vah

skhi dosh nahi manamohan ka,
vah baans bure jinaki bansi,
vah baans bure jinaki bansi,
vah baans bure jinaki murali,
skhi dosh nahi manamohan kaa.

kbhi subah baje kbhi shaam baje,
kbhi aadhi raat baje bansi,
ban ban ke baans kata deejo,
na upaje baans na bane bansi,
skhi dosh nahi manamohan kaa.

vrindaavan rahana chhod diya,
gokul bhi jaana chhod diya,
nahi peechha chhoda bansi ne,
barasaane aae baji bansi,
skhi dosh nahi manamohan kaa.

mainunaki chhavi par vaari hoon,
jin hothon ki hai yah bansi,
skhi dosh nahi radha pyaari ka,
unake haraday me basi bansi,
skhi dosh nahi manamohan kaa.

bansi sab shuroo ko saadhe hain,
par ek hi dhun par baaje hai,
skhi haal na poochho mohan ka,
sab kuchh hi radhe-radhe hai,
skhi dosh nahi manamohan kaa.







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