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गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया, भरया भण्डारा रहसी ओ राम,-मिल्या सन्त उपदेशी, गुरु मोंयले री बाताँ

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गणेश आया रिद्धि सिद्धि ल्याया, भरया भण्डारा रहसी ओ राम,-मिल्या सन्त उपदेशी, गुरु मोंयले री बाताँ कहसी ,ओ राम म्हान झीणी झीणी बाता कहसी ॥टेर॥ हल्दी का रंग पीला होसी, केशर कद बण ज्यासी ॥॥ कोई खरीद काँसी, पीतल, सन्त शब्द लिख लेसी ॥॥ खार समद बीच अमृत भेरी, सन्त घड़ो भर लेसी ॥॥ खीर खाण्ड का अमृत भोजन, सन्त नीवाला लेसी ॥॥ कागा कँ गल पैप माला, हँसलो कद बण ज्यासी ॥॥ ऊँचे टीले धजा फरुके, चौड़े तकिया रहसी ॥॥ साध-सन्त रल भेला बैठ, नुगरा न्यारा रहसी ॥॥ शरण मछेन्दर जती गोरख बोल्या, टेक भेष की रहसी ॥॥
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सेवा म्हारी मानो गणपत, पूजा म्हारी मानो ।        खोलो म्हारे हिवडे रा ताला जी ॥ टेर ॥ जल भी चढ़ाऊँ देवा, कोनी रे अछूता ।        कोई जलवा ने मछल्या बिगाड्या जी ॥ ॥ चन्दन चढ़ाऊँ देवा, कोनी रे अछूता ।        चन्दन ने सर्प बिगाड्या जी ॥ ॥ फूल चढ़ाऊँ देवा, कोनी रे अछूता ।        फूलड़ा ने भँवरा बिगाड्या जी ॥ ॥ दूधड़ला चढ़ाऊँ देवा, कोनी रे अछूता ।        दूधड़ला ने बाछड़ा बिगाड्या जी ॥ ॥ काया भी चढ़ाऊँ देवा, कोनी रे अछूता ।        काया न करमा बिगाड्या जी ॥ ॥ पाँच चरण जति गोरक्ष बोल्या ।         साँई तेरा नाम अछूता जी ॥ ॥
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श्री गणेश काटो कलेश, नित्य हमेश, ध्यावाँ थाने अरजी कराँ दरबार में ॥ टेर ॥अरजी दरबार में, करता सरकार में, श्री गणेश, काटो कलेश ॥ ॥ दूँद दुँदाला, सूँड सुन्डाला-मोटा मूँड, लम्बी सूंड ।        फरकै दूंद, ध्यावाँ थानै अरजी करां दरबार में ॥ ॥ पुष्पन माला, नयन विशाला-चढै सिन्दूर, बरसे नूर ।        दुश्मन दूर, ध्यावाँ थाने अरजी करां दरबार में ॥ ॥ रिद्ध सिद्ध नारी, लागै पियारी, रिद्ध सिद्ध नार, भरो भण्डार ।        करो कल्याण, ध्यावाँ थाने अरजी करां दरबार में ॥ ॥ दास मोती सिंह, तेरा यश गावै, गुरु चरणा में शीश नवावै ।        दो वरदान, मागूं दान, सेवा अपार, ध्यावां थाने अरजी ॥ ॥
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धमक पधारो गणपति- ओ निज मन्दिरिये में धमक पधारो जी ॥ टेर ॥ ब्रह्मा भी आये म्हारे, विष्णु भी आये जी ।        सँगड़े में ल्याया सरस्वती ॥ ॥ शिवजी भी आये संग नाँदे न ल्याये जी ।         संगड़े में ल्याये पारवती ॥ ॥ राम भी आये म्हारे लिछमन भी आए जी ।        संगड़े में ल्याये सिया सती ॥ ॥ कौरव भी आए म्हारे पाण्डव भी आए जी ।        संगड़े में ल्याये द्रोपदी ॥ ॥ तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी आए जी ।        संगड़े में ल्याये हनुमान जती ॥ ॥ कहत कबीर सुनो भाई साधो जी ।        रिद्धि-सिद्धि ल्याये गणपति ॥ ॥
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आव सखी देख गणपत घूम है ॥टेर॥        लम्बी सूँड मतवाला जी , घृत, सिन्दुर थार मस्तक सोहे देवा,शिव-शक्ति का बाला हो गणपत, देख भया मतवाला जी ॥॥ राजा भी सुमर थान, परजा भी सुमर है        सुमर है जोगी जटावाला जी । उठ सँवरी दोपहरी तान सुमर देवा, रिद्धि सिद्धि देवणवाला ओ गणपत ॥॥ ओढ़ पीत पीतम्बर सोहे देवा,        गल फूलंडा री फूल मालाजी । सात सखी रल मंगल गाव देवा, बुद्धि को देवण हाला जो गणपत ॥॥ नात गुलाब मिल्या, गुरु पूरा ,        हृदय में करियो उजाला जी ।भानीनाथ शरण सतगुरु की देवा,खोल्या भ्रम का तIलI ओ गणपत ॥॥

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तेरा भगत करे अरदास, ज्ञान मोहे दीज्यो हे काली ॥टेर॥
माली कै नै बाग लगायो, पर्वत हरियाली, तेरे हाथ ने पुष्पन की माला, द्वार खड्या माली ॥॥  जरी का दुपट्टा चीर शीश पर सोहे जंगाली, तेरै नाकन में नकबेसर सोहे कर्ण फूल बाली ॥॥ सवा पहर के बीच भवन में खप्पर भर खाली, कर दुष्टन का नास भगत की करना रखवाली ॥॥ चाबत नगर पान होठ पर छाय रही लाली, तनै गावे मोतीलाल कालका कलकत्ते वाली ॥॥

मंगल की मूल भवनी शरणा तेरा है, शरणा तेरा है, आसरा तेरा है, शरणा तेरा है ॥टेर॥
मैया है ब्रह्मा की पुतरी, लेकर ज्ञान सवर्ग से उतरी, आज तेरी कथा बनाय देई सुथरी, प्रथम मनाया है ॥॥
 मैया भवन बणा जाली का, हार गूंथ ल्याया है माली का, हो ध्यान घर कलकत्ते वाली का, पुष्प चढ़ाया है ॥॥
मैया महिषासुर को मर्या, अपने बल से धरण पछाड्या, हो हाथ लिये खाण्डा दुघारा, असुर संघार्या है ॥॥
 कहता शंकर जटोली वाला, हरदम रटे गुरां की माला, हो खोल मेरे हृदय का ताला, विद्या बर पाया है ॥॥

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घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का ॥टेर॥
 सतगुरु धोरे गया संतसंग में, गुरांजी भे दिया हरि रंग में । शबद बाण मर्या मेरे तन में, सैल लग्या ज्यूँ स्यार का ॥
 मेरा मन चेत्या भक्ति में ॥॥
 जबसे शबद सुण्या सतगरु का, खुल गया खिड़क मेरे काया मंदिर का ।मात पिता दरस्या नहीं घरका, दूत लेजा जमराज का ।
 तेरा कोई न संगी जगती में ॥॥
 नैन नासिका ध्यान संजोले, रमता राम निजर भरजोले ।बिन बतलाया तेरे घट में बोले, बेरो ले भीतर बाहर का ॥
 अब क्यूँ भटके भूली में ॥॥
 अमृतनाथजी रम गया सुन्न में, मुझको दीदार दिखा दिया छत में ।मद्यो मगन हो जा भजन में, रुप देख निराकार का ।
 अब क्या सांसा मुक्ति में ॥॥
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भजन मत भूलो एक घड़ी, शबद मत भूलो एक घड़ी ।काया पूतलो पल में जासी, सिर पर मौत खड़ी ॥टेर॥
 इण काया में लाल अमोलक, आगे करम कड़ी ।भँवर जाल में सब जीव सून्या, बिरला ने जाण पड़ी ॥॥
इण काया में दस दरवाजा, ऊपर खिड़क जड़ी ।गुरु गम कूँची से खोलो किवाड़ी, अधर धार जड़ी ॥॥
 सत की राड़ लड़ै सतसूरा, चढ्या बंक घाटी ।गगन मण्डल में भर्या भंडारा, तन का पाप कटी ॥॥
अखै नाम नै तोलण लाग्या, तोल्या घड़ी घड़ी ।अमृतनाथजी अमर घर पुग्या, सत की राड़ लड़ी ॥॥

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भजन बिना कोई न जागै रे, लगन बिना कोई न जागै रै।तेरा जनम जनम का पाप करेड़ा, रंग किस बिध लागे रै॥टेर॥
संता की संगत करी कोनी भँवरा, भरम कैयाँ भागै रै।राम नाम की सार कोनी जाणै, बाताँ मे आगै रै ॥॥
 या संसार काल वाली गीन्डी,टोरा लागे रै।गुरु गम चोट सही कोनी जावै, पगाँ ने लागे रै॥॥
 सत सुमिरण का सैल बणाले, संता सागे रै।नार सुषमणा राड़ लडै जद, जमड़ा भागै रै॥॥
 नाथ गुलाब सत संगत करले, संता सागे रै।भानीनाथ अरज कर गावै, सतगुराँजी के आगै रै ॥॥


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कायर सके ना झेल, फकीरी अलबेला को खेल॥टेर॥
ज्यूँ रण माँय लडे नर सूरा, अणियाँ झुक रहना सेल।गोली नाल जुजरबा चालै, सन्मुख लेवै झेल॥॥
सती पति संग नीसरी, अपने पिया के गैल।सुरत लगी अपने साहिब से, अग्नि काया बिच मेल॥॥
 अलल पक्षी ज्यूँ उलटा चाले, बांस भरत नट खेल। मेरु इक्कीस छेद गढ़ बंका, चढ़गी अगम के महल॥॥
 दो और एक रवे नहीं दूजा, आप आप को खेल। कहे सामर्थ कोई असल पिछाणै, लेवै गरीबी झेल॥॥

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बलिहारी बलिहारी म्हारे सतगुरुवां ने बलिहारी।बन्धन काट किया जीव मुक्ता, और सब विपत बिड़ारी॥टेर॥वाणी सुनत परस सुख उपज्या, दुर्मति गयी हमारी।करम-भरम का संशय मेट्या, दिया कपाट उधारी॥॥माया, ब्रह्म भेद समझाया, सोंह लिया विचारी।पूरण ब्रह्म कहे उर अंदर, काहे से देत विड़ारी॥॥मौं पर दया करो मेरा सतगुरु, अबके लिया उबारी।भव सागर से डूबत तार्या, ऐसा पर उपकारी॥॥गुरु दादू के चरण कमल पर, रखू शीश उतारी।और क्या ले आगे रखू, सादर भेट तिहारी॥॥


