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पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,

पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...


लाल मौरवी को,
भगवन ने आजमाया,
बर्बरीक ने हर पत्ते को,
भेद के फिर दिखलाया,
प्रभु बोले ही राजन,
जैसा सुना था वैसा पाया,
उस पीपल का पत्ता पत्ता,
आज भी यह दरशाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

प्रभु ने पूछा रणभूमि में,
किसके बनोगे साथी,
हारे के मैं साथ रहूँगा,
यही बात बस भागी,
प्रभु ने माता सरसवती फिर,
जिव्हा पर बिठलादी,
छल के कारण फिर बर्बरीक,
फिर वैसा वचन सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

बर्बरीक बोले हे ब्राह्मण,
इच्छा दान कुछ करूँ मैं,
अपनी तरफ से आप का,
कुछ आदर सम्मान करूँ मैं,
प्रभु बोले बस तेरे शीश का,
ही अरमान करूँ मैं,
सोचता हूँ तू अपने वचन से,
पीछे ना हट जाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

बर्बरीक बोले वचन से फिरना,
मुझे नहीं है आता,
लेकिन उससे पहले आपका,
असली दरश मिल जाता,
आपका दर्शन करके मैं भी,
अपना धर्म निभाता,
बर्बरीक के सुनके वचन फिर,
दिव्य दर्शन दिखाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

इच्छा है प्रभु रणभूमि का,
देखूं पूर्ण नजारा,
इतना वर दो मुझको प्रभु जी,
होगा अहसान तुम्हारा,
मैं देखूं यहाँ कौन है जीता,
और कौन है हारा,
इतना कहकर शीश दान में,
प्रभु को दिया चढ़ाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

ये वरदान से मिला प्रभु से मेरे,
मेरे नाम से पूजे जाओ,
हर हारे का बनों सहारा,
तुम भी श्याम कहलाओ,
कलयुग में जाकर के तूम,
धर्म ध्वजा फहराओ,
तेरे दरश में सबका,
बिगडा काम बन जाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

सरस्वती ने शीश उठाकर,
खाटू धाम पहुचाया,
फिर चुलकाना जैसा,
खाटू धाम कहलाया,
वही लिखा जो सार किताबों,
से है मैंने पाया,
धीरज भी दीवाना होकर,
श्यामनाम गुण गाय,
पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...

पावन चुलकाना नगरी,
देवभूमि कहलाए,
यहाँ का कण कण शीश दान की,
गाथा रहा सुनाय,
पावन चुलकाना नगरी...




paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,

paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...


laal mauravi ko,
bhagavan ne aajamaaya,
barbareek ne har patte ko,
bhed ke phir dikhalaaya,
prbhu bole hi raajan,
jaisa suna tha vaisa paaya,
us peepal ka patta patta,
aaj bhi yah darshaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

prbhu ne poochha ranbhoomi me,
kisake banoge saathi,
haare ke mainsaath rahoonga,
yahi baat bas bhaagi,
prbhu ne maata sarasavati phir,
jivha par bithalaadi,
chhal ke kaaran phir barbareek,
phir vaisa vchan sunaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

barbareek bole he braahaman,
ichchha daan kuchh karoon main,
apani tarph se aap ka,
kuchh aadar sammaan karoon main,
prbhu bole bas tere sheesh ka,
hi aramaan karoon main,
sochata hoon too apane vchan se,
peechhe na hat jaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

barbareek bole vchan se phirana,
mujhe nahi hai aata,
lekin usase pahale aapaka,
asali darsh mil jaata,
aapaka darshan karake mainbhi,
apana dharm nibhaata,
barbareek ke sunake vchan phir,
divy darshan dikhaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

ichchha hai prbhu ranbhoomi ka,
dekhoon poorn najaara,
itana var do mujhako prbhu ji,
hoga ahasaan tumhaara,
maindekhoon yahaan kaun hai jeeta,
aur kaun hai haara,
itana kahakar sheesh daan me,
prbhu ko diya chadahaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

ye varadaan se mila prbhu se mere,
mere naam se pooje jaao,
har haare ka banon sahaara,
tum bhi shyaam kahalaao,
kalayug me jaakar ke toom,
dharm dhavaja phaharaao,
tere darsh me sabaka,
bigada kaam ban jaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

sarasvati ne sheesh uthaakar,
khatu dhaam pahuchaaya,
phir chulakaana jaisa,
khatu dhaam kahalaaya,
vahi likha jo saar kitaabon,
se hai mainne paaya,
dheeraj bhi deevaana hokar,
shyaamanaam gun gaay,
paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...

paavan chulakaana nagari,
devbhoomi kahalaae,
yahaan ka kan kan sheesh daan ki,
gaatha raha sunaay,
paavan chulakaana nagari...




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