मेरे राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे ।
बूढी भिलनी कोे प्रभु कब उधारेंगे । मेरे..
नाना पुष्पों से रस्ता सजाऊँगी में,
राम ही राम बस गुनगुनाउंगी में ।
उनका श्रृंगार कर हम सवाँरेंगे,
मेरे राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे ।
पैर धोकर के मैं चरणामृत पाऊँगी,
दोनों कर जोड़कर उनको सर नाउंगी ।
काला तिल देके नज़रें उतारेंगे,
मेरे राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे ।
रोरी चन्दन लगा उनका वंदन करूँ,
पुष्पहारों से मैं अभिनंदन करूँ ।
दोनों आँखों मैं उनको बैठारेंगे,
मेरे राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे ।
भोग बेरों के उनको लगाउंगी मैं,
प्रेम रस से भरे ये बताउंगी मैं ।
कोटि जन्मों को राजेन्द्र सवाँरेंगे,
मेरे राम श्रीराम कुटिया मैं कब पधारेंगे ।
धुन :- अल्ला ये अदा कैसी है इन...
राजेंद्र प्रसाद सोनी
mere ram shreeram kutiya me kab pdhaarenge
boodhi bhilani koe prbhu kab udhaarenge mere..
naana pushpon se rasta sajaaoongi me,
ram hi ram bas gunagunaaungi me
unaka shrrangaar kar ham savaanrenge,
mere ram shreeram kutiya me kab pdhaarenge
pair dhokar ke maincharanaamarat paaoongi,
donon kar jodakar unako sar naaungee
kaala til deke nazaren utaarenge,
mere ram shreeram kutiya me kab pdhaarenge
rori chandan laga unaka vandan karoon,
pushpahaaron se mainabhinandan karoon
donon aankhon mainunako baithaarenge,
mere ram shreeram kutiya me kab pdhaarenge
bhog beron ke unako lagaaungi main,
prem ras se bhare ye bataaungi main
koti janmon ko raajendr savaanrenge,
mere ram shreeram kutiya mainkab pdhaarenge
mere ram shreeram kutiya me kab pdhaarenge
boodhi bhilani koe prbhu kab udhaarenge mere..