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ठहर ठहर जोगिया सपेरा,
एक रोज, माता पार्वती ने,मन में किया ध्यान,

ठहर ठहर जोगिया सपेरा,
एक रोज, माता पार्वती ने,मन में किया ध्यान,
उबटन मली शरीर पे, करने को माँ स्नान,
मलने के बाद, उस मैल को जमा कर लिया,
और फेंकने को माँ ने, इरादा कर लिया,
नहीं थे भोले नाथ उस दिन,अपने स्थान पे,
माँ पार्वती खो गई,बाबा के ध्यान में,
लेकर उसी मैल का,इक पुतला बनाई,
जब हो गया तैयार, माँ मन में हरषाई,
पुतले को देख, मन में जगा, ममता का भण्डार,
और मन ही मन में कर लिया,एक पुत्र का विचार,
गर इसमें प्राण डाल दूँ,ये अच्छा रहेगा,
फिर डाल कर के प्राण,माँ ने उसे ध्यान से देखा,
पुतले में आये प्राण, बना सुन्दर इक बालक,
और छू के चरण मैया के वो बोला मचलकर,
क्या है आदेश मैया, बतलाइये हमें,
मुख चूम कर ले गोद में, माता लगी कहने,
बेटा तू पहरा देना, अंदर में नहाऊँ,
आना नहीं अंदर जब तक मैं ना बुलाऊँ,
और आने नहीं देना तुम किसी को भी तुम मेरे लाल,
सुनकर के माँ की बात, खड़े पहरे पर गौरी लाल,
खड़े थे चौकन्ना होकर, इधर आ गए शंकर,
जाने लगे अंदर तो, उसने रोका डपटकर,
अरे ठहर, ए जोगी, ए सपेरे रुक,
ठहर ठहर जोगिया सपेरा,
ठहर जा तू हुक्म है यह मेरा,
ठहर ठहर जोगिया सपेरा,
ठहर जा तू हुक्म है यह मेरा,
कौन है तू, जाता है बिन पूछे अंदर,
ठहर जा तू हुक्म है यह मेरा,
वाह क्या रूप मदारी का तू बनाया है,
जाने किस बिल से तू ये साँप पकड़ लाया है,
गले में एक है, दो बाहों में लटकाए हो,
ये चौंग चुराकर कहा से लाए हो,
किसलिए हाथों में त्रिशूल को चमकाते हो,
इसी डमरुँ से क्या तुम साँपों को नचाते हो,
बिना बताएं, कहीं तू अंदर जाएगा,
यकीन जानना यहीं पर मारा जाएगा,
क्या समझता है तू इसको अपना डेरा,
काल क्या मंडरा रहा है तेरा,
कौन है तू, जाता है बिन पूछे अंदर,
ठहर जा तू हुक्म है यह मेरा,
सुनके बात आए क्रोध में भोले शंकर,
बिना विचारे ही त्रिशूल को मारा कसकर,
कटा बालक का सर, जाने कहाँ हो गया लोप,
मरा बालक को देख शांत हुआ उनका कोप,
गए अंदर तो चौंक करके बोली पार्वती,
किस तरह आए अंदर, कोई रोका न कैलाशपति,
बोले भोले, मैं उसके सर को काट आया सती,
वो तो खुद को ही समझ रहा था कैलाशपति,
सुनके बाबा की बात गिर पड़ी चकरा के माँ,
पुत्र बिन किस तरह जिऊंगी, तुम ही दो बता,
बाबा क्यों मार दिया तुमने लाल मेरा,
घर में मेरे छा गया अँधेरा,
बिन बालक तड़पुँगी, सारा जीवन भर,
बोले फिर बाबा गणजनों को सब जाओ फौरन,
काट कर लाओ ऐसा सर जो है जन्मा इस क्षण,
पीठ पीछे हो उसकी माँ का ऐसा सर हो,
कोई भी प्राणी हो या जीव किसी का सर हो,
गणों ने देखा तो हथनी को जनम दे पाया,
पीठ पीछे किए हथिनी भोले की माया,
गणों ने काट लिया सर, नहीं देर किए, 
भोले जी हाथी का सर, पल भर में जोड़ दिए,
नायक बना दिए गणों का, मेरे भोले,
रख दिए नाम गणपति और बोले,
रिद्धि सिद्धि वाला पुत्र तेरा,
इसे आशीर्वाद है ये मेरा,
जो भी आएगा, इसके दर पे गौरी,
मिटे उसके पल का अँधेरा,
जीवन में होगा सवेरा। 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 



