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रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है
ज पेड़ हमने लगाया पेहले उसी का फल हम अब पा रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

इसी धरा से शरीर पाए इसी धरा में फिर सब पाए,
है सत्य नियम यही धरा इक आ रहे है इक जा रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

जिहनो ने बेजा जगत में जाना तेह कर दिया लोट कर फिर से आना
जो बेजने वाले है धरा पर वही फिर वापिस बुला रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

बैठे है जो धान की बालियो में समाये मेहँदी की लालियो में,
हर ढाल हर पत्ते में समा कर रंग बिरंगे फूल खिला रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है



rachaai shrishti ko jis prabhu ne vahi ye shrishti chla rahe hai

rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai
j ped hamane lagaaya pehale usi ka phal ham ab pa rahe hai
rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai


isi dhara se shareer paae isi dhara me phir sab paae,
hai saty niyam yahi dhara ik a rahe hai ik ja rahe hai
rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai

jihano ne beja jagat me jaana teh kar diya lot kar phir se aanaa
jo bejane vaale hai dhara par vahi phir vaapis bula rahe hai
rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai

baithe hai jo dhaan ki baaliyo me samaaye mehandi ki laaliyo me,
har dhaal har patte me sama kar rang birange phool khila rahe hai
rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai

rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai
j ped hamane lagaaya pehale usi ka phal ham ab pa rahe hai
rchaai shrrashti ko jis prbhu ne vahi ye shrrashti chala rahe hai




rachaai shrishti ko jis prabhu ne vahi ye shrishti chla rahe hai Lyrics





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