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Bhakt Tulasi Das Ko
Prabhu Se Milaya Apne

Bhakt Tulasi Das Ko
Prabhu Se Milaya Apne

Ram Ko Sugreev Ka
Sathi Banaya Aapne

Maat Seeta Ki Khabar
Prabhu Ko Sunaya Apne

Sharan Mein Pahucha
Vibhishan Geet Gaya Aapne

Tum Dayalu Ho Durbhav Lana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi



Tum Dayalu Ho Durbhav Lana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi

Ram Darbar Mein Swami Jaya Karo
Vaha Fariyad Meri Sunaya Karo
Mere Avagun Ko Koi Chhipana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi

Tum Dayalu Ho Durbhav Lana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi

Chahte Ho Jo Rishwat To Kya Denge Hum
Haa Gunaho Se Bharpur Kar Denge Hum
Aur Iske Aur Iske Sivay Koi Khajana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi

Tum Dayalu Ho Durbhav Lana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi

Ab To Tap Se Saras Ki Laagi Hai Lagan
Swami Kardijiye Jaldi Prabhu Se Milan
Kahi Milta Mujhe Ab Thikana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi

Tum Dayalu Ho Durbhav Lana Nahi
Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi



Bajrangi Hume Bhool Jana Nahi Hanuman Bhajan

bhakat tulasi das ko
prabahu se milay apane

ram ko sugareev ka
satahi banay aapane

maat seet ki khabar
prabahu ko sunay apane

sharan mein pahucaha
vibahisahan geet gay aapane

tum dayalu ho durabahav lan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi



tum dayalu ho durabahav lan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi

ram darabar mein swami jay karo
vah fariyad meri sunay karo
mere avagun ko koi chahipan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi

tum dayalu ho durabahav lan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi

chahate ho jo risahawat to ky denage hum
ha gunaho se bharapur kar denage hum
aur isake aur isake sivay koi khajan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi

tum dayalu ho durabahav lan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi

ab to tap se saras ki laagi hai lagan
swami karadijiye jaladi prabahu se milan
kahi milat mujahe ab thikan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi

tum dayalu ho durabahav lan nahi
bajaranagi hume bhool jan nahi







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