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श्री बगला अष्टकम

॥ श्री बगलाष्टक ॥
पीत सुधा सागर में विराजत,
पीत-श्रृंगार रचाई भवानी ।
ब्रह्म -प्रिया इन्हें वेद कहे,
कोई शिव प्रिया कोई विष्णु की रानी ।
जग को रचाती, सजाती, मिटाती,
है कृति बड़ा ही अलौकिक तेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करों न बिलम्ब हरो दुःख मेरो ॥1॥

पीत वसन, अरु पीत ही भूषण,
पीत-ही पीत ध्वजा फहरावे ।
उर बीच चम्पक माल लसै,
मुख-कान्ति भी पीत शोभा सरसावे ।
खैच के जीभ तू देती है त्रास,
हैं शत्रु के सन्मुख छाये अंधेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करो न विलम्ब हरो दुःख मेरो ॥2॥

ध्यावै धनेश , रमेश सदा तुम्हें,
पूजै प्रजेश पद-कंज तुम्हारे ।
गावें महेश, गणेश ,षडानन,
चारहु वेद महिमा को बखाने ।
देवन काज कियो बहु भाँति,
एक बार इधर करुणाकर हेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करो न बिलम्ब हरो दुःख मेरो ॥3॥

नित्य ही रोग डरावे मुझे,
करुणामयी काम और क्रोध सतावे ।
लोभ और मोह रिझावे मुझे,
अब शयार और कुकुर आँख दिखावे ।
मैं मति-मंद डरु इनसे,
मेरे आँगन में इनके है बसेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करो न विलम्ब हरो दुःख मेरो ॥4॥

नाम पुकारत दौडी तू आवत,
वेद पुराण में बात लिखी है ।
आ के नसावत दुःख दरिद्रता,
संतन से यह बात सुनी है ।
दैहिक दैविक, भौतिक ताप,
मिटा दे भवानी जो है मुझे घेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करो न विलम्ब हरो दुःख मेरो ॥5॥

जग में है तेरो अनेको ही पुत्र,
विलक्षण ज्ञानी और ध्यानी, सुजानी ।
मैं तो चपल, व्याकुल अति दीन,
मलिन, कुसंगी हूँ और अज्ञानी ।
हो जो कृपा तेरो, गूंगा बके,
अंधा के मिटे तम छाई घनेरो ।
हे जगदम्ब! तू ही अवलम्ब,
करो न विलम्ब हरो दुःख मेरो ॥6॥

विद्या और लक्ष्मी भरो घर में,
दुःख दीनता को तुम आज मिटा दो ।
जो भी भजे तुमको, पढ़े अष्टक,
जीवन के सब कष्ट मिटा दो ।
धर्म की रक्षक हो तू भवानी,
यह बात सुनी ओ-पढ़ी बहुतेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करो न विलम्ब हरो दुःख मेरो ॥7॥

अष्ट ही सिद्धि नवो निधि के तुम,
दाता उदार हो बगला भवानी ।
आश्रित जो भी है तेरे उसे,
कर दो निर्भय तू हे कल्याणी ।
`बैजू` कहे ललकार, करो न विचार,
बुरा ही पर हूँ तेरो चेरो ।
हे जगदम्ब! तूही अवलम्ब,
करो न विलम्ब हरो दुःख मेरो ॥8॥

॥ दोहा ॥
यह अष्टक जो भी पढे, माँ बगला चितलाई ।
निश्चय अम्बे प्रसाद से कष्ट रहित हो जाई ॥



.. shri bagalaashtak ..
peet sudha saagar me viraajat,

.. shri bagalaashtak ..
peet sudha saagar me viraajat,
peet-shrrangaar rchaai bhavaani .
braham -priya inhen ved kahe,
koi shiv priya koi vishnu ki raani .
jag ko rchaati, sajaati, mitaati,
hai kriti bada hi alaukik tero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karon n bilamb haro duhkh mero ..1..

peet vasan, aru peet hi bhooshan,
peet-hi peet dhavaja phaharaave .
ur beech champak maal lasai,
mukh-kaanti bhi peet shobha sarasaave .
khaich ke jeebh too deti hai traas,
hain shatru ke sanmukh chhaaye andhero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karo n vilamb haro duhkh mero ..2..

dhayaavai dhanesh , ramesh sada tumhen,
poojai prajesh pad-kanj tumhaare .
gaaven mahesh, ganesh ,shadaanan,
chaarahu ved mahima ko bkhaane .
devan kaaj kiyo bahu bhaanti,
ek baar idhar karunaakar hero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karo n bilamb haro duhkh mero ..3..

nity hi rog daraave mujhe,
karunaamayi kaam aur krodh sataave .
lobh aur moh rijhaave mujhe,
ab shayaar aur kukur aankh dikhaave .
mainmati-mand daru inase,
mere aangan me inake hai basero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karo n vilamb haro duhkh mero ..4..

naam pukaarat daudi too aavat,
ved puraan me baat likhi hai .
a ke nasaavat duhkh daridrata,
santan se yah baat suni hai .
daihik daivik, bhautik taap,
mita de bhavaani jo hai mujhe ghero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karo n vilamb haro duhkh mero ..5..

jag me hai tero aneko hi putr,
vilakshn gyaani aur dhayaani, sujaani .
mainto chapal, vyaakul ati deen,
malin, kusangi hoon aur agyaani .
ho jo kripa tero, goonga bake,
andha ke mite tam chhaai ghanero .
he jagadamb! too hi avalamb,
karo n vilamb haro duhkh mero ..6..

vidya aur lakshmi bharo ghar me,
duhkh deenata ko tum aaj mita do .
jo bhi bhaje tumako, padahe ashtak,
jeevan ke sab kasht mita do .
dharm ki rakshk ho too bhavaani,
yah baat suni o-padahi bahutero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karo n vilamb haro duhkh mero ..7..

asht hi siddhi navo nidhi ke tum,
daata udaar ho bagala bhavaani .
aashrit jo bhi hai tere use,
kar do nirbhay too he kalyaani .
`baijoo` kahe lalakaar, karo n vichaar,
bura hi par hoon tero chero .
he jagadamb! toohi avalamb,
karo n vilamb haro duhkh mero ..8..

.. doha ..
yah ashtak jo bhi pdhe, ma bagala chitalaai .
nishchay ambe prasaad se kasht rahit ho jaai ..







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