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कोई पीवो राम रस प्यासा, कोई पीवो राम रस प्यासा।गगन मण्डल में अली झरत है, उनमुन के घर बासा॥टेर॥शीश उतार धरै गुरु आगे, करै न तन की आशा।एसा मँहगा अमी बीकर है, छः ऋतु बारह मासा॥॥मोल करे सो छीके दूर से, तोलत छूटे बासा।जो पीवे सो जुग जुग जीवे, कब हूँ न होय बिनासा॥॥एंही रस काज भये नृप योगी, छोडया भोग बिलासा।सहज सिंहासन बैठे रहता, भस्ती रमाते उदासा॥॥गोरखनाथ, भरथरी पिया, सो ही कबीर अम्यासा।गुरु दादू परताप कछुयक पाया सुन्दर दासा॥॥



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पिंजरै वाली मैना, भजो ना सिया राम राम।भजो ना सिया राम राम, रटोना राधे श्याम श्याम॥टेर॥
 पाँच तत्व का बण्या पिंजरा, जिसमें रहती मैना।जाया नाम जनम का रहसी, किस विध होसी रहना॥॥
 रंग रंगीला बण्या पिंजरा, जिसमें रहती मैना।खुल जाया पिंजरा, उड़ जाय मैना, किस विध होसी रहना॥॥
 भजन करो ये प्यारी मैना, नहीं काग बण ज्याना।जहर पियाला कव्वौ पिवै, अमृत पिवै मैना॥॥
 दास कबीर बजावै वाला, गाय सुनावै मैना।भगवत की गत भगवत जाणै, नहीं किसीने जाणा॥॥ 


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भोली साधुड़ाँ से किसोडी भिराँत म्हार बीरा रै साध रै पियालो रल भेला पीवजी॥टेर॥सतगुरु साहिब बंदा एक है जीधोबीड़ा सा धोवै गुरु का कपड़ा रै, कोई तन मन साबुन ल्याय।
 तन रै सिला मन साबणा रै, कोई मैला मैला धुप धुप ज्याय॥॥
 काया रे नगरियै में आमली रै, जाँ पर कोयलड़ी तो करै रे किलोल। कोयलड्याँ रा शबद सुहावना रै, बै तो उड़ उड़ लागै गुराँ के पांव॥॥
 काया रे नगरिये में हाटड़ी रै,जाँ पर विणज करै है साहुकार।कई रे करोड़ी धज हो चल्या रै, कई गय है जमारो हार॥॥
 सीप रे समन्दरिये मे निपजै रै, कोई मोतीड़ा तो निपजै सीपां माँय।बून्द रे पड़ै रे हर के नाम की रै, कोई लखिया बिरला सा साध॥॥
 सतगुरु शबद उच्चारिया रै, कोई रटिया सांस म सांस। देव रे डूंगरपुरी बोलिया रै, ज्यारो सत अमरापुर बास॥॥  

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गुरु ज्ञान ध्यान को झबरक दिवलो, हालो सत् के मारगाँ॥टेर॥
 आप सुवारथ सब जग राचै, परमारथ कुण राचै ओ बाबाजी,परमारथ रा राचणियाँ नर थोड़ा रे बीरा॥॥
 हाथाँ में थारे झबरक दिवलो, आंगनियो कोनी सूझे ओ बाबाजी,पैड़ी ये दुहेली किस विध चढस्यो रे बीरा॥॥
 समदरिये रा माणसिया थे तालरियाँ कांई रीइया ओ बाबाजी, समदरिये में महंगा मोती निपजै रे बीरा॥॥
 ओछे जल का मानसिया थारी तुष्णा कबुहूँ न भागै ओ बाबाजी,पर नार्यों रा मोहेड़ा नर हीणा रे बीरा॥॥
 तँवराँ मे टीकायत सिद्ध श्री रामदेवजी बोल्या ओ बाबाजी,हाथ लगेड़ो माणसियो मत खोवो रे बीरा॥॥

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बस बात जरासी, होसी लिखी रे तकदीर॥टेर॥
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी, दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर॥॥
 तूँ क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे, तूँ सोवे तो भी या जागे थ्यावस ले ले मेरा बीर॥॥
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर, मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर॥॥
 के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन, होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर॥॥ 

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बोलै नारी सुणो पियाजी, मानो म्हारी बात द्वारका थे जाओ। थे जावो पिव, थे जावो, थे जावो, पिव थे जावो॥टेर॥
 माल उधारो मिलै नहीं पिव, मुश्किल दाणै दाणै की।दोय वक्त मँ एक वक्त थारै बिद लागै है खाणै की॥
 मीठी निकलै भूख पिया, थारा दुर्बल हो गया गात-द्वारका थे जाओ॥॥
 आन गरीबी आ घेरी, बरतण ना फूटी कौड़ी।तन का वस्त्र फाट गया पिव, फाटेड़ी चादर ओडी॥
 सियां मरता फिरो, रात, दिन दे काखां मँ हाथ-द्वारका थे जाओ॥।
 जाकर भेंट करो प्रभु सँ पिव, मन मँ काँई आँट करो।अपने दिल की बात प्रभु सँ कहता काँई आँट करो।
 सारी बातां सामर्थ म्हारा देवर है बृजनाथ-द्वारका थे जाओ॥॥
 मोहन कहे मत भूलो प्रभु नै याद करो च्यार घड़ी।लख चौरासी फिर आई, या चौपड़ गन्दैस्यार पडी॥
मोहन कहे या रीत प्रभु की दे दुर्बल नै साथ-द्वारका थे जाओ॥॥

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बुंगला देखी थारी अजब बहार, जां में निराकार दीदार ॥टेक॥
 काया बुंगला मँ पातर नाचै, देख रहयो संसार ।किताक पगड़ी ले चल्या, कई गया जमारो हार ॥॥
 काया बुंगला में बीणजी बिणजै, बिणजै जिनसे अपार ।हरिजन हो सो हीरा बिणजै, पात्थर या संसार ॥॥
 काया बंगला में दौड़ा दौड़ै, दौड़ रहया दिनरात ।पांच पच्चीस मिल्या पाखरिया, लूट लिया बाजार ॥॥
 काया बुंगला में तपसी तापै, अधर सिंहासन ढाल ।हाड़ मांस से न्यारो खेलै, खेलै खेल अपार ॥॥
 काया बुंगला में चोपड़ मांडी, खेलै खेलण हार ।अबकै बाजी मंडी चौवठै, जीत चलो चाहे हार ॥॥
 नाथ गुलाम मिल्या गुरु पूरा, जद पाया दीदार ।भानी नाथ शरण सतगुरु कै, हर भज उतरो पार ॥॥

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निपजै निपजै रे बीरा-म्हारे रे साधा के।ऐ उनाल्यों, स्यालो निपजै रे॥टेर॥
 मनवो हाली चल्यो खेत मे, काँधे ज्ञान कुवाड़ी।भरे खेत में दो दो काटे, पाप कुबद की डाली॥॥
 मनवो हाली, मनसा हालन, छाक सुवारी ल्याव।पहली तो या साध जीमाव, पाछे काम करावै॥॥
 चन्दन चौकी चढ़यो डूचँव, खेत चिडकलि खावे।ज्ञान का गोफिल लिया है हाथ में, कुबद चिडकलि उड़ावे॥॥
 पचलँग पाल मेढ कर मनकी, पाँच बलदियां जोती।ओम् सोह का पलटा देकर, कुरक कुरक बरसाव॥॥
 धोला सा दोय बैल हमारा, रास पुरानी सेती।कहत कबीर सुनो भाई साधो, या साधा की खेती॥॥ 

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नगरी के लोगो, हाँ भलाँ बस्ती के लोगो।मेरी तो है जात जुलाहा, जीव का जतन करावा॥
 हाँ के दुविधा परे सरकज्याँ ये, दुनिया भरम धरैगी।कोई मेरा क्या करैगा रे, साई तेरा नाम रटूँगा॥टेर॥
 आणा नाचै, ताणा नाचै, नाचै सूत पुराणा।बाहर खड़ी तेरी नाचै जुलाही, अन्दर कोई न आणा॥॥
 हस्ती चढ़ कर ताणा तणिया, ऊँट चढ़या निर्वाणा।घुढ़लै चढ़कर बणवा लाग्या, वीर छावणी छावां॥॥
 उड़द मंग मत खा ये जुलाही, तेरा लड़का होगा काला।एक दमड़ी का चावल मंगाले, सदा संत मतवाला॥॥
 माता अपनी पुत्री नै खा गई, बेटे ने खा गयो बाप।कहत कबीर सुणो भाई साधो, रतियन लाग्यो पाप॥॥


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सतगुरु पुरा म्हाने मिल्या है सुमरतां, पियाजी री छतरी बताओ जी॥टेर॥
 कहाँ सेती तुम चलकर आया रे, कुण थाने रस्ता बताया जीकहाँ तेरा स्थान कहीजै रे, सो मोहे दरसाओ जी॥॥
 नाम नगर से चलकर आया रे, सतगुरु रस्ता बताया, भवसागरिये मे तीरना उपर, पकड़ भुजा सतगुरु ल्याया॥॥
 चढ़ छतरी पर मगन भया है रे, भँवर कुसाली पे आया, सात सखी रल मंगल गावै, जमड़ा देखत रोया॥॥ 
नवलनाथ जोगी पुरा म्हाने मिलिया, रब का रस्ता बताया, भणत कमाल नवल थारे शरणे, बैठ तन्दूरे पे गाया॥॥

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 घट में बसे रे भगवान, मंदिर में काँई ढूंढ़ती फिरे म्हारी सुरता ॥टेर॥
 मुरती कोर मंदिर में मेली, बा सुख से नहीं बोलै।दरवाजे दरबान खड्या है, बिना हुकम नहीं खोलै ॥॥
 गगन मण्डल से गंगा उतरी, पाँचू कपड़ा धोले ।बिण साबण तेरा मैल कटेगा, हरभज निर्मल होले ॥॥
 सौदागर से सौदा करले, जचता मोल करालै ।जे तेरे मन में फर्क आवेतो, घाल तराजू में तोले ॥॥
 नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा, दिल का परदा खोले ।भानीनाथ शरण सतगुरु की, राई कै पर्वत ओलै ॥॥


