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जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा...


भीक्षुक बनकर डोले वन वन वो,
विशम्भर कहलाए,
देवों को दे अमृत घट वो,
खुद काल कूट पी जाए,
नर मुंडो कि माला को जिसने,
अपने तन पर धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा...

विषधर सर्पों को धारण कर,
रखा है अपने तन पर,
दीनों के बंधु दया सदा,
करते हैं अपने जन पर,
देते हे उनको सदा सहारा,
जिसने उन्हें पुकारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा...

राघव की अनुपम भक्ति जिनके,
जीवन की आशाएं,
सतसंग रुपी सुमनों से,
सारी धरती को महकाए,
ज्ञानी भी जिनकी गूढ़ महिमा का,
पा ना सके किनारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा...

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा...

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनंदन उन्हे हमारा...




jahaan jinaki jataaon me ganga ki,
bahati aviral dhaara,

jahaan jinaki jataaon me ganga ki,
bahati aviral dhaara,
abhinandan unhe hamaara,
jinake trinetr ne kaamadev ko,
ek hi pal maara,
abhinandan unhe hamaaraa...


bheekshuk banakar dole van van vo,
vishambhar kahalaae,
devon ko de amarat ghat vo,
khud kaal koot pi jaae,
nar mundo ki maala ko jisane,
apane tan par dhaara,
abhinandan unhe hamaaraa...

vishdhar sarpon ko dhaaran kar,
rkha hai apane tan par,
deenon ke bandhu daya sada,
karate hain apane jan par,
dete he unako sada sahaara,
jisane unhen pukaara,
abhinandan unhe hamaaraa...

raaghav ki anupam bhakti jinake,
jeevan ki aashaaen,
satasang rupi sumanon se,
saari dharati ko mahakaae,
gyaani bhi jinaki goodah mahima ka,
pa na sake kinaara,
abhinandan unhe hamaaraa...

jahaan jinaki jataaon me ganga ki,
bahati aviral dhaara,
abhinandan unhe hamaara,
jinake trinetr ne kaamadev ko,
ek hi pal maara,
abhinandan unhe hamaaraa...

jahaan jinaki jataaon me ganga ki,
bahati aviral dhaara,
abhinandan unhe hamaara,
jinake trinetr ne kaamadev ko,
ek hi pal maara,
abhinandan unhe hamaaraa...








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