thahar thahar jogiya sapera,
ek roj, maata paarvati ne,man me kiya dhayaan,
ubatan mali

thahar thahar jogiya sapera,
ek roj, maata paarvati ne,man me kiya dhayaan,
ubatan mali shareer pe, karane ko ma snaan,
malane ke baad, us mail ko jama kar liya,
aur phenkane ko ma ne, iraada kar liya,
nahi the bhole naath us din,apane sthaan pe,
ma paarvati kho gi,baaba ke dhayaan me,
lekar usi mail ka,ik putala banaai,
jab ho gaya taiyaar, ma man me harshaai,
putale ko dekh, man me jaga, mamata ka bhandaar,
aur man hi man me kar liya,ek putr ka vichaar,
gar isame praan daal doon,ye achchha rahega,
phir daal kar ke praan,ma ne use dhayaan se dekha,
putale me aaye praan, bana sundar ik baalak,
aur chhoo ke charan maiya ke vo bola mchalakar,
kya hai aadesh maiya, batalaaiye hame,
mukh choom kar le god me, maata lagi kahane,
beta too pahara dena, andar me nahaaoon,
aana nahi andar jab tak mainna bulaaoon,
aur aane nahi dena tum kisi ko bhi tum mere laal,
sunakar ke ma ki baat, khe pahare par gauri laal,
khe the chaukanna hokar, idhar a ge shankar,
jaane lage andar to, usane roka dapatakar,
are thahar, e jogi, e sapere ruk,
thahar thahar jogiya sapera,
thahar ja too hukm hai yah mera,
thahar thahar jogiya sapera,
thahar ja too hukm hai yah mera,
kaun hai too, jaata hai bin poochhe andar,
thahar ja too hukm hai yah mera,
vaah kya roop madaari ka too banaaya hai,
jaane kis bil se too ye saanp pak laaya hai,
gale me ek hai, do baahon me latakaae ho,
ye chaung churaakar kaha se laae ho,
kisalie haathon me trishool ko chamakaate ho,
isi damarun se kya tum saanpon ko nchaate ho,
bina bataaen, kaheen too andar jaaega,
yakeen jaanana yaheen par maara jaaega,
kya samjhata hai too isako apana dera,
kaal kya mandara raha hai tera,
kaun hai too, jaata hai bin poochhe andar,
thahar ja too hukm hai yah mera,
sunake baat aae krodh me bhole shankar,
bina vichaare hi trishool ko maara kasakar,
kata baalak ka sar, jaane kahaan ho gaya lop,
mara baalak ko dekh shaant hua unaka kop,
ge andar to chaunk karake boli paarvati,
kis tarah aae andar, koi roka n kailaashapati,
bole bhole, mainusake sar ko kaat aaya sati,
vo to khud ko hi samjh raha tha kailaashapati,
sunake baaba ki baat gir pi chakara ke ma,
putr bin kis tarah jioongi, tum hi do bata,
baaba kyon maar diya tumane laal mera,
ghar me mere chha gaya andhera,
bin baalak tpungi, saara jeevan bhar,
bole phir baaba ganajanon ko sab jaao phauran,
kaat kar laao aisa sar jo hai janma is kshn,
peeth peechhe ho usaki ma ka aisa sar ho,
koi bhi praani ho ya jeev kisi ka sar ho,
ganon ne dekha to hthani ko janam de paaya,
peeth peechhe kie hthini bhole ki maaya,
ganon ne kaat liya sar, nahi der kie, 
bhole ji haathi ka sar, pal bhar me jo die,
naayak bana die ganon ka, mere bhole,
rkh die naam ganapati aur bole,
riddhi siddhi vaala putr tera,
ise aasheervaad hai ye mera,
jo bhi aaega, isake dar pe gauri,
mite usake pal ka andhera,
jeevan me hoga saveraa. 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







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