समझ मन माँयलारै, बीरा मेरा मैली चादर धोय।
 बिन धोयाँ दुख ना मिटै रै, बीरा मेरा तिरणा किस बिध होय॥टेर॥
 देवी सुमराँ शारदा रै, बीरा मेरा हिरदै उजाला होय।
 गुरुवाँ री गम गैला मिल्या रे, बीरा मेरा आदु अस्तल जोय॥॥
 दाता चिणाई बावड़ी रै, ज्यामें नीर गगजल होय।
 कई कई हरिजन न्हा चल्या रै, कई गया है जमारो खोय॥॥
 रोईड़ी रंग फूटरो रै, जाराँ फूल अजब रंग होय।
 ऊबो मिखमी भोम मे रै, जांकी कलियन विणजै कोई॥॥
 चंदन रो रंग सांवलो रै, जाँका मरम न जाने कोय।
 काट्या कंचन निपजै रै, ज्यामे महक सुगन्धी होय॥॥
 तन का बनाले कापडा रै, सुरता की साबुन होय।
 सुरत शीला पर देया फटकाया रै, सतगुरु देसी धोय॥॥
 लिखमा भिखमी भौम में रै, ज्याँरो गाँव गया गम होय।
 तीजी चौकी लांधजा रै, चौथी में निर्भय होय॥॥ 

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शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सैवे कुण जागै है ।साध हमारे हम साधन कै, तन सोवै ब्रह्म जागै है ॥टेर॥
 भंवर गुफा मे तपसी तापै, तपसी तपस्या करता है।अस्त्र, वस्त्र कछु नही रखता नाग निर्भय रहता है ॥॥
 एक अप्सरा आगै ऊबी, दूजी सुरमो सारै है ।तीजी सुषमण सेज बिछावै, परण्या नहीं कँवारा है ॥॥
 एक पिलंग पर दोय नर सुत्या, कुण सौवे कुण जागै है ।च्यारुँ पाया दिवला जोया, चोर किस विध लागै है ॥॥
 जल बिच कमल, कमल बिच कलिया, भंवर वासना लेता है ।पांचू चेला फिरै अकेला, ए अलख अलख जोगी करता है ॥॥
 जीवत जोगी माया भोगी, मूवा पत्थर नर माणी रै ।खोज्या खबर करो घट भीतर, जोगाराम की बाणी रै ॥॥
 परण्या पहली पुत्र जलमिया, मातपिता मन भाया है ।शरण मच्छेन्दर जति गोरक्ष बोल्या, एक अखण्डी नै ध्याया है ॥॥
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म्हारे मालिक के दरबार, आवणा जतीक और नर सती नुगरा मिलज्यो रे मती ॥टेर॥
 ज्ञान सरोदै सुरत पपैया, माखन खाणा मती ।जै खाणा तो शायर खाणा, जाँ में निपजै रति रै ॥॥
 पहली तो या गुप्त होवती, अब हो लागी प्रगटी ।राजा हरिशचंद्र तो सिद्ध कर निकल्या, लारे तारा सती रै ॥॥
 कै योजन में संत बसत है, कै योजन में जती ।नौ योजन में संत बसत है, दस योजन में जती रै ॥॥
 दत्तात्रेय ने गोरख मिल गया, मिल गया दोनों जती ।राजा दशरथ का छोटा बालक, गाबै लक्षमण जती रै ॥॥

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साधु लडे रे शबद के ओटै, तन पर चोट कोनी आयी मेरा भाई रे, साधा करी है लड़ाई....ओजी म्हारा गुरु ओजी...॥टेर॥ ओजी गुरुजी, पाँच पच्चीस चल्या पाखारिया आतम करी है चढ़ाई ।आतम राज करे काया मे, ऐसी ऐसी अदल जमाई ॥॥ ओजी गुरुजी, सात शबद का मँड्या है मोरचा, गढ़ पर नाल झुकाई ।ग्यान का गोला लग्या घट भीतर, भरमाँ की बुरज उड़ाई ॥॥ ओजी गुरुजी, ज्ञान का तेगा लिया है हाथ मे, करमा की कतल बनाई ।कतल कराइ भरमगढ़ भेल्या, फिर रही अलख दुहाई ॥॥ ओजी गुरुजी, नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा, लाला लगन लखाई ।भानी नाथ शरण सतगुरु की, खरी नौकरी पाई ॥॥

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करमाँ रो संगाती राणा कोई नहीं-लाग्यो लाग्यो राम भजन से हेत ॥टेर॥ एक माँटी रा दोय घड़कल्या, जाँरो न्यारो न्यारो भाग।एक सदाशिव कै जल चढ़ै, दूजो शमशाणा मँ जाय॥॥ एक गऊ का दोय बाछड़ा, जाँरो न्यारो न्यारो भाग।एक सदाशिव कै नाँदियो, दूजो बिणजारै रो बैल॥॥ एक मायड़ रै दोय डीकरा, जाँरो न्यारो न्यारो भाग।एक राजेश्वर राजवी, दूजो साधुड़ाँ रै लार॥॥ राठौड़ाँ रै मीरा बाई जलमिया, बानै बैकुण्ठाँ रा बास॥॥


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हो घोड़े असवार भरथरी, बियाबान मँ भटक्या।बन कै अन्दर तपै महात्मा,देख भरथरी अटक्या॥टेर॥ घोड़े पर से तुरत कूद कर, चरणां शीश नवाया।आर्शीवाद देह साधू ने, आसन पर बैठाया॥ बडे प्रेम सँ जाय कुटी मँ, एक अमर फल ल्याया।इस फल को तू खाले राजा, अमर होज्या तेरी काया॥ राजा नै ले लिया अमर फल, तुरत जेव मँ पटक्या।बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥॥ राजी होकर चल्या भरथरी, रंग महल मँ आया।राणी को जा दिया अमरफल, गुण उसका बतलाया॥ निरभागण राणी नै भी वो नहीं अमर फल खाया।चाकर सँ था प्रेम महोबत उसको जा बतलाया॥ प्रेमी रै मन प्रेमी बसता, प्रेम जिगर मँ खटक्या।बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥॥ उसी शहर की गणिका सेती, थी चाकर की यारी।उसको जाकर दिया अमरफल थी राणी सँ प्यारी॥ अमर होयकर क्या करणा है, गणिका बात बिचारी।राजा को जा दिया अमरफल,इस को खा तपधारी॥ राजा नै पहचान लिया है, होठ भूप का छिटक्या।बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥॥ क्रोधित होकर राज बोल्या, ये फल कित सँ ल्याई।गणित सोच्या ज्यान का खतरा, साँची बात बताई॥ चाकर दीन्या भेद खोल, जद होणै लगी पिटाई।हरिनारायण शर्मा कहता, बात समझ में आई॥ उपज्जा ज्ञान भरथरी को जद, बण बैरागी भटक्या।बन कै अन्दर तपै महात्मा, देख भरथरी अटक्या॥॥

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मेवाड़ी राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी।उदयपुर राणा, भजनाँ सँ लागै मीरा मीठी॥टेर॥  थारो तो राम म्हानै बतावो, नहीं तो फकीरी थारी झूठी॥॥म्हारो तो राम राणाजी घटघट बोलै, थारै हिये की कियाँ फूटी॥॥  सास नणद दोराणी, जिठाणी, जलबल भई अंगीठी॥॥थे तो साँवरिया म्हारै सिर का सेवरा, म्हें थारै हाथकी अंगूठी॥॥  सँकडी गली मँ म्हानै गिरधर मिलियो, किस बिध फिरुँ मैं अपूठी॥॥बाई मीरा के प्रभु गिरधर नागर, चढ़ गयो रंग मजीठी॥॥

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सादा जीवन सुख से जीना, अधिक इतराना ना चाहिए। भजन सार है इस दुनियाँ में, कभी बिसरना ना चाहिये॥टेर॥ मन में भेदभाव नहीं रखना, कौन पराया कुण अपना।  ईश्वर से नाता सच्चा है, और सभी झूठा सपना॥ गर्व गुमान कभी ना करना, गर्व रहै ना गले बिना।  कौन यहाँ पर रहा सदा सें, कौन रहेगा सदा बना॥ सभी भूमि गोपाल लाल की, व्यर्थ झगड़ना ना चाहिये॥॥ दान भोग और नाश तीन गति, धन की ना चोथी कोई। जतन करंता पच् मरगा, साथ ले गया ना कोई॥ इक लख पूत सवा लाख नाती, जाणै जग में सब कोई। रावण के सोने की लंका, साथ ले गया ना कोई॥ सुक्ष्म खाना खूब बांटना, भर भर धरना ना चाहिये॥॥ भोग्यां भोत घटै ना तुष्णा, भोग भोग फिर क्या करना। चित में चेतन करै च्यानणो, धन माया का क्या करना॥ धन से भय विपदा नहीं भागे, झूठा भरम नहीं धरना। धनी रहे चाहे हो निर्धन, आखिर है सबको मरना॥ कर संतोष सुखी हो मरीये, पच् पच् मरना ना चाहिये॥॥ सुमिरन करे सदा इश्वर का, साधु का सम्मान करे। कम हो तो संतोष कर नर, ज्यादा हो तो दान करे॥ जब जब मिले भाग से जैसा, संतोषी ईमान करे। आड़ा तेड़ा घणा बखेड़ा, जुल्मी बेईमान करे॥ निर्भय जीना निर्भय मरना ,शंभु डरना ना चाहिये॥॥

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हर भज हर भज हीरा परख ले, समझ पकड़ नर मजबूती । अष्ट कमल पर खेलो मेरे दाता, और बारता सब झूठी ॥टेर॥
 इन्द्र घटा ज्यूँ म्हारा सतगुरु आया, आँवत ल्याया रंग बूँटी ।त्रिवेणी के रंग महल में साधा लाला हद लूटी ॥॥
 इण काया में पाँच चोर है, जिनकी पकड़ो सिर चोटी ।पाँचवाँ ने मार पच्चीसाँ ने बसकर, जद जाणा तेरी बुध मोटी ॥॥
 सत सुमरण का सैल बणाले, ढ़ाल बणाले धीरज की । काम, क्रोध ने मार हटा दे, जद जाणा थारी रजपूती ॥॥
 झणमण झणमण बाजा बाजै, झिलमिल झिलमिल वहाँ ज्योति ओंकार के रणोकार में हँसला चुग गया निज मोती ॥॥
पक्की घड़ी का तोल बणाले, काण ने राखो एक रती । शरण मच्छेन्द्र जति गोरक्ष बोल्या, अलख लख्या सो खरा जती ॥॥

