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मैं दास मन का, हूँ मन का पुजारी ।
मेंरा जन्म लेना विफल हो गया ॥

मैं दास मन का, हूँ मन का पुजारी ।
मेंरा जन्म लेना विफल हो गया ॥

हुआ भाव करलूं, तपस्या कभी जो ॥
करूँ दूर मुझमे, बुराई भरी जो,
कहा मन ने मेरे ,कभी फिर करूँगा,
यहीं दाँव मन का, सफल हो गया ॥
मैं दास मन का....

करूँ आज समभाव ,साधन कभी जो ॥
आलोचना कर, स्व दोषों को खोजूं,
उसी क्षण किसी मित्र का, फ़ोन आया,
कि धर्म क्रिया में, खलल हो गया,
मैं दास मन का...

सुनूं आज पावन, प्रवचन गुरु का ॥
नया ज्ञान सीखूं, चितारूँ शुरू का ॥
उसी दम जो व्यापार, का मोह जागा,
की सारा नजारा, बदल ही गया,
में दास मन का...

कभी ना की कोशिश, नियंत्रण की मन पे ॥
लगाता है डाके ये, आतम के धन पे,
किया वश में मन को, गुरु राम ने जो,
दर्शन से उनके, कपिल तिर गया ॥
मैं दास मन का...

लेखक

कपिल देवड़ा
रतलाम (म.प्र.
मो. न.



main das man ka hun man ka pujari

maindaas man ka, hoon man ka pujaaree
mera janm lena viphal ho gaya ..


hua bhaav karaloon, tapasya kbhi jo ..
karoon door mujhame, buraai bhari jo,
kaha man ne mere ,kbhi phir karoonga,
yaheen daanv man ka, sphal ho gaya ..
maindaas man kaa...

karoon aaj sambhaav ,saadhan kbhi jo ..
aalochana kar, sv doshon ko khojoon,
usi kshn kisi mitr ka, pahon aaya,
ki dharm kriya me, khalal ho gaya,
maindaas man kaa...

sunoon aaj paavan, pravchan guru ka ..
naya gyaan seekhoon, chitaaroon shuroo ka ..
usi dam jo vyaapaar, ka moh jaaga,
ki saara najaara, badal hi gaya,
me daas man kaa...

kbhi na ki koshish, niyantrn ki man pe ..
lagaata hai daake ye, aatam ke dhan pe,
kiya vsh me man ko, guru ram ne jo,
darshan se unake, kapil tir gaya ..
maindaas man kaa...

maindaas man ka, hoon man ka pujaaree
mera janm lena viphal ho gaya ..




main das man ka hun man ka pujari Lyrics





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