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कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा,

कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा,
माँ का ध्यान कभी लगाया नहीं,
सिर्फ दीपक जलाने से क्या फायदा


लाख माथे पे अपने तू चंदन लगा,
बिना पूजा कुम कुम के टिका लगा,
गुणगान कभी माँ का किया ही नहीं,
उपदेश सुनाने से क्या फायदा,
कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा

रोज़ तन को तो पानी से धोया मगर,
मन के मैल को अब तक मिटाया नहीं,
सच्चा प्रेम अपने दिल में बसाया नहीं,
गंगाजल में नहाने से क्या फायदा,
कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा

कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा,
माँ का ध्यान कभी लगाया नहीं,
सिर्फ दीपक जलाने से क्या फायदा




kbhi meeya ke mandir me gaya hi nahi,
phir bhakt kahalaane se kya phaayada,

kbhi meeya ke mandir me gaya hi nahi,
phir bhakt kahalaane se kya phaayada,
ma ka dhayaan kbhi lagaaya nahi,
sirph deepak jalaane se kya phaayadaa


laakh maathe pe apane too chandan laga,
bina pooja kum kum ke tika laga,
gunagaan kbhi ma ka kiya hi nahi,
upadesh sunaane se kya phaayada,
kbhi meeya ke mandir me gaya hi nahi,
phir bhakt kahalaane se kya phaayadaa

roz tan ko to paani se dhoya magar,
man ke mail ko ab tak mitaaya nahi,
sachcha prem apane dil me basaaya nahi,
gangaajal me nahaane se kya phaayada,
kbhi meeya ke mandir me gaya hi nahi,
phir bhakt kahalaane se kya phaayadaa

kbhi meeya ke mandir me gaya hi nahi,
phir bhakt kahalaane se kya phaayada,
ma ka dhayaan kbhi lagaaya nahi,
sirph deepak jalaane se kya phaayadaa








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