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होज्या होशियार गुरांजी के शरणै, दिल साबत फिर डरना क्या ॥टेर॥ करमन खेती धणियाँ सेती, रात दिनां बीच सोवणा क्या ।आवेगा हंसला चुग जायेगा मोती, कण बिन मण निपजाओगा क्या ॥॥ कांशी पीतल सोना हो गया, पता चल्या गुरु पारस का ।घर चेतन के पहरा दे ले, जाग – जाग नर सोना क्या ॥॥ नौ सौ नदियाँ निवासी नाला, खार समुद्र जल डूंगा क्या ।सुषमण होद भर्या घट भीतर, नाडूल्याँ में न्हाणा क्या ॥॥ चित चौपड़ का खेल रच्या है, रंग ओलख ल्यो स्यारन का ।गुरु गम पासा हाथ लग्या फिर, जीती बाजी हारो क्या ॥॥ रटले रे बंदा अलखजी री वाणी, हर ने लिख्या सो मिटना क्या ।शरण मच्छेन्द्र जती गोरक्ष बोल्या, समझ पड़ी फिर डिगना क्या ॥॥
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साँई कै नाम बिन कोनी निस्तारा, जाग जाग नर क्या सोता, जागत नगरी में चोर कोनी लागै, झक मारै तेरा जमदूता॥टेर॥ जप कर तपकर कोटि यतन कर, कासी जाय करोत ले ले।भजे बिना तेरी मुक्ति न होसी, भजले जोगी अवधूता॥॥ जोगी होकर जटा बढ़ाले अन्ग रमाले भभूता।जोग जुगत की सार कोनी जाणै, जोग नहीं तेरा हठ झूठा॥॥ जिनकी सुरता लगी भजन में, काल जाल से नहीं डरता।अधर अणी पर आसन रखता, से जोगी है अवधूता॥॥ सोवतड़ा नर भोगै चौरासी, जागतड़ा नर जुग जीत्या।रामनन्दजी का भणै कबीरा, मझलाँ मझलाँ जाय पहुँच्या॥॥

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दिल अपणै में सोचले समझ , दुख पावै जान। मेरी नाथ बिना, रघुनाथ बिना॥टेर॥
आई जवानी भया दीवाना, बल तोले हस्ती जितना। यम का दूत पकड़ ले जासी, जोर न चाले तिल जितना॥॥
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीला, झूठी माया घर अपना। कई बार पुत्र पिता घर जनमें, कई बार पुत्र पिता अपना॥॥
कुण संग आया, कुण संग जासी, सब जुग जासी साथ बिना। हंसला बटाऊ तेरा यहीं रह जासी, खोड़ पड़ी रवे सांस बिना॥॥
लखै सरीसा, लख घर छोड्या, हीरा मोती और रतना। अपनी करणी, पार उतरणी, भजन बणायो है कसाई सजना॥॥
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नर छोड़ दे कपट के जाल, बताऊँ तनै तिरणे की तदबीर ॥टेर।  हरि की माला ऐसे रटणी, जैसे बांस पर चढज्या नटनी
मुश्किल है या काया डटनी, डटै तो परले तीर॥॥
गऊ चरणे को जाती बन मे, बछडे को छोड़ दिया अपणे भवन मे
सुरत लगी बछड़े की तन मे, जैसे शोध शरीर॥॥
जल भरने को जाती नारी, सिर पर घड़ो घड़ै पर झारी
हाथ जोड़ बतलावे सारी, मारग जात वही॥॥
गंगादास कथै अविनाशी, गंगादास का गुरु संयासी
राम भजे से कटज्या फांसी, कालु राम कहीं॥॥
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भरत पियारा मेरो नाम हनुमान, नाम हनुमान मेरो॥टेर॥
कौन दिशा से आयो भाई, इस पहाड़ को करसीं कांई. देख लेई तेरी प्रभुताई, झेल्यो मेरो बाण॥॥
लंकापुरी से आयो भाई, लक्षमणजी ने मुरछा आई. रावण सुत ने बाण चलायो, मार्यो शक्ति बाण॥॥
कहो भरत क्या जतन उपाऊँ, लँगड़ा कर दिया कैसे जाऊँ.  संजीवन कैसे पहुँचाऊँ उदय होसी भान॥॥
आवो बाला बैठो बाण पे, तन्ने पहुँचा दूँ लंका धाम में. ऐसी मेरे जचै रही ध्यान में बाण विमान॥॥
ले संजीवन हनुमत आये, लछमण जी नै घोल पिलाये. सुखीराम भाषा मे गाये, चरणो में ध्यान॥॥

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निन्द्रा बेच दू कोई ले तो, रामो राम रटे तो तेरो मायाजाल कटेगी॥टेर॥
भाव राख सतसंग में जावो, चित में राखो चेतो। हाथ जोड़ चरणा में लिपटो, जे कोई संत मिले तो॥॥
पाई की मण पाँच बेच दू, जे कोई ग्राहक हो तो। पाँचा में से चार छोड़ दू, दाम रोकड़ी दे तो॥॥
बैठ सभा में मिथ्या बोले, निन्द्रा करै पराई। वो घर हमने तुम्हें बताया, जावो बिना बुलाई॥॥
के तो जावो राजद्वारे, के रसिया रस भोगी। म्हारो पीछो छोड़ बावरी, म्हे हाँ रमता जोगी॥॥
ऊँचा मंदिर देख जायो, जहाँ मणि चवँर दुलाबे। म्हारे संग क्या लेगी बावरी, पत्थर से दुख पावे॥॥
कहे भरतरी सुण हे निन्द्रा, यहाँ न तेरा बासा। म्हें तो रहता गुरु भरोसे, राम मिलण की आशा॥॥
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इण आंगणियै मे ए। कई खेल्या कई खेलसी। कई खेल सिधारया ए ॥टेर॥
आवो पाँच सहेलियो म्हारा सीम दो न चोला ए। मै हूँ अबला सूंदरी, मेरा सहिब भोला ए॥॥
एक छिनौला, दूजी कूबड़ी, तीजी नाजुक छोटी ए। नैण हमारा यूँ झरे ज्यों गागर फूटी ए॥॥
जाय उतारै हरिये बड़ तलै, संगी कुरलाया ए। थे घर जाओ भैणा आपणै, म्हे भया पराया ए॥॥
काजी तो महमद यूँ कया अब यहाँ नहीं रहणा ए। आया परवाना श्याम का, सखी यहाँ से चलणा ए॥॥

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मनमोहन थारी लागै छवि प्यारी, बिरत में बाँसुरी बाजी।  बासुरी बाजी बिरज में, मुरलिया बाजी, मनमोहन थारी लागै॥टेर॥
मीरा महलाँ ऊतरी रै, छाया तिलक लगाय। बतलाई बोलै नहीं रै, राणो रहो रिसाय॥॥
राणो मीरा पर कोपियो रै, सूँत लई तलवार। मार्याँ पिराछट लागसी रै, पीवर दयो पहुँचाय॥॥
मीरा ऊबी गोखड़ाँ रै, ऊँटाँ कसियो भार। दाँवो छोड्यो मेडतो रै, सीधी पुष्कर जाय॥॥
जहर पियालो राणो भेजियो रै, दयो मीरा नै जाय। कर चरणामृत पी गई रै, थे जाणो रघुनाथ॥॥
सर्प पिटारो राणो भेजियो रै, दयो मीरा नै जाय। खोल पिटारो मीरा पहरियो रै, बण गयो नौसर हार॥॥
मीरा हर की लाड़ली रै, राणो बन को ठुँठ। समझायो समझ्यो नहीं रै, लेज्याती बैकुण्ठ॥॥

