Download Bhajan as .txt File Download Bhajan as IMAGE File

मेरे बाँके बिहारी सांवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,

मेरे बाँके बिहारी सांवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है


आँख वालों ने तुमको है देखा,
कान वालों ने तुमको सुना है,
तेरा दर्शन उसी को हुआ है,
जिसकी आँखों पे पर्दा नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है

लोग पीते है पी पी के गिरते,
हम भी पीते है गिरते नहीं है,
हम तो पीते है सत्संग का प्याला,
यह अंगूरी पानी नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है

ये नशा जल्दी चढ़ता नहीं है,
चढ़ जाये उतरता नहीं है,
लोग जीते है दुनिया के डर से,
हमे दुनिया का कोई डर नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है

मेरे बाँके बिहारी सांवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है,
मेरे बाँके बिहारी साँवरिया,
तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है




mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai,

mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai,
mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai


aankh vaalon ne tumako hai dekha,
kaan vaalon ne tumako suna hai,
tera darshan usi ko hua hai,
jisaki aankhon pe parda nahi hai,
mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai

log peete hai pi pi ke girate,
ham bhi peete hai girate nahi hai,
ham to peete hai satsang ka pyaala,
yah angoori paani nahi hai,
mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai

ye nsha jaldi chadahata nahi hai,
chadah jaaye utarata nahi hai,
log jeete hai duniya ke dar se,
hame duniya ka koi dar nahi hai,
mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai

mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai,
mere baanke bihaari saanvariya,
tera jalava kahaan par nahi hai




A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav Devotee7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome PainWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?



Bhajan Lyrics View All

जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री

New Bhajan Lyrics View All

तेरे दर पे आ गया हूँ,
आना तो काम था मेरा,
तेरे दर पे आ गये हैं, हे श्याम अब
कर जोड़ प्रार्थना है, चरणों से अब
पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहार,
झूला लगे जनक फुलवारी,
झूले सिया सुकुमारी ना
पिंडे उत्थे भस्म रमाई, गल सप्पां दी
हत्थ डमरुँ त्रिशूल उठाई, लेके आया बरात