चिठिया लै जा ऊधो,जा के कहियो कन्हैया से,बिरहा सहा नही जाए
कैसी है निगोड़ी मेरी हाथ की ये रेखा
रूठे जो कन्हैया फिर मुड़के न देखा
कदम के डार पे खिलता नही है फूल
वृंदावन के गलियों में मिलता नही है धूल
चिठिया लै जा..............
कौन चुराए माखन मोरा
तेरे बिना लगे मोहन जीवन ये कोड़ा
कौन फोड़ेगा मेरा जल की ये मटकी निकसे न तन से प्राण क्यों ये जान अटकी
चिठिया लै जा ऊधो...........
ऊधो जा के कहना हम कुछ न कहेंगे
रूठे जो कन्हैया तो फिर रूठने न देंगे
झूठ भी कहेगा उसे सच मान लेंगे
अब न यशोदा से चुगली करेंगे
चिठिया लै जा ऊधो.......
chithiya lai ja oodho,ja ke kahiyo kanhaiya se,biraha saha nahi jaae
kaisi hai nigodi meri haath ki ye rekhaa
roothe jo kanhaiya phir mudake n dekhaa
kadam ke daar pe khilata nahi hai phool
vrindaavan ke galiyon me milata nahi hai dhool
chithiya lai jaa...
kaun churaae maakhan moraa
tere bina lage mohan jeevan ye kodaa
kaun phodega mera jal ki ye mataki nikase n tan se praan kyon ye jaan atakee
chithiya lai ja oodho...
oodho ja ke kahana ham kuchh n kahenge
roothe jo kanhaiya to phir roothane n denge
jhooth bhi kahega use sch maan lenge
ab n yashod se chugali karenge
chithiya lai ja oodho...
chithiya lai ja oodho,ja ke kahiyo kanhaiya se,biraha saha nahi jaae