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भाई रे मत दीजो मावड़ली ने दोष, कर्मा की रेखा न्यारी॥टेर॥
भाई रे एक बेलड़ के तूम्बा चार, चारा री करणी न्यारी न्यारी। भाई रे पहलो गुराँसा रे हाथ, दूजोडो मृदंग बाजणो।
भाई रे तीजो तम्बुरा वाली बीण, चोथोडो भीक्षा मांगणो॥॥ भाई रे एक गऊ के बछड़ा चार, चारा री करणी न्यारी न्यारी।
भाई रे पहलो सुरजमल रो सांड, दूजोडो शिव को नान्दियो। भाई रे तीजो यो धाणी वालो बैल, चोथोड़ो बालद लादनो॥॥
भाई रे एक माटी का बर्तन चार, चारा री करणी न्यारी न्यारी। भाई रे पहले में दहिड़ो जमावे, दूजो तो शिव के जल चढ़े।
भाई रे तीजो पणिहार्या रे शीश, चोथोड़ो शमशान जायसी॥॥ भाई रे एक मायड़ के पुत्र चार, चारा री करणी न्यारी न्यारी।
भाई रे पहलो राजाजी री पोल, दूजोड़ो हीरा पारखी। भाई रे तीजो यो हाट बजार, चोथोड़ो भीक्षा मांगसी॥॥
भाई रे कह गया कबीरो धर्मीदास, कर्मारा भारा मेटयो॥॥
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म्हारा सतगुरु देयी है बताय, दलाली हीरा लालन की॥टेर॥
लाल पड़ी चौगान में, रही कीच लपटाय। नुगरा माणंस ठोकर मारी, सुगरै ने लेई है उठाय॥॥
हीरा पन्ना की कोठड़ी रे, गाहक हो तो खोल। आवेगा कोई संत विवेकी, लेगा बे मंहगे मोल॥॥
लाल लाल तो सब कहे रे, सब के पल्ले लाल। गांठ खोल देखे नहीं रे, इस बिध भयो कंगाल॥॥
लाली लाली सब कहे रे, लाली लखे न कोय। दास कबीर लाली लखीरे, आवा गमन मिटाय॥॥
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मिनख जमारो बंदा ऐलो मत खोवै रे, सुखरत करले जमारा नै.पापी के मुख से राम कोनी निकसै, केशर घुल रही गारा में ॥टेर॥
भैस पद्मणी ने गैणों तो पहरायो, कांई जाणै पहरण हारा ने ।
पहर कौनी जाणै बा तो चाल कोनी जाणै रे, उमर गमादी गोबर गारा में ॥॥
सोने के थाल में सूरी ने परोसी, कांई जाणै जीमन हारा ने ।
जीम कोनी जाणै बा तो जूठ कोनी जाणै रे, हुरड़ हुरड़ करती जमारा ने ॥॥
काँच के महल में कुत्ती ने सुवाई, कांई जाणै सोवण हारा ने ।
सोय कोनी जाणै बा तो ओढ़ कोनी जाणै रे, घुस घुस मरगी गलियारा में ॥॥
मानक मोती मुर्खा ने दीन्या, दलबा तो बैट गया सारा नै ।
हीरा की पारख जोहरी जाणै, कांई बेरो मुरख गँवारा नै ॥॥
अमृतनाथजी अमर हो गया जोगी, जार गया काँचे पारा ने ।भूरा भजन हरिराम का करले, हर मिलसी दशवां द्वारा में ॥॥
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सुखरासी एजी अविनाशी, अमर नगर का बासी ।सतगुरु सुख राशि, ऐजी अविनाशी ॥टेर॥  जाग्रत स्वप्र सुषुप्ति तज के, तुरिया तत्व एक अविनाशी ।भंवर गुफा में सेज गुरां की, तेज पुंज जहाँ प्रकाशी ॥॥  बारह मास बसन्त रहे जहाँ, मेघ अमीरस झड़ ल्यासी ।त्रिकुटी में भंवर गुंजार करत है, सुखमण तकिया है कासी ॥॥  बिन दीपक वहाँ जोत जगत है, कोन भानु वहाँ प्रकाशी ।अनहद शब्द धुन गुंजार करत है, बिन पग पायल झनकासी ॥॥  पाप पुण्या की गम जँहा नाहीं, नहीं बठे त्रिगुण की फांसी ।अगम अगाध अपार अगोचर, ऐसे देश का गुरु है वासी ॥॥  अमृतनाथजी दयालु दया कर, ऐसो घर कब दिखलासी ।दुर्गाशंकर प्रेम दीवाना, छुट गयी जमड़ारी फांसी ॥॥
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आंख बिना पांख बिना, बिना मुख नारी रे,नीचे रे घङुलियो, उपर पनिहारी ॥टेर॥  जल केरी कुडिया अगम केरी झारी रे ,माता कुवारी पिता ब्रह्मचारी ॥॥  एक कुवटियो नौ सौ पनिहारी रे ,नीर भेरे सब न्यारी न्यारी ॥॥  भर गया आगर सागर खीसक गयी क्यारी,आखं मसलती आवे पनिहारी ॥॥  सावली सुरत जांकी बोली लागे प्यारी प्यारी ,भरी सभा में मुलकती नारी ॥॥  गोरक्ष जति बोल्या उलटी बाणी रे,दूध का दूध पाणी का पाणी रे ॥॥
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सतगुरुवाँ से मिलबा चालो ऐ, सजो सिनगारो ॥टेर॥  नीर गंगाजल सिर पर डारो, कचरो परै विडारो ये ।मन मैले ने मल मल धोल्यो, साफ हुवै तन सारो ये ॥॥  गम को घाघरो पैर सुहागण, नेम को नाड़ो सारो ये ।जरणा री गाँठ जुगत से दिज्यो, लोग हँसेगो सारो ये ॥॥  सत की स्यालु ओढ़ सुहागण, प्रेम की पटली मारो ये ।राम नाम को गोटो लगाकर, ज्ञान घूंघटो सारो ये ॥॥  ओर पियो मेरे दाय कोनी आवै, पियो करुँ करतारो ये ।मेरो पियो मेरे घट में बसत है, पलक होवे न न्यारो ये ॥॥  नाथ गुलाब मिल्या गुरु पुरा, म्हाने दियो शबद ललकारो ये ।भानी नाथ गुराँजी के शरणै, सहजाँ मिल्यो किनारो ये ॥॥
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चादर झीणी राम झीणी, या तो सदा राम रस भीणी॥टेर॥ अष्ट कमल पर चरखो चाले, पाँच तंत की पूणी।नौ दस मास बणताँ लाग्या, सतगुरु ने बण दीनी॥॥ जद मेरी चादर बण कर आई, रंग रेजा ने दीनी।ऐसा रंग रंगा रंगरेजा, लाली लालन कीनी॥॥ मोह माया को मैल निकाल्या, गहरी निरमल कीनी।प्रेम प्रीत को रंगलगाकर, सतगुरुवाँ रंग दीनी॥॥ ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी, सुखदेव ने निर्मल कीनी।दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यू की ज्यू धर दीनी॥॥
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तेरे गले को हार जंजीरो रे, सतगुरु सुलझावेगातेरी काया नगर में हीरो रै, हेरे से पावेगा॥टेर॥ कारीगर का पिंजरा रे, तने घड़ल्यायो करतार।शायर करसी सोधणा रै, मुरख करे रे मरोड़,। रोष मन माँयले में ल्यावेगा॥॥
मन लोभी, मन लालची रे भाई मन चंचल मन चोर।मन के मत में ना चले रे, पलक पलक मन और, जीव के जाल घलावेगा॥॥ ऐसा नान्हा चालिऐ रे भाई, जैसी नान्ही दूब।और घास जल जा जायसी रै, दूब रहेगी खूब,। फेर सावण कद आवेगा ॥॥ साँई के दरबार में रे भाई, लाम्बी बढ़ी है खजूर।चढे तो मेवा चाखले रै, पड़े तो चकना चूर,। फेर उठण कद पावेगा॥॥ जैसी शीशी काँच की र भाई, वैसी नर की देह।जतन करता जायसी रै, हर भज लावा लेय,। फेर मौसर कद आवेगा॥॥ चंदा गुड़ी उडावता रे भाई लाम्बी देता डोर।झोलो लाग्यो प्रेम को रै, कित गुड़िया कित डोर,। फेर कुण पतंग उड़ावेगा॥॥ ऐसी कथना कुण कथी रे भाई, जैसी कथी कबीर।जलिया नाहीं, गडिया नाहीं, अमर भयो है शरिर। पैप का फूल बरसाबेगा॥॥
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ganesh aaya vriddh siddh laya

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tera bhagat kare aradaas, gyaan mohe deejyo he kaali ..ter..
maali kai nai baag lagaayo, parvat hariyaali, tere haath ne pushpan ki maala, dvaar khadya maali ....  jari ka dupatta cheer sheesh par sohe jangaali, terai naakan me nakabesar sohe karn phool baali .... sava pahar ke beech bhavan me khappar bhar khaali, kar dushtan ka naas bhagat ki karana rkhavaali .... chaabat nagar paan hoth par chhaay rahi laali, tanai gaave moteelaal kaalaka kalakatte vaali ....

mangal ki mool bhavani sharana tera hai, sharana tera hai, aasara tera hai, sharana tera hai ..ter..
maiya hai brahama ki putari, lekar gyaan savarg se utari, aaj teri ktha banaay dei suthari, prtham manaaya hai ....
 maiya bhavan bana jaali ka, haar goonth lyaaya hai maali ka, ho dhayaan ghar kalakatte vaali ka, pushp chadahaaya hai ....
maiya mahishaasur ko marya, apane bal se dharan pchhaadya, ho haath liye khaanda dughaara, asur sanghaarya hai ....
 kahata shankar jatoli vaala, haradam rate guraan ki maala, ho khol mere haraday ka taala, vidya bar paaya hai ....

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ghat raakho atal surati ne, darasan kar nij bhagavaan ka ..ter..
 sataguru dhore gaya santasang me, guraanji bhe diya hari rang me . shabad baan marya mere tan me, sail lagya jyoon syaar ka ..
 mera man chetya bhakti me ....
 jabase shabad sunya satagaru ka, khul gaya khidak mere kaaya mandir ka .maat pita darasya nahi gharaka, doot leja jamaraaj ka .
 tera koi n sangi jagati me ....
 nain naasika dhayaan sanjole, ramata ram nijar bharajole .bin batalaaya tere ghat me bole, bero le bheetar baahar ka ..
 ab kyoon bhatake bhooli me ....
 amaratanaathaji ram gaya sunn me, mujhako deedaar dikha diya chhat me .madyo magan ho ja bhajan me, rup dekh niraakaar ka .
 ab kya saansa mukti me ....
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bhajan mat bhoolo ek ghadi, shabad mat bhoolo ek ghadi .kaaya pootalo pal me jaasi, sir par maut khadi ..ter..
 in kaaya me laal amolak, aage karam kadi .bhanvar jaal me sab jeev soonya, birala ne jaan padi ....
in kaaya me das daravaaja, oopar khidak jadi .guru gam koonchi se kholo kivaadi, adhar dhaar jadi ....
 sat ki raad ladai satasoora, chdhaya bank ghaati .gagan mandal me bharya bhandaara, tan ka paap kati ....
akhai naam nai tolan laagya, tolya ghadi ghadi .amaratanaathaji amar ghar pugya, sat ki raad ladi ....

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bhajan bina koi n jaagai re, lagan bina koi n jaagai rai.tera janam janam ka paap kareda, rang kis bidh laage rai..ter..
santa ki sangat kari koni bhanvara, bharam kaiyaan bhaagai rai.ram naam ki saar koni jaanai, baataan me aagai rai ....
 ya sansaar kaal vaali geendi,tora laage rai.guru gam chot sahi koni jaavai, pagaan ne laage rai....
 sat sumiran ka sail banaale, santa saage rai.naar sushamana raad ladai jad, jamada bhaagai rai....
 naath gulaab sat sangat karale, santa saage rai.bhaaneenaath araj kar gaavai, sataguraanji ke aagai rai ....


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kaayar sake na jhel, phakeeri alabela ko khel..ter..
jyoon ran maay lade nar soora, aniyaan jhuk rahana sel.goli naal jujaraba chaalai, sanmukh levai jhel....
sati pati sang neesari, apane piya ke gail.surat lagi apane saahib se, agni kaaya bich mel....
 alal pakshi jyoon ulata chaale, baans bharat nat khel. meru ikkees chhed gadah banka, chadahagi agam ke mahal....
 do aur ek rave nahi dooja, aap aap ko khel. kahe saamarth koi asal pichhaanai, levai gareebi jhel....

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balihaari balihaari mhaare sataguruvaan ne balihaari.bandhan kaat kiya jeev mukta, aur sab vipat bidaari..ter..vaani sunat paras sukh upajya, durmati gayi hamaari.karam-bharam ka sanshay metya, diya kapaat udhaari....maaya, braham bhed samjhaaya, sonh liya vichaari.pooran braham kahe ur andar, kaahe se det vidaari....maun par daya karo mera sataguru, abake liya ubaari.bhav saagar se doobat taarya, aisa par upakaari....guru daadoo ke charan kamal par, rkhoo sheesh utaari.aur kya le aage rkhoo, saadar bhet tihaari....


