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मन लागो यार फ़कीरी में

मन लागो यार फ़कीरी में,
माला कहे है काठ की तू क्यों फेरे मोहे,
मन का मनका फेर दे सो तुरत मिला दूँ तोहे।

मन लागो यार फ़क़ीरी में,
कबीरा रेख सिन्दूर,
उर काजर दिया ना जाय,
नैनन प्रीतम रम रहा,
दूजा कहाँ समाय,
प्रीत जो लागी भूल गई,
पीठ गई मन माहीं,
रूम रूम (रोम रोम पीऊ पिऊ कहे,
मुख की सिरधा नाहीं,
मन लागो यार फ़क़ीरी में,
बुरा भला सबको सुन लीज्यो,
कर गुजरान ग़रीबी में।

सती बिचारी सत किया,
काँटों सेज बिछाय,
ले सुधि पिया आपणा,
चहुँ दिस अगन लगाय,
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े,
काके लागूं पाय,
बलिहारी गुरू आपणे,
गोविन्द दियो बताय,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

मेरा मुझ में कुछ नहीं,
जो कुछ है सो तेरा,
तेरा तुझ को सौंप दे,
क्या लागे है मेरा,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

जब मैं था तब हरि नहीं,
अब हरि है मैं नाहीं,
जब अन्धियारा मिट गया,
दीपक देर कमाहीं,
रूखा सूखा खाय के,
ठन्डा पानी पीओ,
देख परायी चोपड़ी
मत ललचावे जियो,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

साधू कहावत कठिन है,
लम्बा पेड़ ख़जूर,
चढे तो चाखे प्रेम रस,
गिरे तो चकना चूर,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

आखिर ये तन खाक़ मिलेगा,
क्यूं फ़िरता मग़रूरी में,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

लिखा लिखी की है नहीं,
देखा देखी बात,
दुल्हा दुल्हन मिल गए,
फ़ीकी पड़ी बारात,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

जब लग नाता जगत का,
तब लग भक्ति ना होय,
नाता तोड़े हरि भजे,
भगत कहावे सोय,
हद हद जाये हर कोइ,
अन हद जाये न कोय,
हद अन हद के बीच में,
रहा कबीरा सोय,
माला कहे है काठ की
तू क्यूं फेरे मोहे,
मन का मणका फेर दे,
सो तुरत मिला दूं तोय,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।

जागन में सोतिन करे,
साधन में लौ लाय,
सूरत डार लागी रहे,
तार टूट नहीं जाए,
पाहण पूजे हरी मिले,
तो मैं पूजूँ पहाड़,
ताते या चक्की भली,
पीस खाये संसार,
कबीरा सो धन संचीऐ,
जो आगे को होइ,
सीस चढाये गाँठड़ी,
जात न देखा कोइ,
हरि से ते हरि जन बड़े,
समझ देख मन माहीं,
कहे कबीर जब हरि दिखे,
सो हरि हरिजन माहीं,
मन लागो यार फ़क़ीरी में,
कहे कबीर सुनो भई साधू,
साहिब मिले सुबूरी में,
मन लागो यार फ़क़ीरी में।



man laago yaar fakeeri me

man laago yaar pahakeeri me,
maala kahe hai kaath ki too kyon phere mohe,
man ka manaka pher de so turat mila doon tohe


man laago yaar pahakeeri me,
kabeera rekh sindoor,
ur kaajar diya na jaay,
nainan preetam ram raha,
dooja kahaan samaay,
preet jo laagi bhool gi,
peeth gi man maaheen,
room room (rom rom peeoo pioo kahe,
mukh ki sirdha naaheen,
man laago yaar pahakeeri me,
bura bhala sabako sun leejyo,
kar gujaraan gareebi me

sati bichaari sat kiya,
kaanton sej bichhaay,
le sudhi piya aapana,
chahun dis agan lagaay,
guroo govind dooo khade,
kaake laagoon paay,
balihaari guroo aapane,
govind diyo bataay,
man laago yaar pahakeeri me

mera mujh me kuchh nahi,
jo kuchh hai so tera,
tera tujh ko saunp de,
kya laage hai mera,
man laago yaar pahakeeri me

jab maintha tab hari nahi,
ab hari hai mainnaaheen,
jab andhiyaara mit gaya,
deepak der kamaaheen,
rookha sookha khaay ke,
thanda paani peeo,
dekh paraayi chopadee
mat lalchaave jiyo,
man laago yaar pahakeeri me

saadhoo kahaavat kthin hai,
lamba ped kahajoor,
chdhe to chaakhe prem ras,
gire to chakana choor,
man laago yaar pahakeeri me

aakhir ye tan khaak milega,
kyoon pahirata magaroori me,
man laago yaar pahakeeri me

likha likhi ki hai nahi,
dekha dekhi baat,
dulha dulhan mil ge,
paheeki padi baaraat,
man laago yaar pahakeeri me

jab lag naata jagat ka,
tab lag bhakti na hoy,
naata tode hari bhaje,
bhagat kahaave soy,
had had jaaye har koi,
an had jaaye n koy,
had an had ke beech me,
raha kabeera soy,
maala kahe hai kaath kee
too kyoon phere mohe,
man ka manaka pher de,
so turat mila doon toy,
man laago yaar pahakeeri me

jaagan me sotin kare,
saadhan me lau laay,
soorat daar laagi rahe,
taar toot nahi jaae,
paahan pooje hari mile,
to mainpoojoon pahaad,
taate ya chakki bhali,
pees khaaye sansaar,
kabeera so dhan sancheeai,
jo aage ko hoi,
sees chdhaaye gaanthadi,
jaat n dekha koi,
hari se te hari jan bade,
samjh dekh man maaheen,
kahe kabeer jab hari dikhe,
so hari harijan maaheen,
man laago yaar pahakeeri me,
kahe kabeer suno bhi saadhoo,
saahib mile suboori me,
man laago yaar pahakeeri me

man laago yaar pahakeeri me,
maala kahe hai kaath ki too kyon phere mohe,
man ka manaka pher de so turat mila doon tohe




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