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koi peevo ram ras pyaasa, koi peevo ram ras pyaasaa.gagan mandal me ali jharat hai, unamun ke ghar baasaa..ter..sheesh utaar dharai guru aage, karai n tan ki aashaa.esa manhaga ami beekar hai, chhah ritu baarah maasaa....mol kare so chheeke door se, tolat chhoote baasaa.jo peeve so jug jug jeeve, kab hoon n hoy binaasaa....enhi ras kaaj bhaye narap yogi, chhodaya bhog bilaasaa.sahaj sinhaasan baithe rahata, bhasti ramaate udaasaa....gorkhanaath, bharthari piya, so hi kabeer amyaasaa.guru daadoo parataap kchhuyak paaya sundar daasaa....



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pinjarai vaali maina, bhajo na siya ram ram.bhajo na siya ram ram, ratona radhe shyaam shyaam..ter..
 paanch tatv ka banya pinjara, jisame rahati mainaa.jaaya naam janam ka rahasi, kis vidh hosi rahanaa....
 rang rangeela banya pinjara, jisame rahati mainaa.khul jaaya pinjara, ud jaay maina, kis vidh hosi rahanaa....
 bhajan karo ye pyaari maina, nahi kaag ban jyaanaa.jahar piyaala kavvau pivai, amarat pivai mainaa....
 daas kabeer bajaavai vaala, gaay sunaavai mainaa.bhagavat ki gat bhagavat jaanai, nahi kiseene jaanaa.... 


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bholi saadhudaan se kisodi bhiraant mhaar beera rai saadh rai piyaalo ral bhela peevaji..ter..sataguru saahib banda ek hai jeedhobeeda sa dhovai guru ka kapada rai, koi tan man saabun lyaay.
 tan rai sila man saabana rai, koi maila maila dhup dhup jyaay....
 kaaya re nagariyai me aamali rai, jaan par koyaladi to karai re kilol. koyaladyaan ra shabad suhaavana rai, bai to ud ud laagai guraan ke paanv....
 kaaya re nagariye me haatadi rai,jaan par vinaj karai hai saahukaar.ki re karodi dhaj ho chalya rai, ki gay hai jamaaro haar....
 seep re samandariye me nipajai rai, koi moteeda to nipajai seepaan maay.boond re padai re har ke naam ki rai, koi lkhiya birala sa saadh....
 sataguru shabad uchchaariya rai, koi ratiya saans m saans. dev re doongarapuri boliya rai, jyaaro sat amaraapur baas....  

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guru gyaan dhayaan ko jhabarak divalo, haalo sat ke maaragaan..ter..
 aap suvaarth sab jag raachai, paramaarth kun raachai o baabaaji,paramaarth ra raachaniyaan nar thoda re beeraa....
 haathaan me thaare jhabarak divalo, aanganiyo koni soojhe o baabaaji,paidi ye duheli kis vidh chdhasyo re beeraa....
 samadariye ra maanasiya the taalariyaan kaani reeiya o baabaaji, samadariye me mahanga moti nipajai re beeraa....
 ochhe jal ka maanasiya thaari tushna kabuhoon n bhaagai o baabaaji,par naaryon ra moheda nar heena re beeraa....
 tanvaraan me teekaayat siddh shri ramdevaji bolya o baabaaji,haath lagedo maanasiyo mat khovo re beeraa....

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bas baat jaraasi, hosi likhi re takadeer..ter..
likhi karam ki kaiyaan talasi, tero jor kthe taai chalasi, duramat karayaan re ghano ji balasi, duramat chhodo mera beer....
 toon kyoon dhan ki khaatir bhaage, kismat tere saage saage, toon sove to bhi ya jaage thyaavas le le mera beer....
tero man chokhi khaane par, chhaap lagi daane daane par, mil jaasi mauko aane par,jis re daane me tero seer....
 ke chaave too chokha sangapan, ke chaave toon maan badappan, hove ek vichaare chhappan, shanbhu bhajo re rghuveer.... 

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bolai naari suno piyaaji, maano mhaari baat dvaaraka the jaao. the jaavo piv, the jaavo, the jaavo, piv the jaavo..ter..
 maal udhaaro milai nahi piv, mushkil daanai daanai ki.doy vakt man ek vakt thaarai bid laagai hai khaanai ki..
 meethi nikalai bhookh piya, thaara durbal ho gaya gaat-dvaaraka the jaao....
 aan gareebi a gheri, baratan na phooti kaudi.tan ka vastr phaat gaya piv, phaatedi chaadar odi..
 siyaan marata phiro, raat, din de kaakhaan man haath-dvaaraka the jaao...
 jaakar bhent karo prbhu san piv, man man kaani aant karo.apane dil ki baat prbhu san kahata kaani aant karo.
 saari baataan saamarth mhaara devar hai barajanaath-dvaaraka the jaao....
 mohan kahe mat bhoolo prbhu nai yaad karo chyaar ghadi.lkh chauraasi phir aai, ya chaupad gandaisyaar padi..
mohan kahe ya reet prbhu ki de durbal nai saath-dvaaraka the jaao....

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bungala dekhi thaari ajab bahaar, jaan me niraakaar deedaar ..tek..
 kaaya bungala man paatar naachai, dekh rahayo sansaar .kitaak pagadi le chalya, ki gaya jamaaro haar ....
 kaaya bungala me beenaji binajai, binajai jinase apaar .harijan ho so heera binajai, paatthar ya sansaar ....
 kaaya bangala me dauda daudai, daud rahaya dinaraat .paanch pachchees milya paakhariya, loot liya baajaar ....
 kaaya bungala me tapasi taapai, adhar sinhaasan dhaal .haad maans se nyaaro khelai, khelai khel apaar ....
 kaaya bungala me chopad maandi, khelai khelan haar .abakai baaji mandi chauvthai, jeet chalo chaahe haar ....
 naath gulaam milya guru poora, jad paaya deedaar .bhaani naath sharan sataguru kai, har bhaj utaro paar ....

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nipajai nipajai re beeraa-mhaare re saadha ke.ai unaalyon, syaalo nipajai re..ter..
 manavo haali chalyo khet me, kaandhe gyaan kuvaadi.bhare khet me do do kaate, paap kubad ki daali....
 manavo haali, manasa haalan, chhaak suvaari lyaav.pahali to ya saadh jeemaav, paachhe kaam karaavai....
 chandan chauki chadahayo doochanv, khet chidakali khaave.gyaan ka gophil liya hai haath me, kubad chidakali udaave....
 pchalang paal medh kar manaki, paanch baladiyaan joti.om soh ka palata dekar, kurak kurak barasaav....
 dhola sa doy bail hamaara, raas puraani seti.kahat kabeer suno bhaai saadho, ya saadha ki kheti.... 

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nagari ke logo, haan bhalaan basti ke logo.meri to hai jaat julaaha, jeev ka jatan karaavaa..
 haan ke duvidha pare sarakajyaan ye, duniya bharam dharaigi.koi mera kya karaiga re, saai tera naam ratoongaa..ter..
 aana naachai, taana naachai, naachai soot puraanaa.baahar khadi teri naachai julaahi, andar koi n aanaa....
 hasti chadah kar taana taniya, oont chadahaya nirvaanaa.ghudahalai chadahakar banava laagya, veer chhaavani chhaavaan....
 udad mang mat kha ye julaahi, tera ladaka hoga kaalaa.ek damadi ka chaaval mangaale, sada sant matavaalaa....
 maata apani putri nai kha gi, bete ne kha gayo baap.kahat kabeer suno bhaai saadho, ratiyan laagyo paap....


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sataguru pura mhaane milya hai sumarataan, piyaaji ri chhatari bataao ji..ter..
 kahaan seti tum chalakar aaya re, kun thaane rasta bataaya jeekahaan tera sthaan kaheejai re, so mohe darasaao ji....
 naam nagar se chalakar aaya re, sataguru rasta bataaya, bhavasaagariye me teerana upar, pakad bhuja sataguru lyaayaa....
 chadah chhatari par magan bhaya hai re, bhanvar kusaali pe aaya, saat skhi ral mangal gaavai, jamada dekhat royaa.... 
navalanaath jogi pura mhaane miliya, rab ka rasta bataaya, bhanat kamaal naval thaare sharane, baith tandoore pe gaayaa....

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 ghat me base re bhagavaan, mandir me kaani dhoondahati phire mhaari surata ..ter..
 murati kor mandir me meli, ba sukh se nahi bolai.daravaaje darabaan khadya hai, bina hukam nahi kholai ....
 gagan mandal se ganga utari, paanchoo kapada dhole .bin saaban tera mail katega, harbhaj nirmal hole ....
 saudaagar se sauda karale, jchata mol karaalai .je tere man me phark aaveto, ghaal taraajoo me tole ....
 naath gulaab milya guru poora, dil ka parada khole .bhaaneenaath sharan sataguru ki, raai kai parvat olai ....


samjh man maayalaarai, beera mera maili chaadar dhoy.
 bin dhoyaan dukh na mitai rai, beera mera tirana kis bidh hoy..ter..
 devi sumaraan shaarada rai, beera mera hiradai ujaala hoy.
 guruvaan ri gam gaila milya re, beera mera aadu astal joy....
 daata chinaai baavadi rai, jyaame neer gagajal hoy.
 ki ki harijan nha chalya rai, ki gaya hai jamaaro khoy....
 roeedi rang phootaro rai, jaaraan phool ajab rang hoy.
 oobo mikhami bhom me rai, jaanki kaliyan vinajai koi....
 chandan ro rang saanvalo rai, jaanka maram n jaane koy.
 kaatya kanchan nipajai rai, jyaame mahak sugandhi hoy....
 tan ka banaale kaapada rai, surata ki saabun hoy.
 surat sheela par deya phatakaaya rai, sataguru desi dhoy....
 likhama bhikhami bhaum me rai, jyaanro gaanv gaya gam hoy.
 teeji chauki laandhaja rai, chauthi me nirbhay hoy.... 

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shunn ghar shahar, shahar ghar basti, kun saive kun jaagai hai .saadh hamaare ham saadhan kai, tan sovai braham jaagai hai ..ter..
 bhanvar gupha me tapasi taapai, tapasi tapasya karata hai.astr, vastr kchhu nahi rkhata naag nirbhay rahata hai ....
 ek apsara aagai oobi, dooji suramo saarai hai .teeji sushaman sej bichhaavai, paranya nahi kanvaara hai ....
 ek pilang par doy nar sutya, kun sauve kun jaagai hai .chyaarun paaya divala joya, chor kis vidh laagai hai ....
 jal bich kamal, kamal bich kaliya, bhanvar vaasana leta hai .paanchoo chela phirai akela, e alkh alkh jogi karata hai ....
 jeevat jogi maaya bhogi, moova patthar nar maani rai .khojya khabar karo ghat bheetar, jogaaram ki baani rai ....
 paranya pahali putr jalamiya, maatapita man bhaaya hai .sharan machchhendar jati goraksh bolya, ek akhandi nai dhayaaya hai ....
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mhaare maalik ke darabaar, aavana jateek aur nar satee nugara milajyo re mati ..ter..
 gyaan sarodai surat papaiya, maakhan khaana mati .jai khaana to shaayar khaana, jaan me nipajai rati rai ....
 pahali to ya gupt hovati, ab ho laagi pragati .raaja harishchandr to siddh kar nikalya, laare taara sati rai ....
 kai yojan me sant basat hai, kai yojan me jati .nau yojan me sant basat hai, das yojan me jati rai ....
 dattaatrey ne gorkh mil gaya, mil gaya donon jati .raaja dsharth ka chhota baalak, gaabai lakshman jati rai ....

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saadhu lade re shabad ke otai, tan par chot koni aayi mera bhaai re, saadha kari hai ladaai....oji mhaara guru oji.....ter.. oji guruji, paanch pachchees chalya paakhaariya aatam kari hai chadahaai .aatam raaj kare kaaya me, aisi aisi adal jamaai .... oji guruji, saat shabad ka mandya hai morcha, gadah par naal jhukaai .gyaan ka gola lagya ghat bheetar, bharama ki buraj udaai .... oji guruji, gyaan ka tega liya hai haath me, karama ki katal banaai .katal karaai bharamagadah bhelya, phir rahi alkh duhaai .... oji guruji, naath gulaab milya guru poora, laala lagan lkhaai .bhaani naath sharan sataguru ki, khari naukari paai ....

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karama ro sangaati raana koi nahi-laagyo laagyo ram bhajan se het ..ter.. ek maati ra doy ghadakalya, jaanro nyaaro nyaaro bhaag.ek sadaashiv kai jal chadahai, doojo shamshaana man jaay.... ek goo ka doy baachhada, jaanro nyaaro nyaaro bhaag.ek sadaashiv kai naandiyo, doojo binajaarai ro bail.... ek maayad rai doy deekara, jaanro nyaaro nyaaro bhaag.ek raajeshvar raajavi, doojo saadhudaan rai laar.... raathaudaan rai meera baai jalamiya, baanai baikunthaan ra baas....


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ho ghode asavaar bharthari, biyaabaan man bhatakyaa.ban kai andar tapai mahaatma,dekh bharthari atakyaa..ter.. ghode par se turat kood kar, charanaan sheesh navaayaa.aarsheevaad deh saadhoo ne, aasan par baithaayaa.. bade prem san jaay kuti man, ek amar phal lyaayaa.is phal ko too khaale raaja, amar hojya teri kaayaa.. raaja nai le liya amar phal, turat jev man patakyaa.ban kai andar tapai mahaatma, dekh bharthari atakyaa.... raaji hokar chalya bharthari, rang mahal man aayaa.raani ko ja diya amarphal, gun usaka batalaayaa.. nirbhaagan raani nai bhi vo nahi amar phal khaayaa.chaakar san tha prem mahobat usako ja batalaayaa.. premi rai man premi basata, prem jigar man khatakyaa.ban kai andar tapai mahaatma, dekh bharthari atakyaa.... usi shahar ki ganika seti, thi chaakar ki yaari.usako jaakar diya amarphal thi raani san pyaari.. amar hoyakar kya karana hai, ganika baat bichaari.raaja ko ja diya amarphal,is ko kha tapdhaari.. raaja nai pahchaan liya hai, hoth bhoop ka chhitakyaa.ban kai andar tapai mahaatma, dekh bharthari atakyaa.... krodhit hokar raaj bolya, ye phal kit san lyaai.ganit sochya jyaan ka khatara, saanchi baat bataai.. chaakar deenya bhed khol, jad honai lagi pitaai.harinaaraayan sharma kahata, baat samjh me aai.. upajja gyaan bharthari ko jad, ban bairaagi bhatakyaa.ban kai andar tapai mahaatma, dekh bharthari atakyaa....

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mevaadi raana, bhajanaan san laagai meera meethi.udayapur raana, bhajanaan san laagai meera meethi..ter..  thaaro to ram mhaanai bataavo, nahi to phakeeri thaari jhoothi....mhaaro to ram raanaaji ghatghat bolai, thaarai hiye ki kiyaan phooti....  saas nanad doraani, jithaani, jalabal bhi angeethi....the to saanvariya mhaarai sir ka sevara, mhen thaarai haathaki angoothi....  sankadi gali man mhaanai girdhar miliyo, kis bidh phirun mainapoothi....baai meera ke prbhu girdhar naagar, chadah gayo rang majeethi....

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saada jeevan sukh se jeena, adhik itaraana na chaahie. bhajan saar hai is duniyaan me, kbhi bisarana na chaahiye..ter.. man me bhedbhaav nahi rkhana, kaun paraaya kun apanaa.  eeshvar se naata sachcha hai, aur sbhi jhootha sapanaa.. garv gumaan kbhi na karana, garv rahai na gale binaa.  kaun yahaan par raha sada sen, kaun rahega sada banaa.. sbhi bhoomi gopaal laal ki, vyarth jhagadana na chaahiye.... daan bhog aur naash teen gati, dhan ki na chothi koi. jatan karanta pach maraga, saath le gaya na koi.. ik lkh poot sava laakh naati, jaanai jag me sab koi. raavan ke sone ki lanka, saath le gaya na koi.. sukshm khaana khoob baantana, bhar bhar dharana na chaahiye.... bhogyaan bhot ghatai na tushna, bhog bhog phir kya karanaa. chit me chetan karai chyaanano, dhan maaya ka kya karanaa.. dhan se bhay vipada nahi bhaage, jhootha bharam nahi dharanaa. dhani rahe chaahe ho nirdhan, aakhir hai sabako maranaa.. kar santosh sukhi ho mareeye, pach pach marana na chaahiye.... sumiran kare sada ishvar ka, saadhu ka sammaan kare. kam ho to santosh kar nar, jyaada ho to daan kare.. jab jab mile bhaag se jaisa, santoshi eemaan kare. aada teda ghana bkheda, julmi beeemaan kare.. nirbhay jeena nirbhay marana ,shanbhu darana na chaahiye....

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har bhaj har bhaj heera parkh le, samjh pakad nar majabooti . asht kamal par khelo mere daata, aur baarata sab jhoothi ..ter..
 indr ghata jyoon mhaara sataguru aaya, aanvat lyaaya rang boonti .triveni ke rang mahal me saadha laala had looti ....
 in kaaya me paanch chor hai, jinaki pakado sir choti .paanchavaan ne maar pachcheesaan ne basakar, jad jaana teri budh moti ....
 sat sumaran ka sail banaale, dahaal banaale dheeraj ki . kaam, krodh ne maar hata de, jad jaana thaari rajapooti ....
 jhanaman jhanaman baaja baajai, jhilamil jhilamil vahaan jyoti onkaar ke ranokaar me hansala chug gaya nij moti ....
pakki ghadi ka tol banaale, kaan ne raakho ek rati . sharan machchhendr jati goraksh bolya, alkh lakhya so khara jati ....

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hojya hoshiyaar guraanji ke sharanai, dil saabat phir darana kya ..ter.. karaman kheti dhaniyaan seti, raat dinaan beech sovana kya .aavega hansala chug jaayega moti, kan bin man nipajaaoga kya .... kaanshi peetal sona ho gaya, pata chalya guru paaras ka .ghar chetan ke pahara de le, jaag jaag nar sona kya .... nau sau nadiyaan nivaasi naala, khaar samudr jal doonga kya .sushaman hod bharya ghat bheetar, naadoolyaan me nhaana kya .... chit chaupad ka khel rachya hai, rang olkh lyo syaaran ka .guru gam paasa haath lagya phir, jeeti baaji haaro kya .... ratale re banda alkhaji ri vaani, har ne likhya so mitana kya .sharan machchhendr jati goraksh bolya, samjh padi phir digana kya ....
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saani kai naam bin koni nistaara, jaag jaag nar kya sota, jaagat nagari me chor koni laagai, jhak maarai tera jamadootaa..ter.. jap kar tapakar koti yatan kar, kaasi jaay karot le le.bhaje bina teri mukti n hosi, bhajale jogi avdhootaa.... jogi hokar jata badahaale ang ramaale bhbhootaa.jog jugat ki saar koni jaanai, jog nahi tera hth jhoothaa.... jinaki surata lagi bhajan me, kaal jaal se nahi darataa.adhar ani par aasan rkhata, se jogi hai avdhootaa.... sovatada nar bhogai chauraasi, jaagatada nar jug jeetyaa.ramnandaji ka bhanai kabeera, mjhalaan mjhalaan jaay pahunchyaa....

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dil apanai me sochale samjh , dukh paavai jaan. meri naath bina, rghunaath binaa..ter..
aai javaani bhaya deevaana, bal tole hasti jitanaa. yam ka doot pakad le jaasi, jor n chaale til jitanaa....
bhaai bandhu kutumb kabeela, jhoothi maaya ghar apanaa. ki baar putr pita ghar janame, ki baar putr pita apanaa....
kun sang aaya, kun sang jaasi, sab jug jaasi saath binaa. hansala bataaoo tera yaheen rah jaasi, khod padi rave saans binaa....
lkhai sareesa, lkh ghar chhodya, heera moti aur ratanaa. apani karani, paar utarani, bhajan banaayo hai kasaai sajanaa....
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nar chhod de kapat ke jaal, bataaoon tanai tirane ki tadabeer ..ter.  hari ki maala aise ratani, jaise baans par chdhajya natanee
mushkil hai ya kaaya datani, datai to parale teer....
goo charane ko jaati ban me, bchhade ko chhod diya apane bhavan me
surat lagi bchhade ki tan me, jaise shodh shareer....
jal bharane ko jaati naari, sir par ghado ghadai par jhaaree
haath jod batalaave saari, maarag jaat vahi....
gangaadaas kthai avinaashi, gangaadaas ka guru sanyaasee
ram bhaje se katajya phaansi, kaalu ram kaheen....
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bharat piyaara mero naam hanuman, naam hanuman mero..ter..
kaun disha se aayo bhaai, is pahaad ko karaseen kaani. dekh lei teri prbhutaai, jhelyo mero baan....
lankaapuri se aayo bhaai, lakshmanaji ne murchha aai. raavan sut ne baan chalaayo, maaryo shakti baan....
kaho bharat kya jatan upaaoon, langada kar diya kaise jaaoon.  sanjeevan kaise pahunchaaoon uday hosi bhaan....
aavo baala baitho baan pe, tanne pahuncha doon lanka dhaam me. aisi mere jchai rahi dhayaan me baan vimaan....
le sanjeevan hanumat aaye, lchhaman ji nai ghol pilaaye. sukheeram bhaasha me gaaye, charano me dhayaan....

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nindra bech doo koi le to, ramo ram rate to tero maayaajaal kategi..ter..
bhaav raakh satasang me jaavo, chit me raakho cheto. haath jod charana me lipato, je koi sant mile to....
paai ki man paanch bech doo, je koi graahak ho to. paancha me se chaar chhod doo, daam rokadi de to....
baith sbha me mithya bole, nindra karai paraai. vo ghar hamane tumhen bataaya, jaavo bina bulaai....
ke to jaavo raajadvaare, ke rasiya ras bhogi. mhaaro peechho chhod baavari, mhe haan ramata jogi....
ooncha mandir dekh jaayo, jahaan mani chavanr dulaabe. mhaare sang kya legi baavari, patthar se dukh paave....
kahe bharatari sun he nindra, yahaan n tera baasaa. mhen to rahata guru bharose, ram milan ki aashaa....
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in aanganiyai me e. ki khelya ki khelasi. ki khel sidhaaraya e ..ter..
aavo paanch saheliyo mhaara seem do n chola e. mai hoon abala soondari, mera sahib bhola e....
ek chhinaula, dooji koobadi, teeji naajuk chhoti e. nain hamaara yoon jhare jyon gaagar phooti e....
jaay utaarai hariye bad talai, sangi kuralaaya e. the ghar jaao bhaina aapanai, mhe bhaya paraaya e....
kaaji to mahamad yoon kaya ab yahaan nahi rahana e. aaya paravaana shyaam ka, skhi yahaan se chalana e....

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manamohan thaari laagai chhavi pyaari, birat me baansuri baaji.  baasuri baaji biraj me, muraliya baaji, manamohan thaari laagai..ter..
meera mahalaan ootari rai, chhaaya tilak lagaay. batalaai bolai nahi rai, raano raho risaay....
raano meera par kopiyo rai, soont li talavaar. maaryaan piraachhat laagasi rai, peevar dayo pahunchaay....
meera oobi gokhadaan rai, oontaan kasiyo bhaar. daanvo chhodyo medato rai, seedhi pushkar jaay....
jahar piyaalo raano bhejiyo rai, dayo meera nai jaay. kar charanaamarat pi gi rai, the jaano rghunaath....
sarp pitaaro raano bhejiyo rai, dayo meera nai jaay. khol pitaaro meera pahariyo rai, ban gayo nausar haar....
meera har ki laadali rai, raano ban ko thunth. samjhaayo samjhayo nahi rai, lejyaati baikunth....

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bhaai re mat deejo maavadali ne dosh, karma ki rekha nyaari..ter..
bhaai re ek belad ke toomba chaar, chaara ri karani nyaari nyaari. bhaai re pahalo guraansa re haath, doojodo maradang baajano.
bhaai re teejo tambura vaali been, chothodo bheeksha maangano.... bhaai re ek goo ke bchhada chaar, chaara ri karani nyaari nyaari.
bhaai re pahalo surajamal ro saand, doojodo shiv ko naandiyo. bhaai re teejo yo dhaani vaalo bail, chothodo baalad laadano....
bhaai re ek maati ka bartan chaar, chaara ri karani nyaari nyaari. bhaai re pahale me dahido jamaave, doojo to shiv ke jal chadahe.
bhaai re teejo panihaarya re sheesh, chothodo shamshaan jaayasi.... bhaai re ek maayad ke putr chaar, chaara ri karani nyaari nyaari.
bhaai re pahalo raajaaji ri pol, doojodo heera paarkhi. bhaai re teejo yo haat bajaar, chothodo bheeksha maangasi....
bhaai re kah gaya kabeero dharmeedaas, karmaara bhaara metayo....
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mhaara sataguru deyi hai bataay, dalaali heera laalan ki..ter..
laal padi chaugaan me, rahi keech lapataay. nugara maanans thokar maari, sugarai ne lei hai uthaay....
heera panna ki kothadi re, gaahak ho to khol. aavega koi sant viveki, lega be manhage mol....
laal laal to sab kahe re, sab ke palle laal. gaanth khol dekhe nahi re, is bidh bhayo kangaal....
laali laali sab kahe re, laali lkhe n koy. daas kabeer laali lkheere, aava gaman mitaay....
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minkh jamaaro banda ailo mat khovai re, sukharat karale jamaara nai.paapi ke mukh se ram koni nikasai, keshar ghul rahi gaara me ..ter..
bhais padmani ne gainon to paharaayo, kaani jaanai paharan haara ne .
pahar kauni jaanai ba to chaal koni jaanai re, umar gamaadi gobar gaara me ....
sone ke thaal me soori ne parosi, kaani jaanai jeeman haara ne .
jeem koni jaanai ba to jooth koni jaanai re, hurad hurad karati jamaara ne ....
kaanch ke mahal me kutti ne suvaai, kaani jaanai sovan haara ne .
soy koni jaanai ba to odah koni jaanai re, ghus ghus maragi galiyaara me ....
maanak moti murkha ne deenya, dalaba to bait gaya saara nai .
heera ki paarkh johari jaanai, kaani bero murkh ganvaara nai ....
amaratanaathaji amar ho gaya jogi, jaar gaya kaanche paara ne .bhoora bhajan hariram ka karale, har milasi dshavaan dvaara me ....
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sukharaasi eji avinaashi, amar nagar ka baasi .sataguru sukh raashi, aiji avinaashi ..ter..  jaagrat svapr sushupti taj ke, turiya tatv ek avinaashi .bhanvar gupha me sej guraan ki, tej punj jahaan prakaashi ....  baarah maas basant rahe jahaan, megh ameeras jhad lyaasi .trikuti me bhanvar gunjaar karat hai, sukhaman takiya hai kaasi ....  bin deepak vahaan jot jagat hai, kon bhaanu vahaan prakaashi .anahad shabd dhun gunjaar karat hai, bin pag paayal jhanakaasi ....  paap punya ki gam janha naaheen, nahi bthe trigun ki phaansi .agam agaadh apaar agochar, aise desh ka guru hai vaasi ....  amaratanaathaji dayaalu daya kar, aiso ghar kab dikhalaasi .durgaashankar prem deevaana, chhut gayi jamadaari phaansi ....
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aankh bina paankh bina, bina mukh naari re,neeche re ghanuliyo, upar panihaari ..ter..  jal keri kudiya agam keri jhaari re ,maata kuvaari pita brahamchaari ....  ek kuvatiyo nau sau panihaari re ,neer bhere sab nyaari nyaari ....  bhar gaya aagar saagar kheesak gayi kyaari,aakhan masalati aave panihaari ....  saavali surat jaanki boli laage pyaari pyaaree ,bhari sbha me mulakati naari ....  goraksh jati bolya ulati baani re,doodh ka doodh paani ka paani re ....
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sataguruvaan se milaba chaalo ai, sajo sinagaaro ..ter..  neer gangaajal sir par daaro, kcharo parai vidaaro ye .man maile ne mal mal dholyo, saaph huvai tan saaro ye ....  gam ko ghaagharo pair suhaagan, nem ko naado saaro ye .jarana ri gaanth jugat se dijyo, log hansego saaro ye ....  sat ki syaalu odah suhaagan, prem ki patali maaro ye .ram naam ko goto lagaakar, gyaan ghoonghato saaro ye ....  or piyo mere daay koni aavai, piyo karun karataaro ye .mero piyo mere ghat me basat hai, palak hove n nyaaro ye ....  naath gulaab milya guru pura, mhaane diyo shabad lalakaaro ye .bhaani naath guraanji ke sharanai, sahajaan milyo kinaaro ye ....
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chaadar jheeni ram jheeni, ya to sada ram ras bheeni..ter.. asht kamal par charkho chaale, paanch tant ki pooni.nau das maas banataan laagya, sataguru ne ban deeni.... jad meri chaadar ban kar aai, rang reja ne deeni.aisa rang ranga rangareja, laali laalan keeni.... moh maaya ko mail nikaalya, gahari niramal keeni.prem preet ko rangalagaakar, sataguruvaan rang deeni.... dharuv prahalaad sudaama ne odahi, sukhadev ne nirmal keeni.daas kabeer ne aisi odahi, jyoo ki jyoo dhar deeni....
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tere gale ko haar janjeero re, sataguru suljhaavegaateri kaaya nagar me heero rai, here se paavegaa..ter.. kaareegar ka pinjara re, tane ghadalyaayo karataar.shaayar karasi sodhana rai, murkh kare re marod,. rosh man maayale me lyaavegaa....
man lobhi, man laalchi re bhaai man chanchal man chor.man ke mat me na chale re, palak palak man aur, jeev ke jaal ghalaavegaa.... aisa naanha chaaliai re bhaai, jaisi naanhi doob.aur ghaas jal ja jaayasi rai, doob rahegi khoob,. pher saavan kad aavega .... saani ke darabaar me re bhaai, laambi badahi hai khajoor.chdhe to meva chaakhale rai, pade to chakana choor,. pher uthan kad paavegaa.... jaisi sheeshi kaanch ki r bhaai, vaisi nar ki deh.jatan karata jaayasi rai, har bhaj laava ley,. pher mausar kad aavegaa.... chanda gudi udaavata re bhaai laambi deta dor.jholo laagyo prem ko rai, kit gudiya kit dor,. pher kun patang udaavegaa.... aisi kthana kun kthi re bhaai, jaisi kthi kabeer.jaliya naaheen, gadiya naaheen, amar bhayo hai sharir. paip ka phool barasaabegaa....
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मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना

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राधे धीरे झूलो चुनरी सरक जावेगी,
तेरी लट्टियाँ की पटियाँ बिखर जावेगी,
हुआ ब्रजे मंडल में शोर,
चलो सब नंद महल की ओर,
ये हमने सुना है तू भगवन,
भक्तो को उधारा करता
मेरी नैया में लक्ष्मण राम गंगा मैया
धीरे बहो गंगा धीरे बहो,
काली मत न देर लगाइये,
माँ झूम ज्योत पे आइये...